असल में बैसाखी का त्यौहार था अगले दिन और इसलिये मेला लगा हुआ था रिवालसर में । मै सुंदरनगर की झील के फोटो लेकर चला तो दिमाग में बस इतना ही था कि नर चौक तक पहुचं जाता हूं और वहीं पर रूकता हूं क्योंकि बाइक नर चौक तक माइलस्टोन के हिसाब से 477 किलोमीटर चल जानी थी । एक दिन में इतना सफर वो भी आधी खराब हो चुकी बाइक से बडा मुश्
ये नजारा मेरे लिये खास था |
रिवालसर के बारे मे आप सब लोगो ने पढा भी होगा और सुना भी होगा पर जैसा नजारा मेरे हाथ लगा उस दिन वैसा कम ही मिल पाता है । असल में बैसाखी का त्यौहार था अगले दिन और इसलिये मेला लगा हुआ था रिवालसर में । मै सुंदरनगर की झील के फोटो लेकर चला तो दिमाग में बस इतना ही था कि नर चौक तक पहुचं जाता हूं और वहीं पर रूकता हूं क्योंकि बाइक नर चौक तक माइलस्टोन के हिसाब से 477 किलोमीटर चल जानी थी । एक दिन में इतना सफर वो भी आधी खराब हो चुकी बाइक से बडा मुश्किल था । पचास से उपर तो क्या कभी कभी तो चालीस ही चल पा रही थी इसलिये मैने सोचा कि नर चौक अपने नाम की तरह काफी बडी जगह होगी तो वहीं रूककर कल बाइक रिपेयरिंग के लिये देकर रिवालसर निकल जाउंगा । जब नर चौक पहुंचा तो रास्ते में रूकने के लिये होटल देखता रहा और जब तक कोई होटल नजर आये तब तक नर चौक समाप्त होने लगा था ।
मैने एक टायर पंक्चर वाले की दुकान पर बाइक रोककर पूछा कि भाई रिवालसर को रास्ता कहां से जाता है तो उसने बताया कि बस दस कदम आगे से उल्टे हाथ को मुड जाना बीस किलोमीटर है यहां से उसने लगे हाथो एक सवाल भी कर डाला कि मेले में आये हो
मैने पूछा कि कैसा मेला तो उसने बताया कि बैसाखी का मेला लगा है । मैने अपने मन में सोचा कि हो ना हो वहां पर तो काफी भीड होगी तो यहीं नर चौक में ही रूकना सही होगा पर उस टायर पंक्चर वाले भाई ने बताया कि जगह की वहां पर कोई कमी नही मिलेगी । उसके दिलासा देने पर मै रिवालसर की ओर चल पडा । करीब एक घंटे का सफर था और चढाई भी ठीक ठाक ही थी । मै अपनी बाइक पर फिर से भरोसा कर रहा था और वो मेरे भरोसे पर अब तक खरी भी उतर रही थी । आज रिवालसर पहुंचते ही मैने अब तक का सबसे लम्बा सफर कर लिया था एक दिन में 497 किलोमीटर का
आप रिवालसर के नजारे देखो पर मै इनके बारे में अगली पोस्ट में बताउंगा
आप रिवालसर के नजारे देखो पर मै इनके बारे में अगली पोस्ट में बताउंगा
बेहद रोचक एवं दिलचस्प...
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