अगले दिन हम आराम से सो कर उठे तो देखा कि बारिश हो रही थी । बारिश की वजह से थोडी देर से चले पर बारिश के कारण मौसम बडा सुहावना हो रहा था । सोल...
अगले दिन हम आराम से सो कर उठे तो देखा कि बारिश हो रही थी । बारिश की वजह से थोडी देर से चले पर बारिश के कारण मौसम बडा सुहावना हो रहा था । सोलन पहुंचने के लिये जो रास्ता था वो बडा ही शांत रास्ता था । ट्रैफिक तो ना के बराबर था और सिंगल रोड थी थोडी टूटी हुई कई जगह से । यहां से 190 किमी0 का सफर करके लगभग 12 बजे हम शिमला पहुंचे ।
शिमला में घुसते ही हमारे पीछे एजेन्ट लग गये कमरा दिलाने वाले । हम शहर में घुसते ही पकड लिये गये थे और कमरे देखने शुरू हुए तेा पता नही कितने महंगे महंगे कमरे दिखा दिये उन्होने । मैने बहुत समझाया कि भाई कोई सस्ता सा दिखाओ पर वो तो दो कमरे लेने पर ही अडे थे । आखिर में हमारा मामला फाइनल हुआ एक ऐसे कमरे में जो था तो काफी बढिया होटल में पर एक बडी फैमिली रूम जैसा था । उसमें एक डबल बैड और एक सिंगल बैड तथा सिंगल बैड के उपर बैड था कमरा बहुत ही सुंदर था और कमरा और होटल अधिकतर लकडी का बना था ।
कमरे में दीवारो से लेकर छत तक सारा काम लकडी का था । आन सीजन में 3 से 4 हजार में मिलने वाला ये रूम हमें सौदेबाजी करके 800 रू में मिल गया था । कमरे की सजावट देखकर मैने उसके कई फोटो लिये । खासतौर से हमारे तीनो नटखट लडकियो को तो वो सीढी चढकर उपर जाना इतना पसंद आ रहा था कि वो तो उसके उपर से उतरे ही नही रात भर । व्रत रखने के कारण और पांच छह घंटे सफर करने के कारण हम लोग काफी थक गये थे और पहले दिन भी 400 किमी0 का सफर किया था इसलिये सब लोग उस दिन केवल आराम के मूड में थे ।
फिर भी दो घंटे आराम करने के बाद लगा कि कमरे में ही क्या करेंगे तो थोडा घूमने के नाम के चल दिये और अपने होटल से निकलकर उपर की ओर बने काली बाडी के मंदिर में गये ।काली बाडी मंदिर यहां काफी प्रसिद्ध है और काफी लोकल लेागो के साथ साथ यहां आये हुए पर्यटक भी इसे देखने के लिये आते हैं । मंदिर काफी सुहावनी जगह पर बना है । काली बाडी मंदिर में श्यामला देवी की मूर्ति स्थापित है । मंदिर के आसपास काफी बाजार लगा रहता है । मंदिर से एक दूसरा रास्ता माल रोड पर उतर रहा था हम भी उसी पर चल दिये और फिर तो अंधेरा होने के बाद तक भी हम लोग माल रोड पर ही रहे । क्योंकि शिमला हो या मसूरी या नैनीताल इन सब जगहो का मुख्य आकर्षण तो माल रोड ही होती है जहां पर सारे पर्यटक और घुमक्कड इकठठा रहते हैं ।
वहीं पर हमने शिमला का टाउन हाल , चर्च और लाइब्रेरी आदि देखी । माल रोड के पास ही एक चर्च है और चर्च के पास उपर चढकर माल रेाड का बेहतरीन नजारा दिखता है । इस जगह से ये भी दिखाई दे जाता है कि यहां पर एक छोटी मोटी सभा या रैली हो सकती है । यहीं से एक रास्ता जाखू मंदिर पर जाता है जो 2455 मी0 की उंचाई पर 2 किमी के करीब चलकर है । चर्च के पास से यहां पैदल रास्ता है वैसे मोटर का रास्ता भी है । यहां भगवान हनुमान का प्राचीन मंदिर है और यहां काफी सारे बंदर रहते हैं जो आपका खाना पानी और प्रसाद छीनने की ताक में रहते हैं । बच्चो ने आइसक्रीम खाई और पार्क में और झूलो पर बैठने का आनंद लिया । शिमला में माल रोड पर शाम को और भी आनंद आता है । इसलिये अंधेरा होने तक सब वहीं रहे और उसके बाद अपने कमरे में आकर सो गये
हिमाचल की राजधानी शिमला को सात पहाडियो का शहर भी कहा जाता है । दिल्ली और आसपास के इलाको में जब तापमान बढता है और स्कूलो की छुटिटया हो जाती हैं तो लोग भाग पडते हैं शिमला की ओर । यहां गर्मियो में भी अधिकतम 25 डिग्री तक का ही तापमान रहता है । शिमला अंग्रेजो के समय में भी गर्मियो की राजधानी थी । यह समुद्र तल से 2159 मीटर की उंचाई पर स्थित है । शिमला के बारे में पता नही कितना कुछ लिखा जा चुका है । आज मै जो लिख रहा हूं इसमें कुछ भी नया हो सकता है कि ना हो पर पहली बार शिमला जाने का रोमांच कुछ और ही होता है ।
