मित्रो एक लम्बे अंतराल) के बाद आपके सामने हाजिर हूं । जून के महीने में अपनी पोस्ट लिखकर और शैडयूल करके चला गया था घूमने के लिये 6 राज्यो के ...
मित्रो एक लम्बे अंतराल) के बाद आपके सामने हाजिर हूं । जून के महीने में अपनी पोस्ट लिखकर और शैडयूल करके चला गया था घूमने के लिये 6 राज्यो के सफर और 24 जून को वापिस आया । आकर मैने लिखने की शुरूआत भी कर दी इस यात्रा की पर तभी जाट देवता के माध्यम से मणिमहेश की यात्रा का बुलावा आ गया । कुल 15 दिन के अंतराल में दूसरी यात्रा पर निकल गये तो पहली यात्रा को लिख नही पाया । अब वहां से आये तो जाट देवता का आदेश आया कि मणिमहेश की यात्रा जो कि जन्माष्टमी से शुरू होती है तो उसके बारे में अब लिखो ताकि वहां जाने वाले लोग उसे पढकर उससे फायदा उठा सकें । तो इस बात का पालन करते हुए मै पहले इस यात्रा को लिख रहा हूं ।
जाट देवता जैसे घुमक्कड के साथ जाने का ये पहला अनुभव था और जैसा कि मुझे अंदाजा था ये इतना बेहतरीन था कि मेरा मन है कि दोबारा भी जाट देवता के साथ ही चलूं और कई प्रोग्राम एडवांस मे बन गये हैं । तो चलिये चलते है मणिमहेश झील और पर्वतो के दर्शन के लिये जो कि हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 4100 मी0 की उंचाई पर झील और 5600 से ज्यादा मीटर की उंचाई का पर्वत शिखर है । सबसे पहले तो मै इस यात्रा की शुरूआत कैसे हुई ये बताना चाहूंगा
चार महीने पहले संदीप जाट ने कहा कि हिमाचल के रिंग रोड पर जाने का प्रोग्राम है तो मैने कहा कि हो सका तो मै भी तुम्हारे साथ चलूंगा । तब कहां पता था कि वास्तव में जाना होगा क्योंकि बाइक से जाने का विचार था और तीन से चार बाइक वाले बंदे जाने वाले थे तो मैने इसलिेये कहा था कि अगर जा पाया तो ठीक पर अगर नही जा पाया तो भी कोई दिक्कत की बात नही क्योंकि मेरी वजह से किसी का प्रोग्राम तो नही बिगडेगा ना ही रदद होगा कयोंकि कई बाइक जाती हैं तो फिर चिंता की कोई बात नही । दूसरी बात कि मैने प्रोग्राम के बारे में संदीप से कोई विचार विमर्श नही किया । जब आपसे बडा घुमक्कड साथ में जा रहा हो तो फिर गुंजाईश कहां रहती है कि आप ज्यादा तर्क वितर्क करो ।
इसके बाद जून का महीना आया और अचानक से बने प्रोग्राम में हम लोग सिक्किम घूमने के लिये चले गये और 21 दिन तक वहां पर घूमें । उसके बाद वहां से आते ही मसूरी देहरादून और रिषीकेश पहुंच गये जहां से 24 जून को आये और आते ही मैने उस यात्रा की पहली किस्त मैराथन लिखी जिसे आप पढ चुके हैं इतने दिन घूमने के बाद में एनर्जी लेवल काफी कम हो जाता है क्योंकि 21 दिन तक घूमने में घर जैसा खाना पीना नही मिलता और नींद भी ठीक से पूरी नही हो पाती । इसलिये काफी परेशानी हो जाती है ।
दूसरा हम लोग जून की गर्मी में गये थे तो वहां से आने के बाद मुझे दस्त लग गये जिसने मेरी जान ही निकाल दी । वो तो शुक्र था कि पांच छह दिन बचे थे छुटटी के तो उन दिनो में इलाज हो गया और इसी बीच संदीप का फोन आया कि प्रोग्राम बना लिया है और वो भी स्कार्पियो गाडी से । गाडी से क्यों तो उन्होने बताया कि एक मित्र की गाडी है और वो भी घूमने जा रहे हैं तो इसलिये हमने 6 लोगो का प्रोग्राम बनाया है । इसी बीच गर्मी ज्यादा पडने की वजह से मेरी और 8 दिन की छुटटी पड गयी तो मैने जाने के लिये हां भर दी ।
बाइक पर तो शायद मै जाने के लिये एक बार को मना कर देता क्योंकि उसके लिये काफी ताकत की जरूरत होती है । कमर एकदम सीधी रहती है जबकि गाडी में तो आराम मिल जाता है । उसके बाद तो बस घूमने में एनर्जी लगानी पडती है जबकि बाइक चलाने वाला पहले बाइक चलाता है और फिर घूमता भी है । हां तो भर दी पर कुछ ऐसा संयोग बना कि आखिरी दिन तक भी मै कोई तैयारी नही कर पाया और जाने का भी आखिरी दिन तक संशय ही रहा कि जा पाउंगा कि नही ।
