सो अगले दिन सुबह सवेरे सवेरे उठकर हम मनाली के लिये चल दिये । शाम को जल्दी सो जाना और सुबह जल्दी चल देना मेरी आदत हैऔर ये हमेशा फायदेमंद रहत...
सो अगले दिन सुबह सवेरे सवेरे उठकर हम मनाली के लिये चल दिये । शाम को जल्दी सो जाना और सुबह जल्दी चल देना मेरी आदत हैऔर ये हमेशा फायदेमंद रहती है । सुबह 5 बजे के करीब हम चले और काफी बढिया मौसम में मनाली की तरफ बढते रहे । रास्ते में एक जगह काफी दुकाने लगी थी जो कि अभी बंद थी और वहां कोई नही था । वहां पर कई जगह पानी रोककर नहाने के लिये जगह बना रखी थी जहां पर हम इस समय अकेले ही थे । हमने और बच्चो ने भी वहां पर काफी आनंद लिया और काफी फोटो खिंचाये ।
इसके बाद नदी के किनारे किनारे चलते चलते और लम्बी टनल को पार करके हम लोग मनाली पहुंचे । चूकि हमारे पास अपनी गाडी थी सो हमें ग्रीन टैक्स का भुगतान करना पडा मनाली में घुसने से पहले । 2050 मी0 की उंचाई पर बसा मनाली हिमाचल प्रदेश का एक शहर और इस समय लोकप्रिय शिमला को भी टक्कर देता हुआ फेवरेट हिल स्टेशन है । कुल्लू घाटी के उत्तर में स्थित मनाली व्यास नदी के किनारे बसा है । गर्मियो से निजात पाने के लिये पहले शिमला की ओर भागने वाले सैलानियो को अब एक नयी जगह मिल गयी है जो कि शिमला से ज्यादा शांत है और यहां अक्सर बर्फबारी भी मिल जाती है जो कि शिमला में अब कभी कभार ही होती है क्योंकि वहां पर प्रदूषण काफी बढ गया है ।
सर्दियो में तो मनाली का तापमान शून्य तक भी पहुंच जाता है और इसका कारण है कि ये रोहतांग दर्रा जो कि बर्फ का दर्रा है उससे 51 किमी0 की दूरी पर ही है । वो 51 किमी0 भी सांप के जैसी लहराती और बलखाती सडको की नाप है वरना तो बिलकुल तलहटी में ही मानिये मनाली को तो मनाली में खूबसूरत प्राकृतिक नजारो के अलावा हाईकिंग , पैराग्लाइडिंग, रिवर राफिटंग , ट्रैकिंग आदि कई सारी सुविधाये हैं । धार्मि जगहो वालो के लिये भी यहां कई सारे आप्शन हैं । सच तो ये है कि मनाली की बढती लोकप्रियता ने कुल्लू को पीछे छोड दिया है और ज्यादातर लोगो की तरह हमने भी कुल्लू में एक मिनट का भी स्टापेज नही लिया और सीधे मनाली जाकर ही रूके । कुल्लू से मनाली तक का रास्ता सबसे हसीन रास्ता था । यहां रास्ते में पहाडो से लेकर जितने भी घर दिखायी दिये उन सबसे सेव के पेड जरूर लगे थे और जब हम गये तो सेव का सीजन था ।
जगह जगह बागो के बाहर सेव की दुकाने लगी थी । हमने भी वहां रूककर एक पेटी सेव की ले ली । क्योंकि हमारे तो व्रत थे पर बच्चो को भी सेव की लगी थी । यहां के सेव की खास बात क्या लगी वो ये थी कि जो सेव हमारे यहां अक्सर 80 से 100 रू किलो मिलता है वो ही यहां पर 35 से 40 रू किलो था । दूसरी बात कि यहां का सेव ताजा था । वो मै इसलिये कह रहा हूं कि यहां के सेब में जितनी बार भी दांत गडते उतनी बार ही रस कोशिश करने के बाद भी निकल ही जाता । ऐसा इसलिये क्योंकि यहां से सीधा सेब कहीं नही जाता पहले यहां की मंडी में जाता है । फिर बडे शहरो जैसे दिल्ली तो वहां की लोकल मंडी में और फिर गांव देहातो में तो एक तो ये कई दिन पुराना हो जाता है सो इसमें वो रसीलापन नही रहता ।
पौराणिक ग्रंथो में मनाली को मनु का घर कहा गया है । कहा जाता है कि जब सारा संसार प्रलय में डूब गया था तो एकमात्र मनु ही जीवित बचे थे । मनाली में आकर उन्होने मनुष्य की पुर्नरचना की इसलिये मनाली को हिंदुओ का पवित्र तीर्थस्थल भी माना जाता है । और ये भी एक तथ्य है कि मनाली क्षेत्र में मनु के कई मंदिर है जबकि और कहीं मनु के इतने मंदिर मुश्किल ही होंगे । हम काफी सुबह लगभग 8 बजे मनाली में आ गये थे सो कहीं रूकने की कोई टेंशन तो थी नही सेा हम सीधे यहां के दर्शनीय स्थल हिडिम्बा मंदिर पहुंचे । हिडिम्बा मंदिर 1533 मी0 की उंचाई पर स्थित है और यह धूंगरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है । हिडिम्बा का नाम आपने महाभारत में सुना होगा । महाभारत में भीम की पत्नी का नाम हिडिम्बा था । महाराज बहादुर सिंह ने यह मंदिर 1553 ई0 में बनवाया था । ये सारा का सारा मंदिर लकडी का बना है और इतने उंचे उंचे पेडो जिनसे कि धूप भी छनकर मुश्किल से आती है के बीचोबीच है । मंदिर पैगोडा शैली में बना है । और एक द र्शनीय स्थल है
Khubsurat yatra ke sath-sath bahut hi badiya jaankaari bhi ...
ReplyDeleteJai mata di....
very nice. Reminded me of my trip. Very nicely written.
ReplyDeleteCheers!
Himanshu Nagpal | Manali