हिंदू धर्म में तो फूल को सभी देवताओ और भगवान का प्रिय बताया गया है । सभी देवी देवता पुष्प चढाने से प्रसन्न होते हैं सही में तो कई पूजा पुष्प पूजा कहलाती हैं कुछ देवी देवताओ को तो विशेष रंग के और कुछ को विशेष किस्म के फूल ही चढाये जाते हैं और कुछ को कुछ फूलो के चढाने का निषेध भी है देवताओ की पूजा में सबसे प्रतिष्ठित फूल कमल है जो कि भारत का प्रतीक भी बन गया है । क्योंकि कमल कीचड में खिलता है और फिर भी सबसे पवित्र माना जाता है । ऐसा भी शास्त्रो में लिखा है कि ये भगवान विष्णु की नाभि से पैदा हुआ है ।
फूलो की भी महिमा अजीब है आप एक गुलाब का फूल लो और उसे किसी अन्य खुश्बूदार चीज पर भी रखो तो भी वो अपनी खुश्बू बदलेगा क्या ? नही उसकी खुशबू नही बदलने वाली । मनुष्य को भी ऐसा ही रहना चाहिये दुनिया में आपको हर तरह के आदमी मिलेंगे हर तरह के स्वभाव मिलेंगे पर आपको अपना स्वभाव नही भूलना चाहिये । जब हम अपनी सोच बडी रखते हैं तो बडे बन जाते हैं और छोटी कर लेते हैं तो छोटे बन जाते हैं । अगर हम नौकरी तक ही सोचते है तो नौकरी मिल जाती है अगर बिजनेस के बारे में सोचते हैं तो वो ही हो जाता है इसलिये फूलो की तरह अपनी सोच को और अपने विचारो को नही बदलने देना चाहिये चाहे आप कांटो में रहें या दुर्गन्ध में
दुनियादारी भी निभाओ पर अपनी मौलिक विशेषता कभी मत भूलो । सच पूछो तो दुनिया में फूल ऐसा है कि सभी को खुश्बू भी बांटता है और मकरंद भी । वो भगवान को भी अर्पित किया जाता है , प्रेमिका के बालो में भी लगाया जाता है और मुर्दे को भी चढाया जाता है । ये हर फूल की अपनी किस्मत है कि उसको कहां ले जाया जाये पर वो फिर भी अपनी खुशबू से समझौता नही करता ।
http://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%AA
ये एक लिंक है वीकिपीडिया का जिसमें फूल के बारे में सब कुछ बताया गया है उसकी किस्मो से लेकर उसके परागण तक के बारे में मैने सोचो कि शायद आज आप कुछ हटकर सोचें और कुछ समय निकाले फूलो के बारे में भी । अगर वो दो बंदे जो उपर से आते हुए हमें धन्छो में ना मिले होते और हमें बंदर घाटी का रास्ता ना बताते
सिक्किम की यात्रा में मैने इस राज्य के लोगो में फूलो के प्रति सबसे ज्यादा जागृति देखी थी । यहां हर घर की छत पर और घर के आंगन में गमले ही गमले सजे हुए थे । वैसे तो आजकल महानगरो में भी फूलो के प्रति सेहत की तरह शौक बढ रहा है पर उसमें अमीर लोग ज्यादा हैं जिनके यहां माली आता है और कोठी में खाली जगह में बढिया फुलवारी लगाता है पर सिक्किम में तो झौंपडी में भी इस शौक को देखा मैने । एक बात और कि उस यात्रा में मैने एक बात और देखी कि वहां पर फूलो की किस्में बिलकुल अलग हैं हमारे यहां से । या तो ये मौसम का असर है कि वहां पर वे किस्में होती हैं या फिर कुछ और ।
गंगटोक में फलावर शो होता है जिसमें हम गये और मैने कितनी ही किस्मो के फोटो लिये पर अफसोस कि वो फोटो खो गये कैमरे के साथ ही । जब मै उत्तराखंड में स्थित फूलो की घाटी गया था तो मेरे पास कैमरा नही था उस वक्त मेरे पास मोबाईल कैमरा था नोकिया का । इस पोस्ट को भी आप यहां पर पढ सकते हो मै इसका लिंक दे रहा हूं । गंगटोक से यूमथांग जाते हुए गाडी में बैठे बैठे हमारा देखने का मुख्य आकर्षण यही था कि ये देखो इस घर वाले ने कितने अच्छे तरीके से फूल लगाये हैं । कुछ लोगो ने तो छत और आंगन में जगह ना होने पर पतले से निकल रहे छज्जे पर ही गमले सजा दिये थे ।
शायद सिक्किम के लोगो में फूलो को लेकर विशेष लगाव है खैर ये तो सिक्किम की बात थी मै आज की पोस्ट की बात कर रहा था । मेरे कम कोशिश करने के बाद भी 75 फोटो हो रहे थे धन्छो से लेकर गौरीकुंड तक जाने के । बंदर घाटी या फूलो की इस घाटी के इस रास्ते के फोटो भी जरूरी थे और फूलो के भी । मै सोच रहा था कि इसे किस तरह से समायोजित करू । तब मैने ये फैसला लिया कि जाने और आने के रास्ते में कुछ और भी कुछ फूल मिले थे जिन्हे सबको मिलाकर मैने एक पोस्ट अलग से बना दी है जो आपके सामने प्रस्तुत है और इन फोटोज को खींचने के लिये मै विपिन का बहुत आभारी हूं । एक जानकारी जो मुझे मिली वो मै आप सबके साथ बांट दूं कि जब भी आप किसी फूल का फोटो खीचों तो अपने कैमरे में क्लोजअप मोड में खींचो इससे वो निखरकर और पूर्ण रूप में आता है । सोनी के कैमरे में इस मोड का नाम मैक्रो होता है । कालाटोप में इस तरह फोटो खींचने के बाद मैने यहां भी इसी मोड में फोटो लिये । फूलो की एक घाटी यूमथांग भी थी जिसमें इस जून में जब हम गये तो वहां पर फूल नही थे सो शायद उनकी पूर्ति यहां हो गयी । ये जो फूल मैने इस घाटी में देखे उनमें से एक दो को छोडकर किसी का भी हमें नाम तो पता नही था पर कई बार तो उन फूलो को निहारने के लिये ही आराम कर लेते थे । रास्ते में कई जगह तो इन फूलो की ऐसी चादर बिछी थी कि वो नजारा ही दिल में गुदगुदी सी पैदा करता है
