परम प्रिय मित्र और वर्तमान में ओरछा में तैनात मुकेश पांडेय जी से जब बात हुई इस बारे में तो उन्होने बताया कि एक बार यहां किसी होटल के ए...
परम प्रिय मित्र और वर्तमान में ओरछा में तैनात मुकेश पांडेय जी से जब बात हुई इस बारे में तो उन्होने बताया कि एक बार यहां किसी होटल के एड के लिये बात चल रही थी तो इस पर चर्चा जारी थी कि विज्ञापन कैसा बनाया जाये । पांडेय जी ने सुझाव दिया कि एड ऐसा हो कि पूरी फैमिली बैठी हुई हो और हर सदस्य की राय अलग अलग हो । बच्चे एडवेंचरस चाहते हों , माता पिता धार्मिक , कोई ऐतिहासिकता यानि किले , महल आदि देखना चाहता हो तो कोई सिर्फ प्रकृति प्रेमी हो तो ऐसी जगह तो केवल एक ही हो सकती है ओरछा । कैसे ?
क्योंकि ओरछा एक सम्पूर्ण पैकेज है जो किसी भी घुमक्कड या पर्यटक को चाहिये होता है ।
घुमक्कडो या पर्यटको को क्या चाहिये होता है ?
शांति — ओरछा में शांति बहुत है । यहां पर कितने भी पर्यटक आये हुए हों पर आपको हल्ला गुल्ला नही मिलेगा । यहां पर आपको टूर पैकेज आपरेटर बमुश्किल देखने को मिलेंगें जो आपको जबरदस्ती खींचते मिलेंगें । हो सकता है कि आपको ही ढूंढना पडे उन्हे । नेट पर भी ओरछा का पैकेज बेचने वाले कम ही हैं । बाजार में प्रसाद बेचने वालो का भी ज्यादा हल्ला नही है
वाइल्ड लाइफ — ओरछा में वन्य प्राणी उदयान है जो ज्यादा बडा तो नही है पर इतना कम भी नही है । आप साईकिल या पैदल ही इसे पूरा घूम सकते हो । वैसे इस सैंचुरी पर आगे भी और कई जानवरो के जल्द ही आने की उम्मीद है । इस सेंक्चुरी में अभी यहां पर रहने वाले कुछ लोग और एक दो गांव बाधा बने हुए हैं जिन्हे मुआवजा दिया जा चुका है पर वे इसे खाली करने को तैयार नही हैं पर ऐसा हमेंशा नही रहेगा और जल्द ही ये वन्य प्राणी उदयान आपको बडे बडे जीवो से भरपूर मिलेगा । अभी भी यहां पर काफी प्रजातियां पक्षियो की हैं और ओरछा में आपको विलुप्त प्राय गिद्धो को भी देखने के लिये भी अवसर मिलेगा । ओरछा का वन्य उदयान एक टापू पर बसा है जो कि बेतवा और जामुनी नदियो के बीच में है । कुल 46 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैला होगा मुश्किल से ।वन्य प्रेमी के पास यहां पर पूरा दिन बिताने के लिये पर्याप्त कारण हैं
एडवेंचर — ओरछा में बेतवा नदी की गंगा की तरह की ही मान्यता है और बेतवा को मां कहकर पूजा जाता है पर साथ ही गंगा नदी की तरह बेतवा में भी रिवर राफ्टिंग करने की सुविधा है । ये बात इसे अन्य जगहो से अलग बनाती है क्योंकि आजकल लोगो में रिवर राफ्टिंग और अन्य एडवेंचर खेलो का आकर्षण बना हुआ है । रिवर राफ्टिंग यहां पर बेतवा और जामुनी नदी के संगम तक होती है । बहुत ज्यादा महंगी भी नही है । एक राफ्टिंग यानि नाव का 1500 के आसपास लेते हैं । एक राफट में 6 लोग बैठ सकते हैं । वो सब एक साथ के भी हो सकते हैं अथवा शेयर भी कर सकते हैं । इसके अलावा यहां पर क्याकिंग भी शुरू हो चुकी है । इसमें एक क्याक होती है जिसे दो लोग चप्पू से खुद चलाते हैं । एक क्याक उनके पीछे रहती है जो फोटो खींचने और सुरक्षा के लिये रहती है । इसका खर्च भी 500 रूपये के आसपास का है ।
