इस झील का हैदराबाद में मुम्बई की मैरीन ड्राइव की तरह स्थान है । इस झील का निर्माण कुतुब शाह के दामाद ने कराया था । उसी के नाम पर इस झील का नाम रखा गया । वैसे तो हैदराबाद में काफी सारे बाग हैं जो कि पर्यटक स्थल हैं पर लुम्बिनी पार्क इन सबसे सबसे प्यारा और बडा है । ये हुसैन सागर झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित है । इसमें बच्चो के खेलने और मनोरंजन के लिये काफी सामान है । झील के बीचोबीच कई जगह फव्वारे लगे हैं जो कि सुंदर नजारा प्रस्तुत करते हैं ।
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अगले दिन सुबह हैदराबाद पहुंचना था सो सवेरे ही आंख खुल गयी थी । वैसे मौसम में भी ज्यादा गर्मी नही थी । हमें सिंकदराबाद स्टेशन पर उतरना था जैसे जैसे स्टेशन नजदीक आ रहा था वैसे वैसे सीट पर बैठे कुछ लोकल सहयात्रियो से बातचीत में पता चलता जा रहा था कि सिंकदराबाद के बजाय अगर आप काचीगुडा में उतरो तो भी चलोगे । परेशानी हमारे सामने ये थी कि आज ही शाम को काचीगुडा से हमारी ट्रेन थी और हमारे सामने समस्या थी कि हम सामान के साथ हैदराबाद कैसे घूमेंगे । तो इसका एक सबसे बढिया इलाज ये था कि हम काचीगुडा उतरें और अपना सामान वहां के अमानती सामान घर यानि की क्लाक रूम में रखें और फिर आराम से घूमें शहर । शाम को हमें वहीं आना है और वहीं से ट्रेन पकडनी हैं ।एक दूसरा रास्ता था कि हम सिकंदराबाद स्टेशन पर उतरें और वहां से दो आटो लें चार चार आदमियो के लिये और उसी में अपना सामान रखें और वो आटो हमें शाम को काचीगुडा स्टेशन पर छोड दे । लोकल सहयात्रियो ने सलाह दी कि आप काचीगुडा स्टेशन उतर जाओ और वहां सामान जमा करके लोकल सिटी बस से घूमो वो सस्ता पडेगा । आटो वाले आपसे 700 —800 रू एक आटो के ले लेगा । पर हमारा टिकट तो सिकंदाराबाद तक का ही था । वैसे मैने नेट पर देखा था कि दिल्ली से सिंकदाराबाद और काचीगुडा तक का किराया एक ही था । सो फैसला यही हुआ कि काचीगुडा ही उतरते हैं । काचीगुडा स्टेशन आने पर हम सब वहीं उतर गये और और जैसे ही स्टेशन से बाहर जाने लगे टिकट चैकर जो कि चार पांच थे उन्होने टिकट के लिये बोला ।
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लुम्बिनी पार्क में हम दोनो |
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काचीगुडा रेलवे स्टेशन |
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मनोरंजन का एक साधन |
हम स्टेशन से बाहर निकले और स्टेशन के मेन गेट की ही बगल में बने क्लाक रूम के गेट में जाकर अपना सामान जमा कराने लगे । तब तक मा0 जी ने स्टेशन की बराबर में बने सुलभ शौचालय को ढूंढ मारा जिसमें नहाने की भी व्यवस्था थी । शौचालय तो सब लोग ट्रेन में ही जा चुके थे बस नहाना बाकी था सो 5—5 रू देकर वहां पर हो गया । अच्छी व्यवस्था थी और कई बाथरूम होने की वजह से जल्दी से सब नहा लिये । अब हमने चारो ओर निगाह मारनी शुरू की । ये स्टेशन के सामने एक चौराहा सा था और थोडी दूर मार्किट थी जिसमें खाने पीने की दुकाने दिखायी दे रही थी । तो सब घूमते फिरते उन दुकानो पर पहुंच गये । एक रैस्टोरेंट पर चाय और परांठे का आर्डर दिया और नाश्ता किया दबकर । उसके बाद उसी दुकान वाले से पूछा कि भाई हमें घूमने जाना है तो उसने बताया कि यहां से सभी जगह के लिये सिटी बस मिलती है आपको जहां जाना है वहां जा सकते हो ।