हुआ यू्ं कि जाने से एक दिन पहले मै और लवी अपने पैतृक घर गये और घर की अपने कमरे की खिडकी खुली छोड गये गलती से । उसी दिन रात को मानसून की पहली बारिश हुई और तेज फुहारो ने कमरे मे पानी पानी कर दिया । मकान में रह रहे किरायेदारो ने जब ये देखा तो हमें सुबह के दस बजे फोन किया । 12 बजे स्कूल करके मै चलने की सोची तो तेज बारिश अभी भी पड रही थी । हम दोनो ने बारिश में ही चलने का निश्चय किया और दो घंटे में 80 किलोमीटर बाइक चलाकर गाजियाबाद पहुंचे और यहां आकर देखा तो कमरे में काफी कपडे और सामान बारिश से भीग गया था अब जो होना था सो हो गया था पर थोडी देर बाद बारिश बंद हो गयी और तेज धूप निकली तो सभी कपडे सुखाने डाल दिये । इस काम में लगभग चार बज गये थे तो उसके बाद संदीप भाई का फोन आया कि गाडी रात को नौ बजे दिल्ली से मिलेगी और तैयार हो गये क्या ? मैने कह दिया कि तैयार हूं जबकि तैयारी इसके बाद शुरू हुई ।
एक घंटे में लवी ने मेरा बैग लगाया जिसमे 4 जींस 7 शर्ट , एक गर्म चादर , एक हल्का कम्बल , मोजे ,गर्म टोपा , दवाईयां , सैल ,चार्जर ,फोन , कैमरा ,लाइट का एक्सटैंशन बोर्ड ,साबुन आदि रखा । उसके बाद उसको एक घंटा और लगा और उसने आलू के परांठे बनाये जो मैने तीन खाये और ले जाने के लिये इसलिये मना कर दिया क्योंकि गर्मी के कारण खराब हो सकते थे । दूसरी बात शाम के छह बज चुके थे और रात को 9 बजे चलना था तेा इसलिये खाना खाने की कोई टेंशन नही थी । एक बार फिर मैने संदीप को फोन लगाया कि कहां आना है तो उसने बताया कि तुम आजादपुर मैट्रो स्टेशन पर आकर मिलो । मैने बैग उठाया और आटो से बस अडडे जाने लगा तो रास्ते में गाजियाबाद में जाम लग गया ।
उस जाम में आधे घंटे तक फंसे रहे । इसी बीच जाम में एक गाडी रोडवेज की दिल्ली आई एस बी टी जाने वाली खडी थी तो मै आटो वाले कों पैसे देकर उसमें बैठ गया इससे मेरा बस अडडे जाकर आने का समय बच गया और उस बस ने लगभग एक घंटे में दिल्ली आई एस बी टी पहुंचा दिया । वहां से मैने मैट्रो का रास्ता पकडा आजाद पुर तक के लिये ।
संक्षिप्त यात्रा का कार्यक्रम लिखे देता हूं । कार्यक्रम था हिमाचल रिंग रोड का पर किसी कारण पूरा ना हो सका वो कारण बताया जायेगा बाद मे पर जो किया वो था
दिल्ली —नैना देवी—ज्वाला देवी—डलहौजी—खजियार—मणिमहेश —दिल्ली
इस यात्रा को करने का और इसे लिखने का सारा श्रेय जाट देवता को जाता है और इस यात्रा में आप मेरी नजर से जाट देवता के कुछ अनछुए पहलू भी देखेंगे
इस पहली पोस्ट में फोटोज के रूप में कुछ झलकियां हैं इस यात्रा की तो अपनी अपनी सीट बैल्ट बांधकर तैयार हो जायें क्योंकि पोस्ट जो हैं वो सुपर फास्ट स्पीड सें आयेंगी और आपको उस पर अपनी प्रतिक्रिया हाई स्पीड में देनी है साथ ही कमियां और गलतिया बताने के लिये तैयार रहना है ये जरूर बताना है कि इस बार और पिछली पोस्टो में क्या अंतर है
ये दोस्ती हम नही तोडेंगे ? |
जाट देवता जैसे घुमक्कड के साथ जाने का ये पहला अनुभव था और जैसा कि मुझे अंदाजा था ये इतना बेहतरीन था कि मेरा मन है कि दोबारा भी जाट देवता के साथ ही चलूं और कई प्रोग्राम एडवांस मे बन गये हैं । तो चलिये चलते है मणिमहेश झील और पर्वतो के दर्शन के लिये जो कि हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले में 4100 मी0 की उंचाई पर झील और 5600 से ज्यादा मीटर की उंचाई का पर्वत शिखर है । सबसे पहले तो मै इस यात्रा की शुरूआत कैसे हुई ये बताना चाहूंगा
भंवरा गुन गुन करता आया |
10 बंदे एक साथ दो फोटोग्राफर फोटो पर |
एक फूल की नजर से |
पहचान कौन ? |
रावी नदी का एक नजारा |
रास्ते बंद कर दिया था इस पेड ने , 12 लोगो ने अलग रख दिया उठाकर |
जी ललचाये ....कौन सा खाया जाये ? आप ही बतायें और जाट देवता से इनाम पायें |
संक्षिप्त यात्रा का कार्यक्रम लिखे देता हूं । कार्यक्रम था हिमाचल रिंग रोड का पर किसी कारण पूरा ना हो सका वो कारण बताया जायेगा बाद मे पर जो किया वो था
दिल्ली —नैना देवी—ज्वाला देवी—डलहौजी—खजियार—मणिमहेश —दिल्ली
खुले आसमान में विचरण करूं मै पंछी के जैसे |
दूर से इतना सुंदर है तो पास से कितना होगा ? |
नही जाट देवता ऐसा मत करो , कूदो मत |
सुंदर मणिमहेश ...स्वर्ग के जैसा |
और ये कैसा रास्ता है ? |
और ये मै |
फूलो पर तितली है |
मणिमहेश यात्रा का ट्रेलर जबरदस्त है
ReplyDeleteउससे भी ज्यादा मजा आगे वाले लेखो में आने वाला है, ज्यादा इन्तजार नहीं कराना
Manu ji shuruaat to acchi hai or umeed hai aage or bhi maza aayega. Pr ak baat kahna chahuga jat devta ko kisi bhi tarah ki pahchaan ki jarurat to nahi hai fir bhi unka link jarur dijiye..
