Dwarkadheesh , char dham , Dwarka , 12 jyotirling ,Gujrat द्धारिकाधीश मंदिर ,चार धाम ,गुजरात
dwarikadheesh temple ( photo by vishal rathod ) |
द्धारका के बारे में कई किवदंतिया प्रचलित हैं । द्धारका को श्रीकृष्ण के द्धारा बसाई गयी और निवास की गयी नगरी के रूप में जाना जाता है । कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण अपने परिवार और प्रियजनो के साथ मथुरा से बाहर निकलकर रहने के लिये कोई जगह ढूंढते हुए इस स्थान पर आये । ये जगह उन्हे बहुत पसंद आयी तो उन्होने यहीं पर रहने का मन बना लिया । भगवान विश्वकर्मा को बुलाया गया ताकि वे एक नयी और सुंदर नगरी का निर्माण कर सकें । भगवान विश्वकर्मा ने भी इस जगह को सुंदर बताया लेकिन जगह कम होने का हवाला दिया । जब समुद्र देव से प्रार्थना की गयी और उन्होने भगवान की इस नगरी की स्थापना के लिये 12 योजन भूमि प्रदान करने के लिये अपनी सीमा घटा दी ।
इसके बाद भगवान विश्वकर्मा ने यहां पर एक सुंदर नगरी का निर्माण किया । भगवान श्रीकृष्ण अपने निर्वाण के समय तक यहीं पर रहे । सोमनाथ में स्थित भालकातीर्थ जो कि त्रिवेणीसंगम पर स्थित है में ही उनके पैर में तीर लगना बताया जाता है । सिंधुसागर जिसे अब अरबसागर कहा जाता है के पश्चिमी तट पर बसी इस नगरी को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है और द्धारिकाधीश जी के मंदिर को हिंदुओ के प्रसिद्ध चार धाम में माना जाता है ।
इसी धरती पर मीराबाई ने अपनी देह त्याग दी थी । ऐसा माना जाता है कि प्राचीन द्धारका सोने की बनी थी । जैसा कि शास्त्रो मेंं कहा गया है कि श्रीकृष्ण जी के साथ साथ पुरानी द्धारका भी समुद्र में समा गयी । इसके प्रमाण समुद्र में मिलते हैं
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जब हम द्धारिका में पहुंचे तो द्धारिका से बीस पच्चीस किलोमीटर पहले से ही उजाड और वीरान इलाका था । वहां पर कोई खेती नाम की चीज नही थी । बस दूर दूर तक छोटे मोटे झाड दिखते थे या फिर पवन उर्जा के बडे बडे खम्बे । वे खम्बे इस हिसाब से लगाये गये थे कि अगर किसी भी तरफ से हवा चले तो कुछ पंखे तो चलेंगें ही । उनमें से ग्रुप के हिसाब से पंखे लगे थे इसलिये फिलहाल जिधर की हवा चल रही थी उधर के पंखे चल रहे थे बाकी बंद भी थे दूसरी ओर वाले ।
द्धारिका आने पर हमने अपनी गाडी को पहले शहर के अंदर ही घुमा लिया । यहां पर हमें कुछ लोग खडे भी मिल गये जो कि होटल दिलाने वाले थे । उनमें से एक हमारी गाडी में बैठ गया और हमें काफी अंदर तक ले गया । उसने हमें दो तीन होटल दिखाये पर हमें उनमें से कोई महंगा लगा तो कोई पसंद नही आया । हमने उसे अपना बजट बताया कि हमें तो 300 रूपये तक के तीन कमरे चाहियें इससे ज्यादा नही तो फिर उसने हमें एक और कमरा दिखाने के लिये बाहर की ओर जहां से शहर शुरू होता है वहीं पर ले आया । यहां पर एक नया बना होटल था जिसका नाम जानकी होटल था ।
नया बना होने की वजह से कमरे बढिया थे सो पसंद ना आने का तो सवाल ही नही था बस पैसो की लेनदेन कीे बात फाइनल होते ही हमने अपने अपने कमरे घेर लिये । कमरो में सामान रखने के बाद हम लोग मंदिर की ओर पैदल ही चल पडे । द्धारका में आप किसी भी होटल में रूको तो मंदिर ज्यादा दूर नही है । पैदल ही आराम से जा सकते हो । तो हम भी मंदिर की ओर पैदल ही चल दिये । कैमरा ले जाना ही नही था सो कमरे पर ही रख दिया मंदिर के बाहर जूते चप्पल और अमानती सामान रखने के लिये काउंटर बना है । चूंकि फोन वगैरा अंदर नही ले जा सकते इसलिये हमने सब सामान यहां पर जमा करा दिया
