chandrtaal, ( moon lake ) spiti, himachal ,मून लेक , चन्द्रताल , स्पीति , हिमाचल day 4 -16 चन्द्रताल झील एक किमी0 लम्बी , आधा किमी0 चौडी और...
chandrtaal, ( moon lake ) spiti, himachal ,मून लेक , चन्द्रताल , स्पीति , हिमाचल day 4 -16
चन्द्रताल झील एक किमी0 लम्बी , आधा किमी0 चौडी और लगभग दो किमी0 के व्यास में फैली हुई है । इसे मून लेक भी कहा जाता है । कहा जाता है कि पांडवो ने अपने अज्ञातवास में यहां पर समय व्यतीत किया था । कहते हैं कि ये झील दिन में तीन बार अपने पानी का रंग बदलती है या ऐसा भी कहा जा सकता है कि प्रातकाल , दोपहर और शाम को इसके पानी का रंग अलग अलग दिखता है ।
वैसे तो इस झील का पानी क्रिस्टल क्लीयर यानि शीशे जैसा साफ है । इतना साफ भी और इतना ही ठंडा भी । बर्फ के टुकडे तैरते देखे जा सकते हैं । हम जब कैम्पिंग साइट पर पहुंचे जो कि आधा किलोमीटर पहले है तो साढे छह बज चुके थे । यहां पहुंचते ही हमने बाइके खडी कर दी और जाट देवता ने यहां पर एक टैंट लगाये स्थानीय व्यक्ति से जानकारी लेनी शुरू कर दी रहने और खाने के बारे में ।
उस बंदे ने यहां पर टैंट लगा रखा है ताकि जो लोग अपने टैंट या खाने के बिना यहां पर आयें उन्हे सुविधा दे सके । 150 रूपये में खाना बताया उसने जाट देवता को । चूंकि टैंट तो हमारे पास अपना था और स्लीपिंग बैग् भी । राकेश यहां टैंट लगाने के लिये आतुर था । मै मना कर रहा था क्योंकि साढे छह बज रहे थे और सूरज तो जा ही चुका था बस अंधेरे का इंतजार था । लोकल बंदा बार बार यही कह रहा था कि पहले टैंट लगा लो नही तो फिर हवा तेज चलने लगेगी । दो तीन टैंट और भी लगा रखे थे लोगो ने ।
मैने बस जाट देवता से इतना कहा कि पहले झील पर चलो और उसे दिन के उजाले में देख लो । फिर आकर अगर इरादा बना तो टैंट लगा लेंगे और अगर वापस आगे चलने का इरादा बना तो नही लगायेंगें । पर वो लोकल बंदा बार बार इसी बात पर जोर दे रहा था कि नही पहले टैंट लगा लो क्योकि उसे पता था कि अगर ये एक बार झील पर चले गये और ये वहां पर घूम फिर आये तो फिर ये सोचेंगें कि अब यहां पर क्या करना है और फिर उसकी तो बढिया आमदनी गयी । पर हां अगर टैंट लगा लिया तो उसके बाद पक्का है कि हम वहीं पर रूकेंगें । यही बात मै जाट देवता को समझा रहा था कि जब हम टैंट लगाकर उठेंगें तब तक अंधेरा हो जायेगा तो फिर हम झील कहां देख पायेंगें ?
जाट देवता थोडे असमंजस में पडे तो मैने अपनी बाइक पर टंगा टैंट उतारकर दे दिया कि आप लगा लो मै नही लगा रहा टैंट और पहले झील देखने जाउंगा फिर देखूंगा कि क्या करना है रूकना है या चलना है आगे । फिर जाट देवता ने भी मना कर दिया और चल पडे झील की ओर ।
झील पर कई लोग थे उनमें से कुछ तो ट्राईपाड लिये खडे थे इंतजार में कि कब हवा रूके और पानी स्थिर हो ताकि बर्फ से ढके पहाडो का अक्स पानी में आये और वे उसे अपने कैमरे में कैद कर सकें । हमने भी अपने फोटो खींचे और वापस चल पडे । जब हम वापस कैम्पिंग साइट पर आये तो और दो बाइक वाले थे वे वापस जा रहे थे । जाट देवता ने उनसे पूछा कि यहां नही रूकोगे तो वे बोले कि नीचे बातल में 50 रूपये में रूकना और 50 में खाना है तो यहां क्यों रूके फिर यहां पर ठंड और भी ज्यादा है । बस फिर क्या था मै भी और जाट देवता भी दोनो उनके पीछे हो लिये एक घंटे में हम बातल में थे ।
Man khush ho jata hai aapke photos dekhkar. Lajawaab.
ReplyDeleteThanks.
शानदार नजारे
ReplyDeleteक्या बात है।
ReplyDeleteवाह...उत्तम...इस प्रस्तुति के लिये आप को बहुत बहुत धन्यवाद...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@ग़ज़ल-जा रहा है जिधर बेखबर आदमी
वाह !
ReplyDeleteBahut Badiya....kya pictures hain
ReplyDeleteAdbhut .......
ReplyDeleteLOVE THE MARVELOUS IMAGES!
ReplyDeleteचन्द्रताल की ठन्ड, रोके नहीं रुक रही थी
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