ReplyDeleteमनु भाई!! सब ठीक लगा लेकिन एक बात , या तो आप फोटो को कम्प्रेस करो या वाटर मार्क लगाओ !! आप दोनों करके फोटो का कबाड़ा कर देते हो !और अगर आप का कंटेंट में दम है तो डर की कोई बात नहीं , आप जरूर हिट होगे !!
ReplyDeleteमनु भाई!! सब ठीक लगा लेकिन एक बात , या तो आप फोटो को कम्प्रेस करो या वाटर मार्क लगाओ !! आप दोनों करके फोटो का कबाड़ा कर देते हो !और अगर आप का कंटेंट में दम है तो डर की कोई बात नहीं , आप जरूर हिट होगे !!
ReplyDeleteजबरदस्त शुरुआत है , जब ट्रेलर इतना बढ़िया है तो पिक्चर कैसा रहेगा ,मनुजी अब तो सब काम छोडके आप पोस्ट लिखना शुरू करो .मेरा दिमाग घूम रहा है पोस्ट पढ़ने के बाद कितने दिनों के बाद. आपको पता ही है.
ReplyDeleteविधान भाई धन्यवाद बहुत बहुत पर मै आपको बता दूं कि कम्प्रैस खाली इसलिये नही किया जाता कि कोई चोरी ना कर ले बल्कि इसलिये किया जाता है क्योंकि नेट पर कम स्पीड वाला भी उसे आराम से देख ले
ReplyDelete'
वाटर मार्क की वजह है कि अभी भी ये फोटो 800'600 की हैं और इतने साइज की फोटो नार्मल होती हैं
सुरेश जी सही कहा आपने जाट देवता को किसी पहचान की जरूरत नही है और लिंक ना देना मेरी गलती है जिसे मै समय की कमी के कारण नही कर पाया था । आगे सुधार होगा आपके अमूल्य विचारो के लिये धन्यवाद ऐसे ही आगे भी सहयोग दीजिये
ReplyDeleteमनु जी इतने दिनों बाद एक सुन्दर यात्रा का वृतांत शुरू करने के लिए धन्य वाद. एक बार मैं भी डलहौजी,चम्बा,खज्जियार जा चूका हूँ बहुत ही बेहतरीन स्थान है आगाज तो बहतरीन है अंजाम भी धांसू होना चाहिए... लगे रहिये हम भी आपकी नजरों से मणिमहेश के दर्शन कर लेंगे.अगली पोस्ट का इन्तेजार रहेगा. आज शाम को मैं भुबनेश्वर, पूरी, कोणार्क और चिलिका झील कि ३ दिन कि यात्रा पर जा रहा हू इसलिए बाकि कमेन्ट आकार दूँगा...........
ReplyDeleteजबरदस्त |
ReplyDeleteज़ाट देवता के भी दर्शन हुवे |
Manu Ji,
ReplyDeleteMata Naina Devi ke photo jayada lagana.
Thanks
Surinder
बिल्कुल सुरेन्द्र जी
ReplyDeleteधन्यवाद चन्द्रेश जी , आपकी यात्रा के लिये बधाई , आप सकुशल यात्रा पूरी कर आओ
ReplyDeleteयात्रा वृतांत और चित्र दोनों अच्छे लगे सकुशल वापस पहुच गए भगवान् का हाथ सर पर है तो कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
ReplyDeleteKeep working, nice post! This was the information I had to know.
ReplyDeletemanu bhai yaden taaza kar di
ReplyDeleteआपके साथ जाना एक अलग ही अनुभव था बलवान भाई । इस पूरी यात्रा को पढना
Deleteमनु भाई जिन्दगी रही तो आपके साथ पहाड़ो पर जायेगे
ReplyDeleteNice place ..bahut acchi jagah h hh....waha pr main kya h shiv mqndir h kya waha jana h humne....or sirf hum 2 fnd hh..
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