धार्मिक — ओरछा की पहली पहचान तो धार्मिकता ही है । राजा राम के नाम से जानी जाने वाली इस नगरी का मुख्य आकर्षण श्रीराम जी के दर्शन् ही हैं जो कि यहां के भगवान भी हैं और राजा भी । मौका मिले तो राजा राम जी को दी जाने वाली सलामी भी आकर्षण का केन्द्र है जो कि मध्य प्रदेश पुलिस द्धारा दी जाती है । देखने के लिये चर्तुभुज मंदिर , लक्ष्मी मंदिर के साथ अन्य मंदिर भी हैं । एक बात जो पांडेय जी ने बताई वो ये कि चूंकि यहां रामजी का राज चलता है सो ओरछा से दो किलोमीटर के दायरे में हर तरफ रास्तो पर आपको हनुमान जी का मंदिर जरूर मिलेगा । क्योंकि आपने सुना ही होगा कि रामजी चले ना हनुमान के बिना ओरछा को दूसरी अयोध्या भी कहा जाता है । हालांकि पहली अयोध्या में रामजी वर्तमान में फटे तंबू के अंदर विराजमान हैं तो इस अयोध्या में राजा राम पूरे शाही ठाठ बाट के साथ राजा बनकर विराजमान हैं
ऐतिहासिकता — बुंदेला राजाओ की राजधानी और शासन में रही इस नगरी में महलो और किलो की कमी नही है । जहांगीर महल की भव्यता देखने लायक है और इस किले में पत्थर का काम तो विशेष रूप से उल्लेखनीय है । इसके साथ ही राय प्रवीण का महल और राजा का महल भी सूची में जरूर रखना चाहिये ।
आधुनिकता और पुरातन का संगम — ओरछा में जहां एक तरफ पुरातन किलो और मंदिरो की भरमार है वहीं आधुनिकता भी कम नही है । पंचसितारा होटल हैं ओरछा के राजाओ द्धारा बनाया गया होटल बुंदेलखंड रिवर साइड और राजमहल है तो शीशमहल होटल और रैस्टोरैंट भी बडे बडे पर्यटक स्थलो से होड लेता है । आप यहां पर 500 रूपये से लेकर दस हजार रूपये प्रति रात्रि तक का होटल ले सकते हैं ।
डेस्टिनेशन वेडिंग -ओरछा में डेस्टिनेशन वेडिंग का प्रचलन 400 साल पुराना है । यहां की लोक कहावतो और इतिहास में हरदौल की ऐसी मान्यता है कि पूरे बुंदेलखंड में किसी के घर शादी हो तो सबसे पहले निमंत्रण हरदौल के चबूतरे पर ही आता है । यही नही बहुत लोग तो शादी ही ओरछा में आकर करते हैं । अब उसी को विस्तार मिला है ओरछा पैलेस जैसे शानदार और लग्जरी होटलो से जहां देश विदेश से आकर भी लोग शादी करते हैं । सामान्य आदमी के बस का नही इन होटलो में शादी करना पर अमीर लोगो के लिये यहां शादी के साथ साथ रिश्तेदारो को घुमाने का भी मौका है
सभी मौसम में संभव — ओरछा की सबसे बडी खासियत है कि आप किसी भी समय जाईये आपको सोचने की जरूरत नही है कि ओरछा का मौसम कैसा होगा , आप जा सकते हैं या नही । हम तो भारी बरसात में गये थे तब भी हमें किसी भी तरह की कैसी भी दिक्कत महसूस नही हुई ।
दूरी की उपलब्धता — ओरछा की दिल्ली से दूरी बहुत ज्यादा नही है । आप रात की ट्रेन से बैठकर आराम से सुबह नौ या दस बजे तक ओरछा पहुंच सकते हो ।
