यहां पर कई चोटिया दिखायी देती हैं हिमालय की जो कि लगभग 350 किलोमीटर दूर तक हैं इसलिये ही इस जगह की सुंदरता लाजबाब है । हो सकता है और लोग अन्य जगहो से या अपने होटलो की छतो से भी यहां का सूर्योदय देख रहे हों । वैसे साथ में खडे एक लोकल सज्जन ने मुझे इन चोटियो के नाम के साथ दिखाना शुरू कर दिया है
सुबह के साढे पांच बजे हैं तो तैयार हैं आप कौसानी का प्रसिद्ध सूर्योदय देखने के लिये?अभी थोडा अंधेरा है पर इतना भी नही कि कुछ ना दिख रहा हो । कुछ आकृतिया नजर आ रही हैं पहाडियो की
अनासक्ति आश्रम में इस समय आठ से दस आदमी खडे हैं मेरे साथ वैसे तो इस जगह से बहुत बढिया व्यू आता है पर आज मौसम कुछ ऐसा है कि ना तो बहुत बढिया और ना ही बहुत बेकार
यहां पर कई चोटिया दिखायी देती हैं हिमालय की जो कि लगभग 350 किलोमीटर दूर तक हैं इसलिये ही इस जगह की सुंदरता लाजबाब है । हो सकता है और लोग अन्य जगहो से या अपने होटलो की छतो से भी यहां का सूर्योदय देख रहे हों । वैसे साथ में खडे एक लोकल सज्जन ने मुझे इन चोटियो के नाम के साथ दिखाना शुरू कर दिया है
कहने का मतलब ये है कि आज मौसम इतना साफ तो है कि सूर्योदय आपको देखने को मिलेगा लेकिन इतना भी साफ नही कि बिल्कुल आपको फोटो में भी साफ साफ दिखे । वैसे नंगी आंखो से मजा ज्यादा आता है कैमरा उस क्षण की बराबरी कभी नही कर सकता पर जैसा भी हमारी हैसियत थी या हमारे कैमरे की उसके हिसाब से आपके सामने उस समय का नजारा प्रस्तुत है । एक बात और बता दूं कि आपको ये फोटो एक जैसे लग सकते हैं पर ना तो ये फोटो एक जगह से लिये गये हैं ना ही एक समय में आप धीरे धीरे और धैर्य से देखते चलेंगें तो आपको सूर्योदय का मजा मिलेगा । यहीं पर मेरा परिचय हुआ रतन सिंह गाइड से जो कि पिंडारी और कफनी ग्लेशियर के पास के गांव का रहने वाला है और दो लोगो के साथ आज ही मिलाम ग्लेशियर और नंदा देवी बेस कैम्प लेकर जा रहा है । ये लोग सूर्योदय देखते ही बैजनाथ के लिये चलेंगें । मेरा मन हुआ इनके साथ ही चलता हूं । रतन सिंह ने आमंत्रित भी कर दिया पर प्रोग्राम इनका दस दिन का है और इतनी मेरी छुटिटयां नही हैं । दूसरी बात ये कि रात को जाट देवता से बात हुई थी और उन्होने जब मुझसे पूछा कि तुम कहां हो और मैने बताया कि मै कौसानी में हं तो उन्होने अपने आने की घोषणा कर दी । वैसे मै अब भी संशय में हूं कि जाट देवता आयेगा कि नही पर जब वे कह रहे हैं तो मैने यकीन कर लिया । सुबह सूर्योदय देखने के बाद मैने फिर जाट भाई को फोन किया तो बच्चे ने उठाया और बोला कि पापा तो घूमने गये हैं । जय हो जाट देवता की । आ जाओ भाई तुम्हारी वजह से तो प्रोग्राम बना है तुम ही नही आये । अब और जोश आ गया चलो रूपकुंड चलते हैं । आप भी चल रहे हो ना ?
बहुत मनोरम दृश्य
ReplyDeleteमेरी नई कविता आपके इंतज़ार में है: नम मौसम, भीगी जमीं ..
मनु जी राम राम, कौसानी का सूर्योदय तो मशहूर हैं, पर हम लोग इसे देख नहीं पाए थे. आज आपके जरिये देख भी लिया, मन्नू भाई मोटर चली पम पम पम, चलते रहो....वन्देमातरम...
ReplyDeleteमैं लगातार तुम्हारा पीछा कर रहा हूँ अपनी रफ़्तार से चलते रहो, जल्द ही पकड़ लिये जाओगे। हा हा हा
ReplyDeleteजब हम गए तब हमे भी बादलों और धुंध के कारण सूर्योदय नहीं देखने को मिला था .... हम लोग अनाशक्ति आश्रम में ही रुके थे ....
ReplyDeleteपहाड़ो मैं सूर्योदय के दर्शन करने का अपना ही अलग एहसास है। आपके मन मोह लेने वाले चित्र्रो ने उस एहसास का घर बैठे बैठे अनुभव करा दिया। धन्यवाद।
ReplyDeleteआपके फोटू देखकर हमें कौसानी का सूर्य उदय देखने का सोभाग्य प्राप्त हुआ ...जब हम वहां पहुचे थे तो हमे बादलो ने यह खूबसूरती देखने का मौका नहीं दिया था .....
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