बाइक से चलते हैं और पंच बद्री पंच केदार और पंच प्रयाग करके आते है वैसे तो पंच प्रयाग हमने पहले भी देख रखे थे और पंच बदी में से बद्रीनाथ और पंच केदार में से केदार नाथ भी गये हुए थे पर इस बार नये सिरे से घूमने का विचार था । छुटिटया भी अक्टूबर मे लगभग आठ दिन की पड रही थी लगातार सो वो भी कोई दिक्कत की बात नही थी ।
इस बार ज्यादा दिन नही हुऐ थे कि मै जून में नार्थ ईस्ट की यात्रा करके आया था बीस दिन की सपत्नीक । इसके बाद जुलाई में कांवड की छुटिटयो के दौरान मेरा जाट देवता विपिन विधान आदि के साथ मणिमहेश जाना हुआ । घूमने का कीडा तो हमेशा ही कुलबुलाता रहता है पर इस बार मै पैर पीछे को खींच रखा था बजट के कारण । आमतौर पर किसी साल में इतना खर्च नही हुआ जितना इस साल नार्थ ईस्ट के टूर मे हुआ था इसलिये सोच तो यही रहा था कि इस बार दिसम्बर तक यानि की इस साल तक कहीं भी ना जाउं । पर होनी को कौन टाल सकता है । जाट देवता से लगातार सम्पर्क बना ही रहता है सो कहीं चलने की बात बार बार आती रही । एक मोटा मोटा इरादा बन रहा था कि बाइक से चलते हैं और पंच बद्री पंच केदार और पंच प्रयाग करके आते है वैसे तो पंच प्रयाग हमने पहले भी देख रखे थे और पंच बदी में से बद्रीनाथ और पंच केदार में से केदार नाथ भी गये हुए थे पर इस बार नये सिरे से घूमने का विचार था । छुटिटया भी अक्टूबर मे लगभग आठ दिन की पड रही थी लगातार सो वो भी कोई दिक्कत की बात नही थी ।
पहले बाइक की बात आयी तो ये फाइनल हो गया कि बाइक से ही ये सब किया जा सकता है क्योंकि बस से काफी समय ज्यादा लगेगा । सो बाइक से चलना तो फाइनल था पर जब जाट देवता ने कहा कि दोनेा अपनी अपनी बाइक से चलेंगे तो मुझे झटका सा लगा । मैने सोचा कि उनके साथ कोई और आयेगा । वैसे विपिन को हमारे साथ चलना था लेकिन कोटा जाते समय एक बस एक्सीडेंट में वो घायल हो गया था और फिलहाल दो महीने तक कहीं चल फिर नही सकता था सो वो तो जा नही रहा था । जब मैने जाट देवता से पूछा तो वो बोले कि तीसरा ना कोई जा रहा है ना किसी को ले जाना है अगर विपिन होता तो ले चलते बाकी किसी को नही ले जाना है ।
तो फिर अलग अलग बाइक क्यों ले चल रहे हो । हम दोनो एक ही बाइक पर हो लेंगे और इस रूट मे हजार किलोमीटर से उपर बाइक चलनी है यानि की दो हजार रूपये से उपर का पैट्रौल लगेगा तो वो आधा आधा हो जाये्गा यानि की बस के किराये के बराबर ही समझो । जाट देवता ने बोला कि दो आदमियो का सामान भी हो जाता है और दूसरी बात कि एक बाइक पर दो आदमी हो तो खर्चा तो कम आता है पर आराम भी कम मिलता है । मेरे लिये ये कान्सेप्ट नया नही था मै अपनी जाब के लिये हफते में एक बारी दौ सौ किलोमीटर का सफर अकेले करता हूं पर घूमने कभी अपनी बाइक पर अकेला नही गया ।
दो बंदे हों तो अलग ही मजा आता है । बात करते चलते रहते हैं । फिर अगर अलग अलग बाइक पर जा रहे हों और दूसरा बाइक वाला अगर आगे निकल गया तो उसे आवाज देने की बजाय फोन ही करना पडेगा जबकि दो दो बैठे हों तो कोई बात नही दूसरा फोन मिला देगा । अकेले को तो फोन करने के लिये भी बाइक रोकनी होगी और अगर रास्ते के फोटो लेने हों तो भी बाइक रोकनी होगी । पर चलो अगर जाट भाई ने कह दिया तो कोई बात नही ऐसे ही सही क्योंकि उसको ज्यादा तजुर्बा है घूमने का सो उनकी ये बात मैने टालनी मुनासिब नही समझी । तो प्रोग्राम फाइनल हो गया था ।
