ये फोटो अनासक्ति आश्रम कौसानी का है जहां पर ये बंधू सुबह सुबह चाय की चुस्कियां ले रहे थे और सूर्योदय देख रहे थे । वैसे तो आपको फोटो देखकर ही समझ में आ जायेगा पर फिर भी मै आपको बता देता हूं कि इन्होने आगे की देा सीट के अलावा बाकी सब सीट निकाल दी हैं और वहां पर डनलप का गददा बिछा लिया है ।
बाइक से सफर कर रहे हों तो कई बार वो चीजे देखने को मिल जाती हैं जो मन में गुदगुदी पैदा कर देती हैं । जैसे कि मै इस बार बाइक से जब जा रहा था तो मैने अपने कैमरा बैग को आगे की ओर टांगा हुआ था और कई बार रूककर फोटो खींच लेता था । पर कई बार ऐसा होता था कि चलते चलते ही फोटो खींचने की मन में आती तो कैमरा एक हाथ से पकडकर बैग से निकालना और रखना संभव नही हो पाता है ।
बाइक को चलाते हुए एक हाथ से फोटो खींचना कोई सही काम नही है ना ही बडाई का पर मन नही मानता तो मै निकाल लेता था । ये जो फोटो आप देख रहे हैं इसके और दो तीन फोटो के उपर मैने ये पोस्ट लिखी है पर ये बताना जरूरी है कि क्यों ? एक ट्रक मेरे आगे जा रहा था जिसके पीछे लिखा था फिर वही दिल लाया हूं जल मत , किस्तो में लाया हूं मुझे इन लाइनो को पढकर बडा मजा आया । वैसे भी एक तरफ पहाड होने की वजह से ये ट्रक मुझे काफी देर से साइड नही दे रहा था तो मैने इसके पीछे लिखी लाइनो को कैमरे में कैद करने की सोची । बार बार मै इसके पास पहुंचकर खींचने की कोशिश करता तो कभी ये अचानक ब्रेक लगा देता तो मुझे एकदम से मोबाईल को अपने दोनो पैरो के बीच में बनी जगह में डालकर एकदम से ब्रेक लगाने पडते । कई बार की मेहनत के बाद काफी नजदीक और स्पोर्टस मोड में मै और कई शाटस लेने के बाद मै इस फोटो को खींच पाया । दूसरा वाकया है गरम पानी का । जी हां बडा ही यूनिक नाम है इस जगह का जिसके नाम पर इस रास्ते को भी जाना जाता है । अल्मोडा जाने के लिये गरम पानी वाले रास्ते को पूछना पडता है और यही है उस गांव का बोर्ड जो कि आपको सामने दिखायी दे रहा है । तीसरा मैने इस बार ही ज्यादा देखा । इस पूरे इलाके में मैने इतना पहले कहीं नही देखा था ये सिस्टम जो कि इस बार देखा । ये था पेडो पर इस तरह से पुआल इकठठी करने का चौथा और आखिरी मै आपको बताना चाहूंगा इन शख्स के बारे में जिन्हे आप इस फोटो में देख रहे हैं । ये महाशय अपनी धर्मपत्नी सहित भारत भ्रमण् पर निकले हैं और इन्होने अपनी मारूति वैन को अपना हमसफर बनाया है । हालांकि मुझे एकदम से तो झटका सा लगा था । ये फोटो अनासक्ति आश्रम कौसानी का है जहां पर ये बंधू सुबह सुबह चाय की चुस्कियां ले रहे थे और सूर्योदय देख रहे थे । वैसे तो आपको फोटो देखकर ही समझ में आ जायेगा पर फिर भी मै आपको बता देता हूं कि इन्होने आगे की देा सीट के अलावा बाकी सब सीट निकाल दी हैं और वहां पर डनलप का गददा बिछा लिया है । उस पर रात में ये दोनो आराम करते हैं यानि की होटल की जरूरत नही । आगे की सीटो पर सफर में दोनो साथ बैठते हैं । यानि की वाहन का साधन का झंझट खत्म । अपने साथ गाडी में इन्होने पांच किलो का गैस सिलैंडर रखा हुआ था और खाने से लेकर चाय का सभी सामान तो खाना बनाने खाने की समस्या भी खत्म , बनाने वाली साथ में तो नो टेंशन । तो चलें भारत भ्रमण ?
भारत भ्रमण का वैन वाला तरीका जबरदस्त लगा।
ReplyDeleteवैन वाला तरीका ही सही है।
ReplyDeleteभाई वाह, फिर वाही दिल लाया हूँ, ऐसे नाम भारत में ही हो सकते हैं, और भारत तो हैं ही जुगाडो का देश, वैन के अंदर बिस्तर, असली घुमक्कड हैं ये यारो...
ReplyDeleteबढ़िया चित्रों से सजा यात्रा विवरण अच्छा लगा |
ReplyDeleteआशा