हिंदू धर्म में तो फूल को सभी देवताओ और भगवान का प्रिय बताया गया है । सभी देवी देवता पुष्प चढाने से प्रसन्न होते हैं सही में तो कई पूजा पुष्प पूजा कहलाती हैं कुछ देवी देवताओ को तो विशेष रंग के और कुछ को विशेष किस्म के फूल ही चढाये जाते हैं और कुछ को कुछ फूलो के चढाने का निषेध भी है देवताओ की पूजा में सबसे प्रतिष्ठित फूल कमल है जो कि भारत का प्रतीक भी बन गया है । क्योंकि कमल कीचड में खिलता है और फिर भी सबसे पवित्र माना जाता है । ऐसा भी शास्त्रो में लिखा है कि ये भगवान विष्णु की नाभि से पैदा हुआ है । खैर ये तो दूसरा विषय हो जायेगा पर यहां मणिमहेश में भी ऐसा कहा जाता है कि आपको फूलो को चुन चुनकर गौरीकुंड में माता गौरी को अर्पित करना चाहिये । ऐसा हमें अगले दिन वापसी में कुछ लोकल लोगो ने बताया । कुछ फोटो तो ऐसे थे जैसे बस अभी हमारे सामने आ जायेंगे । जैसे पत्तो पर गिरी हुई ओस की बूंदे । एक एक बूंद अलग अलग दिख रही थी । सफेद , लाल , पीले ,नीले हर रंग के फूल आपको इस पोस्ट में देखने को मिलेंगे । एक जाट देवता वाला पौधा भी हो जो उन्होने अपनी श्रीखंड वाली यात्रा में दिखाया था । एक पौधा तो ऐसा था जैसे कि वो पौधा ना होकर गमला हो पौधा रखने का । प्रकृति के साथ वास्तव मे साक्षात्कार था हमारा ये और अपने आपको कठिन चढाई में तरोताजा रखने का आइडिया भी क्योंकि फूल जरूरी तो था नही कि रास्ते में ही लगे हुए हों तो इसलिये थोडा बहुत उपर नीचे जाना और फोटो लेने में एक रैस्ट हो जाता था और फिर से आगे की यात्रा पर चल पडते थे विपिन तो अलग ही दुनिया में खो गया था वो तो एक एक फूल को कैद कर लेना चाहता था अपने कैमरे में । मैने तो कुछ फूलो को उपर चढने की वजह से दूर से देखकर ही काम चला लिया जो भी हो हमने एक नयी ही फूलो की घाटी देखी और सभी श्रद्धालुओ से भी यही कहना है कि अगर आपने मणिमहेश की यात्रा पर जाना है तो इस रास्ते से होकर जाये बिना आपको मजा नही आयेगा तो इधर से जरूर जाना । बस अब मै फूलो की इस कहानी को शब्दो में यहीं विराम देता हूं तब तक आप मजा लो इन फूलो का
मनु त्यागी जी ,कुछ का होना ही फूलों की तरह सुन्दर और सुकून भरा होता है -चाह नहीं में सुरबाला के गहनों में गूंथा जाऊं .....एक फूल की अभिलाषा याद आ गई ...स्वभाव के बारे में भी आपकी सीख बहुत खूब रही आदमी अपना स्वभाव न छोड़े अपने आत्म स्वरूप में स्थित प्रग्य रहे ,वाह क्या बात है .
ReplyDeleteछायांकन में आपने बहुत ही कोमल रंगों का इस्तेमाल किया है सारा कमाल केमरे की आँख नहीं आपके नयनों का है ,हैं न ये नैन बावरे ...
ram ram bhai
बुधवार, 12 सितम्बर 2012
देश की तो अवधारणा ही खत्म कर दी है इस सरकार ने .
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ReplyDeleteनमस्कार वीरेन्द्र जी , ये तो कुदरत के रंग हैं इंसान कभी ऐसे रंग नही भर सकता । ये फूलो की घाटी मणिमहेश यात्रा में दर्शनो के अलावा बडी सुकून देने वाली थी
ReplyDeleteधन्यवाद
beautiful photographs.most of the flowers i have seen for the first time,and that too,due to your colorful post.
ReplyDeleteबहुत सुंदर संकलन है फूलों के चित्रों का मन्मोहक !
ReplyDeletewaah...bahut hi khubsurat Manmohak flowers .....
ReplyDeleteBeautiful Manujee
ReplyDeleteits really amazing . . . . . .
ReplyDeleteकितने खूबसूरत फूल ... गज़ब का संसास है ...
ReplyDeleteफूलों पर बहुत खूबसूरत लिखा है, सच में प्रकृति के साथ प्रेम करने वाले होने के साथ सौंदर्यप्रेमी भी हो, शुभकामनाएं|
ReplyDeleteKhoobsoorat hain yeh sab phool or apne likha bhee bahut achha hai.....
ReplyDeleteक्या खूब लिखा है साहब आपने। दिल जीत लिया। इसे देखे फूलों की घाटी
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