समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई पर उत्तराखंड के गढवाल के चमोली जिले के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित तुंगनाथ मंदिर को पंच केदार में से एक की मान्यता है साथ ही साथ इसे विश्व में सबसे उंचाई पर स्थित शिव मंदिर माना जाता है
समुद्र तल से 3680 मीटर की उंचाई पर उत्तराखंड के गढवाल के चमोली जिले के तुंगनाथ पर्वत पर स्थित तुंगनाथ मंदिर को पंच केदार में से एक की मान्यता है साथ ही साथ इसे विश्व में सबसे उंचाई पर स्थित शिव मंदिर माना जाता है ।
मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुराना है और इसका निर्माण पांडवो द्धारा किया जाना कहा जाता है । कहा जाता है कि कुरूक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण शिव पांडवो से रूष्ट थे और उन्हे प्रसन्न करने के लिये ही पांडवो ने इस मंदिर का निर्माण किया ।
इतनी उंचाई पर बसे होने के कारण यहां निश्चित तौर पर सर्दियो में बर्फ पडती है और जुलाई अगस्त के महीने में यहां पर मौजूद बुग्यालो की सुंदरता चार चांद लगाती है ।
एक खास बात और है इस मंदिर की और इसके आसपास के क्षेत्र की कि ये जगह बहुत उंचाई यानि बारह से चौदह हजार फुट की उंचाई पर होने के बावजूद हर किसी की पहुंच में है क्योंकि चोपता तक बस या अपने वाहन से बडे आराम से आ सकते हैं और उसके बाद के तीन किलोमीटर का रास्ता भी ज्यादा मुश्किल नही है ।
रिषीकेश से गोपेश्वर 212 किलोमीटर है और गोपेश्वर से चोपता चालीस किलोमीटर है
अगर दसरे रास्ते से आना चाहें तो पहले रिषीकेश 180 किलोमीटर है और वहां से पच्चीस किलोमीटर के लगभग चोपता है । दोनो जगह के लिये बस की सुविधा रिषीकेश से उपलब्ध है ।
मंदिर करीब एक हजार वर्ष पुराना है और इसका निर्माण पांडवो द्धारा किया जाना कहा जाता है । कहा जाता है कि कुरूक्षेत्र में हुए नरसंहार के कारण शिव पांडवो से रूष्ट थे और उन्हे प्रसन्न करने के लिये ही पांडवो ने इस मंदिर का निर्माण किया ।
इतनी उंचाई पर बसे होने के कारण यहां निश्चित तौर पर सर्दियो में बर्फ पडती है और जुलाई अगस्त के महीने में यहां पर मौजूद बुग्यालो की सुंदरता चार चांद लगाती है ।
एक खास बात और है इस मंदिर की और इसके आसपास के क्षेत्र की कि ये जगह बहुत उंचाई यानि बारह से चौदह हजार फुट की उंचाई पर होने के बावजूद हर किसी की पहुंच में है क्योंकि चोपता तक बस या अपने वाहन से बडे आराम से आ सकते हैं और उसके बाद के तीन किलोमीटर का रास्ता भी ज्यादा मुश्किल नही है ।
रिषीकेश से गोपेश्वर 212 किलोमीटर है और गोपेश्वर से चोपता चालीस किलोमीटर है
अगर दसरे रास्ते से आना चाहें तो पहले रिषीकेश 180 किलोमीटर है और वहां से पच्चीस किलोमीटर के लगभग चोपता है । दोनो जगह के लिये बस की सुविधा रिषीकेश से उपलब्ध है ।
TUNGNATH AND NOW TOP TO CHANDRSHILA
ReplyDeleteबहुत दिन हो गए ऐसे स्थान देखे हुए - याद दिलाने का आभार .
ReplyDeletebahut sunder
ReplyDeleteजाने की बहुत इच्छा है पर मन मारती रहती हु ..
ReplyDeleteअजी व्यक्तिगत आभार तो हिंदी ब्लॉगजगत को होना चाहिए आपके इस अदभुत प्रयास और श्रम के लिए । इतनी खूबसूरत जगह से इतनी खूबसूरत पोस्ट में यूं खूबसूरती से मिलवाने के लिए , आपका एक खूबसूरत सा शुक्रिया अदा करते चलें आपको ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..
ReplyDeleteWhat a view and what a fantastic place!
ReplyDeleteवाह कै बात से...सच में हम तो खाने पीने में लगे रहते हैं...राहुल सांकृत्यान की सीख को चरितार्थ कर रहे हो आप यार। कभी मौका मिले तो आपके साथ निकल पड़ना चाहूंगा...आप को पढ़ पढ़ के बचपन की सारी ख्वाहिशें याद आती रहती हैं,,.घूमा तो मैं भी कई राज्यों में हूं...पर इस तरह की घुमक्कड़ी नहीं कर सका...मैं तो खैर अवारगी में रहता हूं...उम्मीद करता हूं कि आपकी तरह घुमक्कड़ी भी कर सकूंगा...
ReplyDeleteआपने तो दर्शन हमें घर बैठे करवा दिये :)
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