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उपर से प्लेन का नजारा |
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आजाद पुर मैट्रो पहुंचकर मैने फोन किया तो संदीप भाई ने बताया कि वेा आ रहे हैं । थोडी देर में वो बस से उतरकर सीधे स्टेशन पहुंचे और उसके बाद हम दोनेा को वहीं पर फोन से सम्पर्क करने पर विपिन मिला । विपिन से ये मेरी पहली मुलाकात थी । विपिन अपना यात्रा ब्लाग लिखता है जिसका नाम है हिम का राही हम तीनो ने आजादपुर बस स्टेंड से गाडी पकडी सिंगू बार्डर के लिये । जिनकी गाडी से हमें आगे का सफर करना था वो दिल्ली के दरियापुर इलाके में रहते थे इसलिये वो वापस ना आकर परेशान हों तो हम हीं वहां पर जा रहे थे । रात के करीब साढे नौ बजे हम लोग सिंगू बार्डर पर पहुंचे । ये इलाका मेरे लिये एकदम नया था क्योंकि दिल्ली में मेरे रिश्तेदार नातेदार कम पर मित्र ज्यादा हैं पर किसी के घर जाना कभी कभी ही होता है तो इस इलाके में तो कभी निकलता हूआ भी नही आया । पर जाट के साथ यहां आ गये और वहीं पर हमें स्कार्पियो गाडी खडी मिली जिसमें राजेश सहरावत , उनका बेटा मोहित और एक उनका मित्र कम ड्राइवर बलवान था । ये तीनो बंदे हमारा वहां पर एक घंटे से इंतजार कर रहे थे । हम ही लेट पहुंचे थे सो जैसे ही हम पहुंचे गाडी में बैठकर चल दिये ।
अब संदीप भाई ने एक नयी बात बतायी कि जयपुर से विधान और उनका एक साथी और आ रहा है । पहले संदीप भाई ने बताया था कि गाडी में केवल 6 लोग होंगे ड्राइवर समेत लेकिन अब तो इस हिसाब से 8 लोग हो रहे थे । दरअसल ये सब एक गलतफहमी की वजह से हो गया था । संदीप भाई ने पहले धर्मेंन्द्र सांगवान को बुलाया था जिसने ठीक दो दिन पहले किसी कारण से मना कर दिया तो संदीप भाई ने कमल सिंह को कहा तो उन्होने हां कर दी लेकिन जिस दिन जाना था ठीक उसी दिन 11 बजे दिन में कमल सिंह ने भी मना कर दी । नीरज जाट को भी बुलावा भेजा गया था पर उसने भी पहले तो मना कर दी । बाद में फोन आया था कि मै बुधवार को चम्बा में मिलूंगा पर गाडी में जगह ना होने के कारण बाद में जाट देवता ने उसे मना कर दिया
अब संदीप भाई ने विधान को जयपुर में फोन लगाया कि भोले का बुलावा है चलोगे क्या ? विधान ने 15 मिनट का समय मांगा और 15 मिनट बाद हां कर दी । वाह क्या घुमक्क्ड है , लेकिन एक शर्त के साथ कि मेरे साथ एक बंदा और आयेगा । कुल 5 आदमियो में अगर दो और जोड दें तो 7 हो रहे थे जो कि स्कार्पियो गाडी के लिहाज से ज्यादा नही थे तो संदीप भाई ने हां कर दी पर उधर राजेश जी को ये बताना भूल गये कि जयपुर से दो बंदे आ रहे हैं । इधर राजेश जी ने सोचा कि बेटे को ले चलें ताकि वो भी यात्रा कर आये । इसलिये जब हम लोग गाडी में बैठे तो राजेश जी के साथ उनके बेटे को बैठा देखकर पहले तो सोचा कि वो उनको छोडने आया है पर जब गाडी चल पडी तो पता चला कि वो भी जा रहा है । वैसे तो स्कार्पियो गाडी में 8 आदमियो में भी परेशानी नही थी पर 7आदमियो का सामान इतना हो गया था और गाडी में डिक्की नही थी और ना ही छत पर कैरियर स्टैंड । अब सामान रखा जाना था सीट पर ही जिसने पिछली सीट 7 बैग में आधी भर गयी केवल 1 ही आदमी बैठ सकता था और बीच में 3 की जगह 4 बैठते । आगे वाली सीट मिली हुई नही थी ड्राइवर की सीट से सो एक ही आदमी बैठ सकता था सो पीछे सामान का ढेर लगाकर पीछे दो बंदो को और बीच में चार को एडजस्ट होना था ।