जगह भले ही फाइनल नही थी पर एक रोडमैप फाइनल सा कर लिया था कि हम हरिद्धार से जायेंगे और नैनीताल को निकलकर आयेंगें । एक ही रास्ते को दोबारा जाने में मजा नही आता इसलिये । तो यात्रा की तैयारी धीरे धीरे शुरू हो गयी । वैसे यात्रा पर जाने से पहले कनागत यानि की श्राद्धपक्ष का महीना चल रहा था और ऐसे में कपडे या कोई नया सामान खरीदने की मनाही होती है पर चूंकि जाना था तो सामान लेना ही था । इसलिये खरीद दारी करनी पडी । सबसे पहले तो मुझे कपडे लेने थे जो कि मैने चार टी शर्ट जो कि आजकल हल्के हल्के से हौजरी के बनियान से आते हैं वो ले लिये । कई दिन के टूर में कपडे ज्यादा से हों तो फोटो भी ठीक ठाक आते हैं पर कपडो में ज्यादा वजन नही होना चाहिये । शर्ट में वजन ज्यादा हो जाता है वैसे भी मै जींस पहनता हूं सो जींस का वजन तो घटा नही सकता तो ये हल्के से ले लिये । इसके बाद नम्बर था बैग का मेरा पुराना साथी अब बूढा हो चला था ।
जिस बैग पर मैने चार धाम की यात्रा दो बार में बाइक से की थी वो थोडा कमजोर सा हो गया था इसलिये मैने 300 रूपये में एक छोटा सुंदर और मजबूत बैग खरीदा । इसका कपडा जींस जैसा था पर मोटा ना होने के कारण ये हल्का था वजन में । कपडो के बाद दवाईयो की जरूरत थी । मै जब भी घूमने जाता हूं तो कई तरह की दवाईयां रखता हूं जो काम कभी ही आती हैं पर रखनी तो होती ही हैं । अगर काम नही आयी तो घर के प्राथमिक चिकित्सा बाक्स में तो काम आ ही जाती हैं ।
इस बार जो दवाईयां मैने खरीदी वो सब नयी खरीदी । इसमें था ईनो के तीन पैकेट , इलैक्ट्राल के पांच पैकेट , वोवरान एस आर(दर्द के लिये ) क्रोसीन (बुखार के लिये ), डिस्परीन (सिर दर्द ), नारफलोक्स टी जेड (दस्त के लिये )एविल(एंटी एलर्जिक )वोलिनी स्प्रे , बीटाडीन और पटिटयां (चोट के लिये ) ये दवाईयां 300 रू की आयी थी ।
हां ठंड हो सकती है इसको ध्यान में रखकर मैने एक गर्म टोपा , दो जोडी मोजे ,एक हल्के से दस्ताने और एक वजन में हल्का सिक्किम से खरीदा एक शाल और एक गर्म बनियान रख लिया था । बाइक में हमेशा से एक विनचीटर और उसके पाजाम जो कि उसी कपडे का होता है मौजूद ही था बाइक पर ठंड से बचाव के लिये । एक हल्का तौलिया और तीन चार निक्कर और बनियान रखकर बैग तैयार कर लिया । इसके अलावा मेरा कैमरा बैग जिसमे मैने पांच जोडी सैल रिचार्जेबल और एक जोडी डयूरासैल रख लिये ।
जाट देवता ने कहा कि दो जोडी डयूरा सैल मै लेकर आ जाउंगा । ये सब बाते मै आपको इतने विस्तार से इसलिये बता रहा हूं क्योंकि एक तो ये आपके काम आ सकती हैं आने वाले सफर में और दूसरी बात कि हमारे ये कैसे कैसे काम आयी आपको आगे आगे पता चलेगा । कैमरे का बैग बडा बढिया है ये पूरे सफर में मेरे गले में रहता है । पहले मै पेट पर बांधने वाला लेता था पर इस साल मणि महेश में मैने डलहौजी से इसे खरीदा । ये बराबर में टंगा रहता है और हर फोटो में पेट पर नही आता । इसमें मै सैल , कैमरा , पहचान पत्र , मोबाईल और पैसे खुले इसकी अलग अलग जेब में रखता हूं ।
इस यात्रा की शुरुआत के नाम पर ही दिल धक धक करने लगा है, अब ज्यादा इन्तजार मत कराईएगा।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया मनु जी ||
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी और सूचनात्मक जानकारी हैं. किसी भी घुमक्कड के साथ ये सामान तो होना जरुरी हैं. मेडिकल स्टोर अच्छा हैं...राम राम ...वन्देमातरम...
ReplyDeletewaah saab waah
ReplyDeletebahut khuub!all the best!
ReplyDeleteManu ji bhagwan se achhi kismat likhwakar aaye ho hum to aapke lekh padh kar hi khus ho lete hain
ReplyDeleteTaiyari to achchi kee hai, yatra ke hal ka intjar hai.
ReplyDeleteachi taiyari hi dost. maja aa gaya
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