पर्यटको को यहां का चारो और पानी की झील और उसके चारो ओर जंगलो और पहाडियो का दृश्य काफी बढिया लगता है । साथ ही रास्ते में चाय के बागान भी दिखते रहते हैं । यहां पर झील में बोटिंग भी की जा सकती है और काफी लोग करते भी होंगे । यहां के पास के जंगलो में ट्रैकिंग के शौकीनो के लिये भी जगहे हैं । शोला नाम के जंगलो में कई रूट हैं
आज ये शब्द लिखते
हुए मै भावुक हो गया हूं क्योंकि मुन्नार ने मेरे मन को वास्तव में मोह लिया था और
नत्थाटाप की बर्फबारी ने दिल में हिलोरे
मचा दी थी । मुन्नार के बारे में लिखते समय मेंरा मन ऐसा हो उठा है कि बस में हो
तो किसी भी तरह बस अभी वहीं पर पहुंच जाउं । इसकी सुंदरता को शब्दो में बांधना
संभव नही है ।
एर्नाकुलम
राष्ट्रीय उघान —ये मुन्नार से 15
किमी0 है और यहां पर अनामुडी चोटी है । ये
चोटी दक्षिण भारत की सबसे उंची चोटी भी है । जो कि 2695 मी उंची है । इस वन्य
अभ्यारन्य का निर्माण नीलगिरी की जंगली
जीव जंतुओ का महत्व देखते हुए और उनके संरक्षण के लिये किया गया था । 1975
मे इस अभ्यारन्य घोषित किया गया और 1978
में इसे राष्ट्रीय पार्क घोषित कर दिया गया ।
यहां पर आप ट्रैकिंग का भी मजा ले सकते हो
mattputty dam
मटटापुटटी नाम की ये सुंदर जगह केरल की खूबसूरत और प्रसिद्ध जगह मुन्नार से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है । ये जगह यहां की एक और खूबसूरत जगह टाप स्टेशन जाने के रास्ते में पडती हैं । और 1700 मी0 की उंचाई पर है । यहां पर आसपास के लोग भी पिकनिक मनाने आते हैं क्योंकि ये एक शांत जगह है । या फिर ऐसा भी हो सकता है कि सुबह सवेरे उठकर वहां पर पहुंच गये थे जब तक कि दुकाने भी नही खुली थी तो वहां पर हमारे सिवा दो चार पर्यटक और थे और हमें पूरी शांति दिखी जो कि आम तौर पर ऐसे पाइंटो पर नही होती । हां वहां की भीडभाड देखकर ये तो लग रहा था कि यहां पर काफी भीड रहती होगी । इसकी एक और वजह भी है कि ये जगह मुख्य मार्ग पर स्थित है और यहां से गुजरने वाला हर आदमी यहां पर रूकना और एक फोटो तो खींचना ही चाहेगा । पर्यटको को यहां का चारो और पानी की झील और उसके चारो ओर जंगलो और पहाडियो का दृश्य काफी बढिया लगता है । साथ ही रास्ते में चाय के बागान भी दिखते रहते हैं । यहां पर झील में बोटिंग भी की जा सकती है और काफी लोग करते भी होंगे । यहां के पास के जंगलो में ट्रैकिंग के शौकीनो के लिये भी जगहे हैं । शोला नाम के जंगलो में कई रूट हैं जहां लोग ट्रैकिंग के अलावा कई तरह की चिडिया देख सकते हैं । ट्रैकिंग के रास्ते में कुछ जलधारा भी पडती हैं और छोटे छोट एक दो झरने भी जो कि अगर मानसून के मौक पर जाओ तो काफी बढिया दिखायी देंगे
राजेश के लोकल होने की वजह से और अपनी गाडी होने की वजह से एक टेंशन से तो हम मुक्त थे कि कहां घूमना है और कैसे घूमना है । हम बस उससे इतना पूछते थे कि अब आगे क्या दिखा रहे हो और वो अगले स्टाप का नाम बता देता था बाकी रास्ते में जहां चाहे रूकवा लो । उसने हमारे बताये रूट के अनुसार एक रूट तय किया हुआ था उसी से वो एकतरफा निकलता जा रहा था । मटटापुटटी बांध में से पानी निकलने का नजारा बडा शानदार था । इससे आगे चले तो थोडी दूर ले जाकर ही राजेश ने फिर से गाडी रोक दी । अब यहां क्या है भाई ? बोला जी यहां इको प्वांइट है नीचे जाकर देखो । दुकाने यहां पर भी कम ही खुली थी । दुकानो के रास्ते से नीचे होते हुए हम पहुंचे तो यहां पर एक झील थी । झील के दूसरी ओर लम्बे लम्बे पेड थे । इस जगह को ईको प्वांइट बोलते हैं और इसकी खासियत ये है कि यहां पर बोली गयी आवाज की गूंज वापस सुनाई देती है
यहां का नजारा भी मनमोहक है । दोनो ओर से यानि की पहले एक दिशा से और फिर उसकी विपरीत दिशा से फोटो लिये गये । एक फोटो में तो समा ही नही सकती है ये जगह । मेले की तरह सजी दुकाने अभी अंगडाई ले रही थी । रात को देर से सोयी होंगी इसलिये ।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आतिशबाजी का नहीं, ये पावन त्यौहार।।
लक्ष्मी और गणेश के, साथ शारदा होय।
उनका दुनिया में कभी, बाल न बाँका होय।
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(¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
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वाकई बहुत मनमोहक जगह दिखती है, ’मुन्नार’ का नाम भी अपनी लिस्ट में जोड़ लेते हैं।
ReplyDeleteबहुत सुंदर फोटो । हमारे अपने ट्रिप की याद आ गई । मुन्नार है ही इतना खूबसूरत ।
ReplyDeleteआदरणीय श्रीत्यागीजी,
ReplyDeleteबहुत ही खूबसूरत फॉटो है, आप को और आपके सारे परिवार को दिपावली और नूतन वर्षाभिनंदन ।
केरल की बात ही कुछ और है
ReplyDeleteभगवान की पसंदीदा जगह यूँ ही तो नहीं है केरल....मेरा ददिहाल भी :-)
ReplyDeleteशुक्रिया
अनु
मैं अपने अगले ट्रिप में केरल जाने वाली हूँ ही ....मुन्नार अब पक्का हो गया ..
ReplyDeleteशुक्रिया
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं. बेहतरीन फोटोज
ReplyDeleteमनु जी बहुत ही शानदार यात्रा लेख मजा आ गया
ReplyDeleteमनु जी आपने गाड़ी कहा से बुक कराई और उसका प्रतिदिन का कितना किराया था ।