यहां से मेरा अगला पडाव है बैजनाथ जो कि 17 किलोमीटर दूर है । वैसे यहां से अन्य स्थानो की भी दूरी लिखी हुई है जो कि आप देख सकते हैं बागेश्वर वाला रास्ता इस बार भी मेरा रह गया है पर हां सरकारी चाय के बागान मै आपको जरूर दिखाने वाला हूं । यहां से जो रास्ता है वो बैजनाथ तक ढालान ही ढालान है । इसलिये बैजनाथ तक मैने बाइक को बंद ही रखा ।
ये जो चित्र आप देख रहे हैं ये अगले दिन यानि की यात्रा के दूसरे दिन कौसानी से प्रस्थान का है जब मै अपने होटल से चैक आउट करके चला । वैसे मै रूकना तो नही चाहता था पर फिर सोचा कि एक बार मोबाईल से बाइक के किलोमीटर का फोटो ले लूं ताकि याद रहे । कल एक दिन में मै दिल्ली से कौसानी वाया भीमताल , सातताल और नौकुचियाताल होकर आया था तो एक दिन और 12 घंटे में मैने 436 किलोमीटर का सफर किया था ।
यहां से मेरा अगला पडाव है बैजनाथ जो कि 17 किलोमीटर दूर है । वैसे यहां से अन्य स्थानो की भी दूरी लिखी हुई है जो कि आप देख सकते हैं बागेश्वर वाला रास्ता इस बार भी मेरा रह गया है पर हां सरकारी चाय के बागान मै आपको जरूर दिखाने वाला हूं । यहां से जो रास्ता है वो बैजनाथ तक ढालान ही ढालान है । इसलिये बैजनाथ तक मैने बाइक को बंद ही रखा ।
हरी भरी वादिया और सर्पीले सुंदर रास्ते । सुबह के आठ बजे का समय । वैसे और कोई दिन होता तो शायद मै सुबह सवेरे ही निकल लेता पर एक तो कौसानी का सूर्योदय देखना था और दूसरा मेरी बाइक होटल वाले की दुकान में बंद थी जिसने रात ही मुझे बता दिया था कि वो आठ बजे से पहले नही उठेगा । इसलिये मैने आराम से सूर्योदय देखा और कौसानी में घूमता घामता चाय वगैरा पीकर आया और तब अपने होटल वाले को उठाया । अपनी बाइक निकाली दुकान से और चल दिया
कौसानी से जो नजारा धुंधला धुधला दिखायी दे रहा था वो अब सुंदर होने लगा था क्योंकि धूप निकल बर्फ से ढके शिखरो पर पड रही थी और वो नजारा खूबसूरत हो गया था । वैसे मै ज्यादातर फोटो कैमरे से ना लेकर मोबाइल से ले रहा था उसकी वजह थी बैट्री चार्ज ना होना और जहां मै जा रहा था वहां भी उम्मीद कम ही थी
तो बस बैजनाथ के नजारे देखते हैं अगली पोस्ट में
यहां से मेरा अगला पडाव है बैजनाथ जो कि 17 किलोमीटर दूर है । वैसे यहां से अन्य स्थानो की भी दूरी लिखी हुई है जो कि आप देख सकते हैं बागेश्वर वाला रास्ता इस बार भी मेरा रह गया है पर हां सरकारी चाय के बागान मै आपको जरूर दिखाने वाला हूं । यहां से जो रास्ता है वो बैजनाथ तक ढालान ही ढालान है । इसलिये बैजनाथ तक मैने बाइक को बंद ही रखा ।
हरी भरी वादिया और सर्पीले सुंदर रास्ते । सुबह के आठ बजे का समय । वैसे और कोई दिन होता तो शायद मै सुबह सवेरे ही निकल लेता पर एक तो कौसानी का सूर्योदय देखना था और दूसरा मेरी बाइक होटल वाले की दुकान में बंद थी जिसने रात ही मुझे बता दिया था कि वो आठ बजे से पहले नही उठेगा । इसलिये मैने आराम से सूर्योदय देखा और कौसानी में घूमता घामता चाय वगैरा पीकर आया और तब अपने होटल वाले को उठाया । अपनी बाइक निकाली दुकान से और चल दिया
कौसानी से जो नजारा धुंधला धुधला दिखायी दे रहा था वो अब सुंदर होने लगा था क्योंकि धूप निकल बर्फ से ढके शिखरो पर पड रही थी और वो नजारा खूबसूरत हो गया था । वैसे मै ज्यादातर फोटो कैमरे से ना लेकर मोबाइल से ले रहा था उसकी वजह थी बैट्री चार्ज ना होना और जहां मै जा रहा था वहां भी उम्मीद कम ही थी
ये है रास्ते में मौजूद एक छोटा सा मंदिर और नीचे के फोटो में है बैजनाथ से पहले पडने वाला एक गांव जिसमें कुछ दुकान आदि भी हैं
तो बस बैजनाथ के नजारे देखते हैं अगली पोस्ट में
बहुत बढ़िया, चलते रहिये, आगे मिलते हैं :)
ReplyDeleteकई साल पहले देखी थी यह जगह ,
ReplyDeleteईश्वर आप की आगे की यात्रा भी सफल करे.
यात्रा करते समय कैमरे के लिए एक एक्स्ट्रा बेटरी रख सकते हैं ,
मोबाइल से लिए गए सभी चित्र भी अच्छे हैं .
आगे आयेगा मन्दिरों का गढ़।
ReplyDeleteहरी भरी वादियाँ, सर्पीले रास्ते, बर्फ से ढकी चोटियाँ, छोटे छोटे मंदिर - पहाड़ो मैं अभी चले जाने को जी चाहता है। बहुत सुन्दर। चले बैज्यनाथ धाम की और।
ReplyDeleteआपकी यात्रा हमेशा सफलता की ओर अग्रसर हो.
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