Guest house , Kareri village , himachal इन खेतो से निकलकर उन लडकियों ने हमें हमारा रास्ता दिखा दिया कि आपको जहां जाना है वो गेस्ट हाउस ग...
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हम करेरी गेस्ट हाउस पहुंचे । गेस्ट हाउस बंद था । कमरो पर ताला लगा था पर गेस्ट हाउस का बरामदा काफी बडा था । यहां पर एक कुत्ते के सिवाय कोई नजर नही आ रहा था । हमारा एक मित्र यहां पर कुछ दिनो पहले होकर गया था । उसने बताया था कि यहां का केयरटेकर करेरी गांव का ही निवासी है ।
जाट देवता ने अपने मित्र विपिन को फोन मिलाया और उससे केयरटेकर का नम्बर लिया । गेस्ट हाउस के थोडी दूर पर एक दुकान थी । जब तक केयरटेकर से बात हुई और उसने आने के लिये कहा तब तक हम दुकान वाले के पास जा पहुंचे । हमने उस दुकानदार से केयरटेकर के बारे में पूछा तो उसने भी फोन मिलाया और बताया कि इंतजार करो कुछ देर में आ जायेगा । तब तक हम उस दुकान वाले से धौलाधार को पार करने के बारे में पूछने लगे
वहां पर दो लडके और आ गये । उनमें से एक ने हमें अपनी गाइड के रूप में यात्राऐं बतानी शुरू कर दी । उसने हमें अपनी पिछली यात्राऐं जिसमें धौलाधार पार किया था वो भी बतायी और अपने मोबाईल में फोटो भी दिखाये । हमें ऐसा ही बंदा चाहिये था । हमने उससे पैसो की बात की । हमने उससे बात की कि वो हमारे साथ हमारा सामान आदि लेकर चले और मार्ग भी बताये । उसने 500 रूपये मांगे रोज के और हमने हां कर दी । उसे चम्बा से यहां तक का वापसी का किराया भी देना था । जब सारी बाते लगभग तय हो गयी तो मोबाईल नम्बर का आदान प्रदान हो गया । साथ ही हमने उस दुकान वाले से उस लडके के बताये मुताबिक दाल , चावल , बिस्कुट , चाकलेट आदि सामान खरीद लिये ।
केयरटेकर के ना आने पर हमने सोचा कि हमारे पास टैंट है तो हम इसे ही लगा लेते हैं । आज टैंट पहली बार खोला था पर सफलतापूर्वक हमने गेस्ट हाउस के बरामदे में लगा लिया । जब हम सब काम सफलतापूर्वक कर चुके तो उसके बाद गेस्ट हाउस का केयरटेकर सुभाष आया । उसने हमारा टैंट देखकर भी हमसे कुछ नही कहा । मुझे इस बारे में नही पता पर शायद हमें टैंट बाहर लगाने की ही अनुमति होती होगी । हमने कमरे के रेट के बारे में भी पता किया । उसके बाद हमने सुभाष से पूछा कि क्या वो हमारे लिये खाना बना देगा ? उसने हां भर दी
गेस्ट हाउस के पीछे एक कमरा बना था जिसमें उसने दो तख्त डाल रखे थे । उसी में उसकी रसोई थी जहां पर उसने खाना तैयार करने के बाद हमें बुला लिया । हमने आराम से खाना खाया जिसमें चावल और रोटी दोनो चीज थी । इससे बढिया और क्या हो सकता था । अब हमने उससे अपनी यात्रा के बारे में विमर्श किया तो उसने कहा कि अगर आपको नाश्ता चाहिये तो बता देना । हमें तो नाश्ता मिल जाये तो रात का जो लडका हमारे साथ जाता वो ही हमारा खाना बना देता । दिन में तो हम बिस्कुट आदि से काम चला लेते ।
हमने उसे परांठे बनाने को कहा तो उसने कहा कि मै अपने घर से बनवाकर ला दूंगा सुबह सुबह । हमें इसमें कोई दिक्कत नही थी । रात को जब हम लोग टैंट में सोने को घुस गये तो उस लडके के फोन से उसके पिता का फोन आया । जाट देवता ने बात की तो उन्होने बताया कि मेरे लडके ने आकर बताया कि कल सुबह वो आपके साथ जा रहा है पर मेरा मन उसको इस समय भेजने को नही कर रहा है क्योंकि यहां पर इतने दिन से बारिश हो रही है और रास्तो की स्थिति बहुत खराब है । ऐसे में मै उसे भेज दूं इसकी गवाही मेरा दिल नही दे रहा है । उसके पिता ने तो कह कर फोन रख दिया पर हम टेंशन में आ गये । हमें तो रास्ता पता नही था और फिर लोकल बंदे इतने घबरा रहे हैं तो फिर रास्ते सच में ज्यादा खराब होंगें । वैसे इतना तो हमें पता चल गया था कि रास्ते नही हैं बस पगडंडिया हैं ।
ये महाशय साथ ही रहे अगले दिन तक |
पहली बार टैंट लगाने की तैयारी चरम पर है |
पहली बार टैंट लगाने की तैयारी चरम पर है |
Guest house , Kareri village , himachal |
रात की मीटिंग |
Guest house , Kareri village , himachal |
सुबह का नाश्ता चाय परांठा |
सुभाष अपने बेटे के साथ खाना बनाता हुआ |
रास्ता शायद वाकई खराब होगा तभी तो वहा के लोकल भी वहा जाने को तैयार नही हुए
ReplyDeleteदमदार चाय पराठा।
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