नैना भगवती मंदिर , मणिकर्ण एक सुंदर मंदिर है । ब्रहमांड पुराण के अनुसार भगवान शंकर व माता पार्वती ने मणिकर्ण के इस सुरम्य एवं अलौकिक स्थान पर 11000 वर्षो तक तपस्या की । जलक्रीडा करते हुए माता पार्वती के कानो के आभूषण की मणि जल में गिर गयी । भगवान शिव के गणो ने भी उसे बहुत ढूंढा पर वो नही मिली । इस पर शंकर जी क्रोधित हो उठे । सारा
नैना भगवती मंदिर , मणिकर्ण एक सुंदर मंदिर है । ब्रहमांड पुराण के अनुसार भगवान शंकर व माता पार्वती ने मणिकर्ण के इस सुरम्य एवं अलौकिक स्थान पर 11000 वर्षो तक तपस्या की । जलक्रीडा करते हुए माता पार्वती के कानो के आभूषण की मणि जल में गिर गयी । भगवान शिव के गणो ने भी उसे बहुत ढूंढा पर वो नही मिली । इस पर शंकर जी क्रोधित हो उठे । सारा ब्रहमांड कम्पायमान हो उठा । तब शंकर जी ने अपना तीसरा नेत्र खोला । इस दिव्य नेत्र से शक्ति प्रकट हुई जिसका नाम नैना देवी हुआ । नैना देवी ने ही बताया कि माता भगवती की खोयी हुई मणि पाताल लोक में शेषनाग के पास है । देवताओ के आग्रह पर शेषनाग ने माता पार्वती की मणि एवं अन्य असंख्य मणियां वापिस कर दी । मणि वापिस करने के लिये शेषनाग जी ने फुकार मारी जिससे यहां पर गर्म पानी के फव्वारे फूट पडे । पार्वती जी को मणि मिल गयी जिसके बाद शंकर जी का क्रोध शांत हो गया । इसी से इस स्थान का नाम मणिकर्ण पडा ।
रात के समय लिया गया फोटो नैना भगवती मंदिर का
रात के समय लिया गया फोटो नैना भगवती मंदिर का
बहुत ही सुन्दर वर्णन हैं. मंदिर बहुत खूबसूरत हैं...
ReplyDeleteuttam ati uttam aapki yah yatra varnan aur photos .manikaran ki kahani bhi batane ke liye dhanyvaad.
ReplyDeleteबहुत ज्ञानवर्धक और रोचक प्रस्तुति..
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