लुम्बिनी पार्क और हुसैन सागर झील
सबसे पहले हम सिटी बस में बैठकर हुसैन सागर झील और लुम्बिनी पार्क को देखने के लिये चल दिये । सुबह सुबह का समय था और सिटी बस में काफी भीड थी आफिस जाने वालो की । बस में एक आदमी तो हमें ऐसे मिले जो कि हरियाणा के मूल निवासी थे पर उनके पिता यहां आ गये थे और अब तो उनके बच्चे भी यहीं पढ लिखकर बडे हुऐ हैं । भाषा तो वहां पर गाडी में और दुकानो पर ज्यादार वहीं की लिखी थी इसलिये हमें पता नही चल पा रहा था कि कौन से स्टाप पर उतरना है । उन सज्जन ने हमारी बोली सुनकर मदद की और हमें लुम्बिनी पार्क के स्टाप पर उतारा और साथ ही शहर के बारे में भी जानकारी दी । इस पार्क में भी टिकट था कितना था अब याद नही रहा और उसके बाद अंदर जाने पर काफी और चीजे भी थी जो टिकट वाली थी जैसे कि बोटिंग और उपर लिफट की तरह जाने वाली एक मीनार जो कि आप फोटो में देख सकते हो ।इस झील का हैदराबाद में मुम्बई की मैरीन ड्राइव की तरह स्थान है । इस झील का निर्माण कुतुब शाह के दामाद ने कराया था । उसी के नाम पर इस झील का नाम रखा गया । वैसे तो हैदराबाद में काफी सारे बाग हैं जो कि पर्यटक स्थल हैं पर लुम्बिनी पार्क इन सबसे सबसे प्यारा और बडा है । ये हुसैन सागर झील के दक्षिणी किनारे पर स्थित है । इसमें बच्चो के खेलने और मनोरंजन के लिये काफी सामान है । झील के बीचोबीच कई जगह फव्वारे लगे हैं जो कि सुंदर नजारा प्रस्तुत करते हैं ।
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लुम्बिनी पार्क |
यहां से झील के बीच में बने एक टापू तक के लिये बोटिंग होती है एक बोट आपको उस टापू का चक्कर लगाकर लाती है जिस पर स्थित है 18 मीटर उंची बुद्ध की प्रतिमा । ये प्रतिमा 350 टन की बतायी जाती है और कहा जाता है कि जब इसे नाव से इस टापू पर लाया जा रहा था तो नाव पलट गयी और प्रतिमा झील मे गिर गयी । दो साल तक झील में पडे रहने के बाद इसे दोबारा निकाला गया और स्थापित किया गया ।
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लुम्बिनी पार्क में नियति |
हमने दूर से ही राम राम कर ली थी बुद्ध जी को क्योंकि सुबह सुबह सबसे पहले बोटिंग का हमारा किसी का भी इरादा नही था सेा हमने पूरा पार्क घूमा और वापस बाहर चल दिये । बाहर से हमें पता चला कि यहां से बिडला मंदिर पास है पर आटो ही वहां पर जाता है कोई बस नही जाती सो हमने आटो कर लिया जेा कि हमें 10 रू प्रति सवारी मंदिर तक ले गया ।
अगली पोस्ट में पढिये चार मीनार एवं बिडला मंदिर के बारे में
आपने
Deleteचार मीनार....
ज़ूलाजी पार्क....
सालार ज़ंग संग्रहालय
गोल कुण्डा का किला आदि
दर्शन को अपने प्लान में शामिल नहीं किया
यशोदा जी , वो अगली पोस्ट में है ,
Deletegood post,good pics.
Deleteआनन्द आया पढ़कर और तस्वीरें भी उम्दा हैं...
DeleteManu ji photo me naam thik se likho ji Lavi ke photo ko aap rly station bata raho ho Yugal ke photo ko aap lumbni park bata rahe aage se dhyan rakhna.
Deleteराम राम जी आपके साथ साथ हम भी सम्पूर्ण भरत दर्शन कर लेंगे. धन्यवाद, वन्देमातरम...
Deleteबड़ा अच्छा लगा\ हैदराबाद में बिताए दिन याद आ गए।
Deleteबहुत बढ़िया ब्योरा और चित्रानाकन मुहैया करवाया है शुक्रिया दोस्त .
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