लूट खसोट नही —आप राजा राम के मंदिर में दर्शन करने के लिये जायेंगें तो पंडो की लूट खसोट आपको कहीं नही दिखेगी । बाजार में भी प्रसाद या अन्य चीजो में ऐसा कुछ भी नही दिखेगा । इसके अलावा हर चीज यहां पर सस्ती ही मिलेगी क्योंकि ये जगह बुंदेलखंड में है और आज भी यहां पर महंगाई बहुत ज्यादा नही है ।
साहित्य और इतिहास प्रेमियो के लिये — हिंदी साहित्य के प्रथम आचार्य केशवदास की जन्मभूमि और कर्मभूमि ओरछा है । यही नही बरूआ सागर से फिल्मी गीतकार इंदीवर , मउरानीपुर से उपन्यासकार वृंदावन लाल वर्मा , चिरगांव से मैथिलीशरण गुप्त के अलावा मेंढकी से लोककवि ईसुरी पैदा हुए । आजादी के आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर आजाद यहां पर गुप्त रूप से काफी समय तक रहे और उनकी याद में यहां उस स्थान पर स्मारक भी है
साहित्य और इतिहास प्रेमियो के लिये — हिंदी साहित्य के प्रथम आचार्य केशवदास की जन्मभूमि और कर्मभूमि ओरछा है । यही नही बरूआ सागर से फिल्मी गीतकार इंदीवर , मउरानीपुर से उपन्यासकार वृंदावन लाल वर्मा , चिरगांव से मैथिलीशरण गुप्त के अलावा मेंढकी से लोककवि ईसुरी पैदा हुए । आजादी के आंदोलन के दौरान चंद्रशेखर आजाद यहां पर गुप्त रूप से काफी समय तक रहे और उनकी याद में यहां उस स्थान पर स्मारक भी है
अब सवाल आता है कि इतना सब होने के बाद आपको कितना समय देना चाहिये ओरछा को तो मै आपको आपके हिसाब से बताने की कोशिश करता हूं ।
एक दिन — दिल्ली से रात को बैठकर सुबह यहां आकर आप एक दिन में ओरछा घूम सकते हैं । एक दिन में आप राजाराम मंदिर , हरदौल , जहांगीर महल , लक्ष्मी मंदिर और बेतवा नदी के किनारे बनी छतरियां घूम सकते हैं । शाम को वापसी में फिर से झांसी से ट्रेन पकडकर वापस जा सकते हैं ।
दो दिन — अगर आप वीकेंड यानि सप्ताहांत में यहां पर आना चाहते हैं तो ये सबसे बढिया है । शनिवार और रविवार या जो भी आपकी छुटिटयां हैं उसमें आप पहले दिन बतायी गयी जगहो के अलावा ओरछा वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी देख सकते हैं और इन सब जगहो को आराम से और गहराई से देख सकते हैं । दूसरे दिन में आप रिवर राफ्टिंग और बर्ड वाचिंग कर सकते हैं
तीन दिन — आप तीसरे दिन भी ओरछा में रूकना चाहते हैं तो ओरछा से 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाली कुछ जगहो को आराम से घूम सकते हैं ओरछा से 50 किलोमीटर के दायरे में आने वाली कुछ जगहे हैं ।
1—बरूआ सागर — ओरछा से केवल 12 किलोमीटर दूर यहां पर झील , किला और मठ हैं
2—दतिया — दतिया में किला और पीताम्बरा माता का मंदिर है ।
3—झांसी — यहां आने का नजदीकी स्टेशन भी और यहां का किला भी देखने लायक है
4— गढकुन्हार — बुंदेला राजाओ की पहली राजधानी है । यहां पर किला है और हर साल दिसम्बर में महोत्सव होता है ।
ओरछा की इन खासियतो को आपके सामने रखना मुश्किल था यदि पांडेय जी ने इतनी जानकारी और भ्रमण ना कराया होता । यहां तक कि इस पोस्ट का भी श्रेय उन्ही को है क्योंकि मेरा काम तो सिर्फ लेखनी का है बाकी सब जानकारी उन्ही की है । इन सब जानकारी के बाद आप भी इस बार ओरछा का कार्यक्रम बना ही लीजिये