। विधान जयपुर से 3 घंटे के शार्ट नोटिस पर चल पडा था । इस तीन घंटे में उन्होने अपने छुटटी लेने के साथ साथ दोनो बंदो ने आपाधापी में तैयारी भी की थी तीन बजे वहां से चलकर वो दिल्ली से होकर ही आने थे लेकिन हमने उन्हे अंबाला तक के बीच में कहीं से भी लेना तय किया । रात 10 बजे गाडी चलने के बाद में सबसे पहले मुरथल में गाडी रोककर गाडी की स्टेपनी में जो कि टयूबलैस थी उसमें पंचर हो रखा था तो उसमें पंचर लगवाया । इस काम में एक घंटा लग गया । इस बीच विधान से फोन पर सम्पर्क रहा । रात के 12 बजे हम लोग कुरूक्षेत्र में पहुंचकर रूक गये । विधान ने बताया कि वो अभी कुरूक्षेत्र से पीछे है तो हमने एक घंटा रूककर उसका इंतजार किया । कुरूक्षेत्र में रोडवेज वाले रूककर खाना खाने के लिये गाडी रोकते हैं । ये पीपली बस स्टेंड की जगह थी जहां से हमने विधान को गाडी में लिया । ये अब 4 ब्लागरो का ब्लागर मिलन पूरा हो गया था । मुझे और संदीप जाट को तो आप जानते ही हैं । विपिन ने भी घुमक्कड पर लिखा है और विधान चंद्र अभी घुमक्कड पर सिर्फ कमेंट ही करते हैं और अपने ब्लाग पर गुल्ली डंडा खेलते हैं मतलब उनके ब्लाग का नाम गिल्ली डंडा है
विधान और उनके साथी के बैठने के बाद गाडी में काफी घिचपिच हो गयी थी पर अब कोई फायदा नही था । ना तो गाडी वाले राजेश जी के लडके को मना किया जा सकता था और ना ही विधान के साथ आये उनके मित्र को जो कि इतने शार्ट नेाटिस पर जयपुर से भागे आ रहे थे । जैसा भी होगा देखा जायेगा की तर्ज पर सबने एडजस्ट कर लिया । गाडी चलाने वाला बलवान था जो कि बहुत ही शांत और बढिया तरीके से गाडी चला रहा था जो हमारे थोडी बहुत नींद लेने के लिये पर्याप्त थी क्योंकि गाडी चलाने वाला अगर अंधाधुध गाडी चलाये तो नींद नही आ पाती । रात में कुरूक्षेत्र में ही राजेश जी ने और उनके लडके ने खाना खाया । हम तो 6 बजे खाना खाकर ही चले थे और उंघ रहे थे सो हमने हमने खाना खाने की जहमत नही उठायी । सुबह होते होते हम लोग आनंदपुर साहिब के रास्ते होते हुए नैना देवी के रास्ते पर चल पडे थे । इससे पहले कैमरा हमारे बैग में रखा था और बैग सबसे नीचे दबा था तो इस बीच किसी ने भी कैमरा नही निकाला । जब पहाड की चढाई शुरू हुई और दिलकश नजारे आने शुरू हुए साथ ही पहाड से नीचे के मैदानी इलाको के दृश्य आंखो को लुभाने लगे तो कैमरे की याद आयी और कैमरा गाडी रोककर निकाला गया । चलती गाडी में कुछ फोटो खींचे गये । नैना देवी का रास्ता बडा सुंदन और मनमोहक है । यहां पर आप भी चित्रो में देख सकते हैं हरे भरे पहाडो और मैदानी इलाको को कैमरे की नजर से । नीचे धूप खिली है तो उपर छांव ये नजारा हर बार बदलता रहता है ।
सिंगू बार्डर से मुरथल होते हुए कुरूक्षेत्र और वहां से अम्बाला से रोपड होते हुए कीरतपुर साहिब और आनंदपुर साहिब को भी गाडी में से बैठे बैठे देखते हुए हम लोग नैना देवी की ओर पहुंचे इस पोस्ट में सब फोटो नैना देवी के पहाड पर चढने के रास्ते के और बाद के ही हैं जो कि नैना देवी पर्वत से नीचे के प्लेन का शानदार नजारा दिखाते हैं चारो ओर नीचे बसे गांव और शहर जो कि उपर से कीडे मकौडे से दिखायी देते हैं । मौसम साफ होने के कारण फोटो में दूर तक का दिखायी देता है जबकि पहली बार जब मै गया तो फोटो लेने का मन ही नही था क्योंकि दूर तो क्या पास का भी दिखायी देना मुश्किल था कोहरे के कारणतो ये पोस्ट आपको कैसी लगी और चित्रो को आपने पसंद किया या नही जरूर बताईयेगा । आगे सफर दर्शन करेंगे नैना देवी के
Va ji tyagi ji!!!
ReplyDeletePhoto to shandaar hain or aapke lekhan ka tarika bhi badhiya hai. Chalte rahiye aage ki yatra ka intzaar rahega...
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