ग्वालदम से जा रहा ये रास्ता नंदकेसरी नामक एक जगह पर खुलता है जहां पर मैने और जाट ने वापसी में कुछ अच्छा समय बिताया । आप भी सैर करिये इस खराब रास्ते के सुहाने नजारो की और
ग्वालदम से देवाल के रास्ते के बारे में मैने आपको पिछली पोस्ट में बताया ही था कि कितना खराब रास्ता था ये । पर जब ओखली में सिर दे दिया तो मूसल से क्या डरना सो मैने भी बाइक का इंजन बंद कर लिया और उतरने लगा नीचे । क्योंकि ग्वालदम जो था वो उंचाई पर था और देवाल जाने के लिये इन चित्रो में दिख रही नदी तक जाना था
यानि घाटी में बिलकुल नीचे और फिर लोहे का पुल पार करके मिल जाना था थराली से देवाल आ रहे रास्ते पर । वैसे पूरे रास्ते यानि की 20 किलोमीटर तक लगातार उतराई थी और मेरे हाथ और पैर लगातार ब्रेक पर थे । उंचे नीचे गढढो में उतरते और उछलते मुझे भूख भी लगने लगी थी पर इस जंगल में तो कहीं भी कुछ भी नही था सो मैने सोचा कि अब देवाल पहुंचते ही सबसे पहले खाना खाउंगा । इस सोच के साथ मै चलता रहा पर कई बार इस रास्ते में मुझे कुछ ऐसे मोड भी मिलते थे जिनसे इस रास्ते पर आने का मेरा मकसद सफल होता दिखता था । उन मोडो पर पेडो की उंचाई कम होती थी और दूसरी पहाडियो का नजारा दिखायी दे जाता था । कई बार नीचे बह रही नदी का सुंदर नजारा दिखता था । मै उस नदी के किनारे की खूबसूरती को देखकर आश्चर्य चकित था और सोच रहा था कि जल्दी से वहां पर पहुंचकर उसे देखना है । ग्वालदम से जा रहा ये रास्ता नंदकेसरी नामक एक जगह पर खुलता है जहां पर मैने और जाट ने वापसी में कुछ अच्छा समय बिताया । आप भी सैर करिये इस खराब रास्ते के सुहाने नजारो की और तब तक मै तैयारी करता हूं देवाल से रूपकुंड जाने की क्योंकि मै अब रूपकुंड के नजदीक आता जा रहा हूं । तो इंतजार करियेगा अगली पोस्ट का और हां अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजियेगा
यानि घाटी में बिलकुल नीचे और फिर लोहे का पुल पार करके मिल जाना था थराली से देवाल आ रहे रास्ते पर । वैसे पूरे रास्ते यानि की 20 किलोमीटर तक लगातार उतराई थी और मेरे हाथ और पैर लगातार ब्रेक पर थे । उंचे नीचे गढढो में उतरते और उछलते मुझे भूख भी लगने लगी थी पर इस जंगल में तो कहीं भी कुछ भी नही था सो मैने सोचा कि अब देवाल पहुंचते ही सबसे पहले खाना खाउंगा । इस सोच के साथ मै चलता रहा पर कई बार इस रास्ते में मुझे कुछ ऐसे मोड भी मिलते थे जिनसे इस रास्ते पर आने का मेरा मकसद सफल होता दिखता था । उन मोडो पर पेडो की उंचाई कम होती थी और दूसरी पहाडियो का नजारा दिखायी दे जाता था । कई बार नीचे बह रही नदी का सुंदर नजारा दिखता था । मै उस नदी के किनारे की खूबसूरती को देखकर आश्चर्य चकित था और सोच रहा था कि जल्दी से वहां पर पहुंचकर उसे देखना है । ग्वालदम से जा रहा ये रास्ता नंदकेसरी नामक एक जगह पर खुलता है जहां पर मैने और जाट ने वापसी में कुछ अच्छा समय बिताया । आप भी सैर करिये इस खराब रास्ते के सुहाने नजारो की और तब तक मै तैयारी करता हूं देवाल से रूपकुंड जाने की क्योंकि मै अब रूपकुंड के नजदीक आता जा रहा हूं । तो इंतजार करियेगा अगली पोस्ट का और हां अपनी प्रतिक्रिया जरूर दीजियेगा
बढ़िया है ||
ReplyDeleteफोटो तो बहुत सुहाने हैं....पर एक बात बताओ इतना कम कम और छोटी पोस्ट क्यों लिख रहे हो.....|
ReplyDeleteएक कमी मनु भाई ...मुझे इससे पहले की पोस्ट देखनी थी पर मुझे वो पोस्ट नहीं मिली....| इस पर ध्यान दीजिए...
ReplyDeleteati sundar jagah
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