द्धारकाधीश मंदिर में सुविधाऐं बहुत अच्छी हैं । ये गुजरात सरकार और वहां के पर्यटन मंत्रालय का ही कमाल है कि वहां पर सब कुछ अच्छे तरीके से मैंटेन किया जाता है । यहां का सिक्योरिटी स्टाफ आपको सही रास्ता बताने के लिये हर समय तैयार है । जगह जगह मैटल डिटेक्टर और स्कैनर के साथ सुरक्षाकर्मी तैयार हैं । सब स्कैनर और उपकरण चलती दशा में हैं । बहुत ज्यादा देर नही लगी और हम मंदिर के अंदर पहुंच गये । भीड काफी थी पर हमें दूर से ही भगवान द्धारिकाधीश के दर्शन हो रहे थे । जिस समय हम पहुंचे उस समय आरती चल रही थी । हमें भी आरती में शामिल होने का सौभाग्य मिल गया ।
जगत के स्वामी द्धारिकाधीश जी के इस मंदिर को 2500 वर्ष से अधिक पुराना बताया जाता है । 150 फुट उंचे इस मंदिर की पांच मंजिले हैं । इस मंदिर का निर्माण भगवान कृष्ण के प्रपोत्र वज्रनभ द्धारा बताते हैं । इसका शिखर 43 मीटर उंचा है जिस पर 52 गज कपडे से बना झंडा फहराता रहता है । मुख्य द्धार स्वर्गद्धार कहलाता है जिससे प्रवेश होता है और जिस गेट से बाहर निकलते हैं उसे मोक्षद्धार कहते हैं ।
आरती के बाद पास से दर्शन करने को मिले और वो भी बिना किसी धक्कामुक्की के । भगवान द्धारिकाधीश जी का विग्रह बहुत ही सुंदर है । कोई भी उन्हे देखकर मंत्रमुग्ध हुए बिना नही रह सकता । एक अलग ही आकर्षण सा है । भगवान द्धारिकाधीश अर्थात द्धारिका के राजा या स्वामी जिन्हे देखकर मन को असीम शांति मिलती है ।
काफी भीड होने के बावजूद भी मंदिर में सब कुछ जितने अच्छे तरीके से मैनेज किया जाता है वो देखने लायक है । श्रद्धालुओ को भगवान के दर्शन करने का भरपूर मौका मिलता है । ना धक्का मुक्की , ना खींचतान और फेंकना और ना ही पैसे के लिये लूटमार । यहां ये सब नही है ।
मंदिर के दर्शन करने के बाद हम बाहर निकले तो यहां की तंग गलियो में घूमें । लोकल लोग ज्यादातर प्रसाद या द्धारकाधीश से जुडी चीजे बेचते हैं । जब हम वहां पर गये थे तब भी द्धारकाधीश जी के भजन और रिंगटोन को मैमोरीकार्ड और पैनड्राइव में डाउनलोड किया जा रहा था । मैने भी यहां पर द्धारकाधीश जी के भजन डाउनलोड करवाये । यहां पर पीने के पानी की दिक्कत जरूर हो जाती है कभी कभी । आमतौर पर यहां का पानी पीने तो क्या नहाने लायक भी नही है इसलिये होटलो में टैंकरो के द्धारा पानी मंगाया जाता है कई कई सौ किलोमीटर दूर से तो ऐसे में कमरे महंगे हो जाते हैं ।
हमारे होटल वाले ने पहले ही बता दिया था कि 250 रूपये में कमरा दे रहा हूं तो इसलिये आपको पानी पीने की एक बोतल दे दूंगापर इससे ज्यादा पानी आपको चाहिये तो फिर खरीदकर पीना पडेगा । हम भी कम सयाने नही थे । हमने दो दो लीटर की बोतल प्रति आदमी के हिसाब से ले ली और उसके बाद हमने बाकी अगले दिन मंदिर में लगे कूलर से पानी भर लिया । इस तरह हमें पानी खरीदना नही पडा ।
1-तैयारी लम्बी यात्रा की
2-pushkar ,ajmer, rajasthan,पुष्कर ,अजमेर,राजस्थान
3-chittodgarh ,rajasthan,चित्तौडगढ , राजस्थान
4-udaipur , rajasthan,म्हारी चूनर मंगा दे ओ , ओ ननदी के बीरा
5-Udaipur, Rajasthan, प्यार हो जायेगा................
6-udaipur , rajasthan,म्हारी चूनर मंगा दे ओ , ओ ननदी के बीरा
7-City palace , udaipur , मेवाड को जानना है तो इसे देखिये
8-Nathdwara , Ekling ji, Rajasthan,नाथद्धारा ,एकलिंग जी , राजस्थान
9-Mount Abu ..................
10-Dilwara Jain Temple , दिलवाडा जैन मंदिर , माउंट आबू , राजस्थान
11-Lakhota fort.........और रंग रंगीले देशी जुगाड
1-तैयारी लम्बी यात्रा की
2-pushkar ,ajmer, rajasthan,पुष्कर ,अजमेर,राजस्थान
3-chittodgarh ,rajasthan,चित्तौडगढ , राजस्थान
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10-Dilwara Jain Temple , दिलवाडा जैन मंदिर , माउंट आबू , राजस्थान
11-Lakhota fort.........और रंग रंगीले देशी जुगाड
यही था हमारा होटल |
Have visited Gujarath briefly. Seen Dwaraka too. Heavenly. Everything in that state was nice. Somanath temple, Ahmedabad, Jamnagar roads, the wind mills...food, roads.
ReplyDeleteBahut sundar yatra vritant
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