यहां तक पहुंचने की सुविधा भी काफी हैं । ओरछा सबसे नजदीकी शहर झांसी से सडक और रेल से पूरे देश से जुडा हुआ है । नजदीकी हवाई अडडा खजुराहो है जहां पर दिल्ली और वाराणसी से सीधी सेवा है ।
यहां तक पहुंचने की सुविधा भी काफी हैं । ओरछा सबसे नजदीकी शहर झांसी से सडक और रेल से पूरे देश से जुडा हुआ है । नजदीकी हवाई अडडा खजुराहो है जहां पर दिल्ली और वाराणसी से सीधी सेवा है ।
mp tour-
राजा राम मंदिर का बाजार |
राजा राम मंदिर |
विलुप्त गिद्धो की प्रजाति |
छतरियां |
ओरछा का एक नजारा |
जहांगीर महल |
राय प्रवीण का महल |
एक पर्यटक |
बेतवा नदी और उस पर बना पुल |
बेतवा किनारे बनी छतरियां |
बहुत बढ़िया पोस्ट मनु भाई । इन सबके अलावा जो एक बार ओरछा आ जाता है , उसे ओरछा बार बार अपनी ओर खींचता है, बुलाता और लुभाता है । यहां सबके लिए कुछ न कुछ है । कई विदेशी तो भारत हर साल सिर्फ ओरछा के लिए ही आते है । यहां के लोगों के लिए वो विदेशी ओरछा वासी ही लगते है । आखिर ओरछा है , ही अद्भुत !
ReplyDeleteबहुत बढ़िया पोस्ट मनु जी ।
ReplyDeleteएक ही पोस्ट में सम्पूर्ण ओरछा की जानकारी को समेट दिया ।
ओरछा वाकई में अच्छी जगह है, हम लोग भी मुकेश पांडेय जी के सानिध्य में अपने ग्रुप के साथ ओरछा भ्रमण किया है ।
जय हो , घुमक्कड़ी दिल से
बहुत बढ़िया पोस्ट मनु जी ।
ReplyDeleteएक ही पोस्ट में सम्पूर्ण ओरछा की जानकारी को समेट दिया ।
ओरछा वाकई में अच्छी जगह है, हम लोग भी मुकेश पांडेय जी के सानिध्य में अपने ग्रुप के साथ ओरछा भ्रमण किया है ।
जय हो , घुमक्कड़ी दिल से
एक एक बात सच ! वाकई ओरछा से दिल अभी भरा नहीं ।
ReplyDeleteआपकी ब्लॉग पोस्ट को आज की ब्लॉग बुलेटिन प्रस्तुति ब्लॉग बुलेटिन और ओपी नैय्यर में शामिल किया गया है। सादर ... अभिनन्दन।।
ReplyDeleteओरछा के बारे में बहुत अच्छी जानकारी प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!
ReplyDeleteसुन्दर चित्र और बहुत अच्छी जानकारी . धन्यवाद आपका
ReplyDeleteNice post manu bhai
ReplyDeleteNice post manu bhai
ReplyDeleteओरछा का मनोरम वर्णन ....।।
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ReplyDeleteओरछा ठीक से ना घूमने का अफ़सोस है . हुआ यूँ की चचेरी बहन की शादी छतरपुर में हुई थी और हमलोग वहाँ से झांसी ट्रेन पकड़ना था और एक घंटे के समय मिला जिसमें केवल राम दरबार ही देख सके . खैर आपके पोस्ट के माध्यम से ओरछा की विस्तृत जानकारी मिली .
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट का लिंक :
http://rakeshkirachanay.blogspot.in/
ओरछा के सम्बंध में बहुत ही सटीक जानकारी आपने उपलब्ध कराई है ओरछा जाने का प्लान बना रहा हूं जानकारी मिलने से बहुत सुबिधा हुई ।
ReplyDeleteओरछा एक धार्मिक नगरी
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