ये अलग बात है कि आजकल का शिमला कंक्रीट का शिमला ज्यादा हो गया है पर फिर भी माल रोड के आस पास आज भी वही पुराने लकडी के मकान ,दुकाने ,बैंक आदि अपना पुराना स्वरूप दिखाते हैं ।शिमला की खोज अंग्रेजो ने 1819 में की और 1864 में इसे अपनी गर्मियो की राजधानी बनाया । उन्हे गर्मी ज्यादा लगती थी इसलिये । हिंदुस्तान के आजाद होने के बाद ये पहले पंजाब की राजधानी बना और बाद में हिमाचल प्रदेश की । अंग्रेजो ने ही यहां 1903 में शिमला और कालका के बीच रेलवे लाइन बिछाई जिससे यहां पहुंचना और भी आसान हो गया । शिमला लगभग 12 किलोमीटर लम्बाई में फैला है । अपनी अनुपम सुंदरता के कारण आज भी देश के सबसे फेवरेट हिल स्टेशनो में से एक है ।हालांकि अंग्रेज नही रहे पर आज भी शिमला में उनकी और उनके राजकाज की और उनके रहन सहन की काफी छाप दिखाई देती है । शिमला चंडीगढ से 114 किमी0 के लगभग है
अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी हो जाने के बाद से यहां पर आवागमन की सुविधाऐं और ज्याद हो गई हैं साथ ही पर्यटको के लिये काफी कुछ मौजूद है यहां । इसके अलावा यहां आसपास भी काफी पर्यटक स्थल है जहां अभी इतनी सुविधाऐं मौजूद नही हैं और उन जगहो के लिये शिमला बेस कैम्प की तरह काम करता है । शिमला हिमालय पर्वत की निचली श्रंखला में देवदार , चीड और माजू के जंगलो से घिरा है । इसके उत्तर में बर्फ से ढकी पर्वत श्रंखलाऐं हैं जबकि इसकी घाटियो में बहते झरने और मैदान यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं । कालका से धीमी रफतार से चलती छोटी रेलगाडी में अगर आने का मौका मिल जाये तो क्या कहने पर अगर ना मिल पाये तो सडक किनारे चलते हुए भी आपको ये छुक छुक करती ट्रेन कई बार टकरा जायेगी कभी आपके उपर की तरफ से और कभी नीचे खाई में आपको चलती दिखाई देगी ।
अगली यात्रा में शिमला से नैना देवी और माता नैना देवी के दर्शनो के साथ साथ मनाली का सफर तो पढते रहिये
शिमला में घुसते ही हमारे पीछे एजेन्ट लग गये कमरा दिलाने वाले । हम शहर में घुसते ही पकड लिये गये थे और कमरे देखने शुरू हुए तेा पता नही कितने महंगे महंगे कमरे दिखा दिये उन्होने । मैने बहुत समझाया कि भाई कोई सस्ता सा दिखाओ पर वो तो दो कमरे लेने पर ही अडे थे । आखिर में हमारा मामला फाइनल हुआ एक ऐसे कमरे में जो था तो काफी बढिया होटल में पर एक बडी फैमिली रूम जैसा था । उसमें एक डबल बैड और एक सिंगल बैड तथा सिंगल बैड के उपर बैड था कमरा बहुत ही सुंदर था और कमरा और होटल अधिकतर लकडी का बना था ।
कमरे में दीवारो से लेकर छत तक सारा काम लकडी का था । आन सीजन में 3 से 4 हजार में मिलने वाला ये रूम हमें सौदेबाजी करके 800 रू में मिल गया था । कमरे की सजावट देखकर मैने उसके कई फोटो लिये । खासतौर से हमारे तीनो नटखट लडकियो को तो वो सीढी चढकर उपर जाना इतना पसंद आ रहा था कि वो तो उसके उपर से उतरे ही नही रात भर । व्रत रखने के कारण और पांच छह घंटे सफर करने के कारण हम लोग काफी थक गये थे और पहले दिन भी 400 किमी0 का सफर किया था इसलिये सब लोग उस दिन केवल आराम के मूड में थे ।
फिर भी दो घंटे आराम करने के बाद लगा कि कमरे में ही क्या करेंगे तो थोडा घूमने के नाम के चल दिये और अपने होटल से निकलकर उपर की ओर बने काली बाडी के मंदिर में गये ।काली बाडी मंदिर यहां काफी प्रसिद्ध है और काफी लोकल लेागो के साथ साथ यहां आये हुए पर्यटक भी इसे देखने के लिये आते हैं । मंदिर काफी सुहावनी जगह पर बना है । काली बाडी मंदिर में श्यामला देवी की मूर्ति स्थापित है । मंदिर के आसपास काफी बाजार लगा रहता है । मंदिर से एक दूसरा रास्ता माल रोड पर उतर रहा था हम भी उसी पर चल दिये और फिर तो अंधेरा होने के बाद तक भी हम लोग माल रोड पर ही रहे । क्योंकि शिमला हो या मसूरी या नैनीताल इन सब जगहो का मुख्य आकर्षण तो माल रोड ही होती है जहां पर सारे पर्यटक और घुमक्कड इकठठा रहते हैं ।
