Nepal yatra - जब फेवा ताल को घूम लिया तो हम पोखरा के कुछ और स्थानो को देखने चल पडे । हमें फेवा लेक से ही पहाडी के उपर सुंदर सा शा...
Nepal yatra -
जब फेवा ताल को घूम लिया तो हम पोखरा के कुछ और स्थानो को देखने चल पडे । हमें फेवा लेक से ही पहाडी के उपर सुंदर सा शांति स्तूप दिख रहा था । वहां तक जाने का रास्ता पूछा तो एक लोकल बंदे ने बताया कि पृथ्वी चौक से सीधे हाथ को जाना है । हम उसी रास्ते को चल दिये । वैसे तो इस समय ट्रैफिक ज्यादा नही था लेकिन सडक देखकर उम्मीद थी कि इस रास्ते पर दिन में काफी भीड भाड रहती होगी । यहां से निकलकर हम आगे हमें पोखरा का एयरपोर्ट मिला । एयरपोर्ट से सीधी सडक आयी और एक जगह को गहराई में जाकर यहां पर गुप्तेश्वर मंदिर और डेविस फाल आया पर हम यहां पर नही रूके । यहां से चढाई शुरू हो गयी और उसके बाद दो किलोमीटर के करीब चलने के बाद एक रास्ता दिखायी दिया जहां मोड पर लिखा था कि ये शांति स्तूप का रास्ता था
यहां से एक डेढ किलोमीटर ही शांति स्तूप है लेकिन रास्ता जो था वो एकदम खडी चढाई वाला था । 150 सीसी की बाइक भी एकदम से बोल गयी और पहले गियर में ही चढानी पडी । थोडी दूर जाकर दो रास्ते कट गये । एक रास्ते पर थोडा नीचे जाकर पार्किंग दिख्र रही थी और सीढिया जबकि दूसरे रास्ते पर भी शांति स्तूप का रास्ता ही दिख्र रहा था तो हम उपर की ओर ही चल दिये उपर चढते समय मौसम इतना मजेदार हो रहा था कि सूरज को भी सही से निकलने नही दे रहा था तो एक सनसेट जैसा मौका बन गया था जिसे बाइक रोककर पहले कैमरे में कैद किया गया ।
आधा किलोमीटर उपर चलने के बाद फिर से पार्किंग आ गयी । यहां से भी शांति स्तूप जाने के लिये नया रास्ता बनाया जा रहा है जिस पर गाडियां आ जा सकेंगी लेकिन केवल छोटी गाडियां । फिलहाल हमें दो सो मीटर दूर बाइक खडी करनी पडी और हम वहां से पैदल चल पडे । बस ये पैदल चलने वाला रास्ता ही मजेदार था क्योंकि यहां पर बहुत गहरी सी शांति थी और इस शांति को कुछ आवाजे अगर भंग करती थी तो वो थी प्यारी प्यारी चिडियो की आवाजे और उन आवाजो को देखने के बहाने से हमें बहुत सारी चिडिया देखने को मिली यहां तक कि दिन के समय में उल्लू भी मुझे तो पहली बार देखने को मिला । उन सब चिडियो को पहली बार ही देखा था और उन सबके फोटो मैने एक ही पोस्ट में लगा दिये हैं ।
शांति स्तूप बिलकुल ऐसा ही है जैसा कि उडीसा के धौली में है और बताते हैं कि इसे जापानी लोगो ने बनाया था । इसे बनाने के समय उन्हे बुद्ध विरोधी लोगो का विरोध भी झेलना पडा और इस चक्कर में एक दो जापानी मारे भी गये थे । स्तूप पर हमारे जाने के समय थोडे ही लोग थे जिनमें कुछ स्कूली बच्चे थे । हमने भी वहां पर फोटो खिंचवाऐ और चल पडे । वापसी में भी हमें फिर से कुछ चिडिया मिली जिनके चक्कर में आधे घंटे तक और वहीं पर रहे । यहां से फेवा लेक का भी नजारा बढिया दिखता है पर आज तो मौसम बहुत ही दुश्मनी निभा रहा था ।
यही है मोड स्तूप तक जाने का |
ये है नीचे की साइड वाला पार्किंग |
ये रास्ता बन रहा है |
फेवा लेक |
बहुत खूबसूरत चित्र सुंदर वर्णन ।
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, सीमा, नदी और पुल :- ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteऐसा शांति स्तूप दिल्ली में भी बना है।है।सराय काले खां के पास पर ऐसे नजारे ऐसी शांति तो यही पर ही मिल सकती है।
ReplyDeleteNasik mein bhi h sachin bhai
ReplyDeleteगज़ब नजारा देखने को मिला
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