गौरीकुंड पहुंचकर सबसे पहले हमारे सामने परेशानी थी कि ये पता कैसे चले कि हमसे पहले आने वाले संतोष और विधान के साथी हमसे आगे निकलकर कहीं मणिमहेश तो नही चले गये या फिर गौरीकुंड में ही रूक गये हैं । हम जिस रास्ते से आये थे ये गौरीकुंड से आधा किलोमीटर आगे निकला था और यहां से मणिमहेश आधा किलोमीटर दूर था । अगर हम गौरीकुंड वापिस जायें तो और वे लोग ना मिले तो एक किलोमीटर का चक्कर तो बिना वजह ही लगेगा । तभी दू
उसको देखते ही गौरीकुंड की चाय की दुकान के अंदर बैठे तीनो लोग बाहर निकल आये । ये देखकर हम भी गौरीकुड की ओर चल दिये क्योंकि आगे चलने की हमारे दोनेा मराठाओ की बिलकुल स्थिति नही थी तो गौरीकुंड पहुंचकर हमने औरो के हालचाल जाने । वे तीनो हमसे एक घंटा पहले पहुंचकर सोकर आराम कर चुके थे । अब रूकने पर विचार होने लगा ज्यादातर का यही कहना था कि मणिमहेश अब केवल एक किलोमीटर दूर है और वहीं पर रूकेंगे । संतेाष ने मना कर दिया उसने बोला कि मै यहीं पर रूकूंगा उसकी हालत नही थी । पर हम ऐसे किसी को छोडकर नही जाना चाहते थे तो चार बजे से अगर हम दो घंटे में भी जाते तो एक किलोमीटर बडे आराम से जा सकते थे ये सोचकर संतोष को हमने मना लिया चलने के लिये कि हम तेरे साथ चलेंगे चाहे तू कितना भी आराम करना ।
विपिन समेत बाकी सब आदमी धीरे धीरे चल दिये मणिमहेश की ओर । इस समय हमने गौरीकुड में घूमने या देखने की कोशिश भी नही की । यहां गौरीकुंड में हैलीपैड भी बना हुआ है जहां हैलीकाप्टर से यात्री लोगो के लिये सुविधा है आने जाने की । यहां भंडारो के लिये भी जगह बनी हुई हैं और यात्रा के दिनो में उपर झील पर जहां मुश्किल से सौ या दो सौ आदमी रूक सकते हैं शायद इतने भी नही तो गौरीकुड ही सब व्यवस्था का साधन है । यहां मौसम खराब होने की वजह से अब सब जगह बादल ही बादल आ गये थे । मै जाट देवता और संतोष धीरे धीरे जा रहे थे कि मुझे सैमसंग का एक नया मोबाई ल रास्ते में दिखा । इसे देखकर मैने उठा लिया । जाट देवता को दिखाया तो वे बोले कि यहां हमें और तो कोई यात्री मिला नही तो हो सकता है कि हमारे ही किसी साथी का हो तो रख लो आगे जाकर पूछते हैं ।
Post choti jarur thi pr taswiro ne puri kr di ...bahut hi khubsurat or shaandar tasweere hain...
ReplyDeleteWonderful Manu jee
ReplyDeleteKya Badhiya foto hai bahut majaa aa gayaa dekh ke . yahaa bhi jaane ki iccha ho gayi hai jaane ki.
इस रोमांचक यात्रा को बहुत ही रोचक अंदाज़ में अपने केमरे में कैद किया है आपने ...
ReplyDeleteलाजवाब ...
इस पोस्ट में शब्द कम रह गये हैं| पोस्ट की खूबसूरती में कोई कमी नहीं है लेकिन क्योंकि ये पोस्ट इस यात्रा के डेस्टिनेशन प्वाईंट वाली पोस्ट है, इसमें और तफसील की तलब रह गई| अनुरोध है कि इसे कमी निकालना न समझकर ऐसा माना जाए कि 'दिल अभी भरा नहीं' :)
ReplyDeleteसंतोष तिड़के की हिम्मत, बल्कि आप सबकी हिम्मत और एक दूसरे को सहारा देने की सामूहिक भावना की दाद देता हूँ|
प्रोफाईल में फोन नंबर देकर पंगा ले लिया है मनु प्यारे, किसी दिन तुम्हारे शहर में आकर फोन पर बधाई देता हूँ इस घुमक्कड़ी के लिए| पहचान लेना :)
बहुत ही ख़ूबसूरत दृश्य
ReplyDeleteBeautiful place. I would love to go there.
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