वहीं पर हमने शिमला का टाउन हाल , चर्च और लाइब्रेरी आदि देखी । माल रोड के पास ही एक चर्च है और चर्च के पास उपर चढकर माल रेाड का बेहतरीन नजारा दिखता है । इस जगह से ये भी दिखाई दे जाता है कि यहां पर एक छोटी मोटी सभा या रैली हो सकती है । यहीं से एक रास्ता जाखू मंदिर पर जाता है जो 2455 मी0 की उंचाई पर 2 किमी के करीब चलकर है । चर्च के पास से यहां पैदल रास्ता है वैसे मोटर का रास्ता भी है । यहां भगवान हनुमान का प्राचीन मंदिर है और यहां काफी सारे बंदर रहते हैं जो आपका खाना पानी और प्रसाद छीनने की ताक में रहते हैं । बच्चो ने आइसक्रीम खाई और पार्क में और झूलो पर बैठने का आनंद लिया । शिमला में माल रोड पर शाम को और भी आनंद आता है । इसलिये अंधेरा होने तक सब वहीं रहे और उसके बाद अपने कमरे में आकर सो गये
हिमाचल की राजधानी शिमला को सात पहाडियो का शहर भी कहा जाता है । दिल्ली और आसपास के इलाको में जब तापमान बढता है और स्कूलो की छुटिटया हो जाती हैं तो लोग भाग पडते हैं शिमला की ओर । यहां गर्मियो में भी अधिकतम 25 डिग्री तक का ही तापमान रहता है । शिमला अंग्रेजो के समय में भी गर्मियो की राजधानी थी । यह समुद्र तल से 2159 मीटर की उंचाई पर स्थित है । शिमला के बारे में पता नही कितना कुछ लिखा जा चुका है । आज मै जो लिख रहा हूं इसमें कुछ भी नया हो सकता है कि ना हो पर पहली बार शिमला जाने का रोमांच कुछ और ही होता है ।
ये अलग बात है कि आजकल का शिमला कंक्रीट का शिमला ज्यादा हो गया है पर फिर भी माल रोड के आस पास आज भी वही पुराने लकडी के मकान ,दुकाने ,बैंक आदि अपना पुराना स्वरूप दिखाते हैं ।शिमला की खोज अंग्रेजो ने 1819 में की और 1864 में इसे अपनी गर्मियो की राजधानी बनाया । उन्हे गर्मी ज्यादा लगती थी इसलिये । हिंदुस्तान के आजाद होने के बाद ये पहले पंजाब की राजधानी बना और बाद में हिमाचल प्रदेश की । अंग्रेजो ने ही यहां 1903 में शिमला और कालका के बीच रेलवे लाइन बिछाई जिससे यहां पहुंचना और भी आसान हो गया । शिमला लगभग 12 किलोमीटर लम्बाई में फैला है । अपनी अनुपम सुंदरता के कारण आज भी देश के सबसे फेवरेट हिल स्टेशनो में से एक है ।हालांकि अंग्रेज नही रहे पर आज भी शिमला में उनकी और उनके राजकाज की और उनके रहन सहन की काफी छाप दिखाई देती है । शिमला चंडीगढ से 114 किमी0 के लगभग है
अब हिमाचल प्रदेश की राजधानी हो जाने के बाद से यहां पर आवागमन की सुविधाऐं और ज्याद हो गई हैं साथ ही पर्यटको के लिये काफी कुछ मौजूद है यहां । इसके अलावा यहां आसपास भी काफी पर्यटक स्थल है जहां अभी इतनी सुविधाऐं मौजूद नही हैं और उन जगहो के लिये शिमला बेस कैम्प की तरह काम करता है । शिमला हिमालय पर्वत की निचली श्रंखला में देवदार , चीड और माजू के जंगलो से घिरा है । इसके उत्तर में बर्फ से ढकी पर्वत श्रंखलाऐं हैं जबकि इसकी घाटियो में बहते झरने और मैदान यहां की सुंदरता में चार चांद लगा देते हैं । कालका से धीमी रफतार से चलती छोटी रेलगाडी में अगर आने का मौका मिल जाये तो क्या कहने पर अगर ना मिल पाये तो सडक किनारे चलते हुए भी आपको ये छुक छुक करती ट्रेन कई बार टकरा जायेगी कभी आपके उपर की तरफ से और कभी नीचे खाई में आपको चलती दिखाई देगी ।
अगली यात्रा में शिमला से नैना देवी और माता नैना देवी के दर्शनो के साथ साथ मनाली का सफर तो पढते रहिये
सुंदर तश्वीर।
ReplyDeleteDilkash nazare or manbhawan photo.....
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