भागूवासा के बारे में कहा जाता है कि यहां पर देवी के वाहन शेर का निवास होने के कारण इस जगह का नाम भागूवासा कहा जाता है । यहां पर कुछ मकान बने हैं पत्थर के पर फिलहाल उन पर छत नही है । यहां पर भी इंडिया हाइक वालो के टैंट ही एकमात्र सहारा है कहा जाता है कि इसी जगह पर राजा की घरवाली को प्रसव हुआ था जिसके कारण उनकी यात्रा शापित हुई और वो सब लोग मारे गये रूपकुंड में जाकर ।
भागूवासा के बारे में कहा जाता है कि यहां पर
देवी के वाहन शेर का निवास होने के कारण इस जगह का नाम भागूवासा कहा जाता
है । यहां पर कुछ मकान बने हैं पत्थर के पर फिलहाल उन पर छत नही है । यहां पर भी
इंडिया हाइक वालो के टैंट ही एकमात्र सहारा है कहा जाता है कि इसी जगह पर राजा की
घरवाली को प्रसव हुआ था जिसके कारण उनकी यात्रा शापित हुई और वो सब लोग मारे गये
रूपकुंड में जाकर ।
मेरे पैरो के नीचे जो बर्फ है वो चिकनी पक्की सी लग रही थी
फिलहाल तो इन पत्थर के मकानो में बर्फ गिरी पडी थी । इंडिया हाइक वालो के टैंट भी यहां पर लगे थे और उनमें से एक टैंट में अपना सामान रखकर और पांच मिनट के लिये बैठकर मै बाहर को निकल गया । कुंवर सिंह ने पूछा कि कुछ खाना या पीना है पर मैने मना कर दिया कि पहले रूपकुंड जायेंगे उसके बाद कुछ खायेंगें । कुंवर सिहं ने बोला कि मै इन्हे कह देता हूं चाय बनाने के लिये ।
हम अपना सारा सामान लिये थे पर इमरजेन्सी के लिये । अगर इंडिया हाइक वाले मना कर दें तो अपना बना लेंगें वरना तो उन्ही से पैसे देकर बनवा लेंगे क्योंकि अपना सारा सामान खोलने में काफी टाइम लगता है ।
पातर नौचानियां में पानी का श्रोत काफी दूर है यहां भागूवासा में पानी का जरिया था पर फिलहाल सब जमा हुआ था और पीने का पानी भी बर्फ को पिघलाकर ही आ रहा था । मुझे वाण में बताया गया था कि यहां पर सब बंद है । एक प्राइवेट बंदा टैंट लगाकर बेदिनी में खाना वगैरा बना रहा था वो भी दो तीन पहले वापस आ गया था क्योंकि इतनी बर्फ में वहां पर कौन जायेगा । आवाजाही बहुत कम थी और मैने कुंवर सिंह के चाय लाने तक पन्द्रह मिनट बर्फ में बिताये ।
बडा मजा आ रहा था यहां पर भी और इस मजे मजे में मैने काफी फोटो खींच डाले ये ध्यान ही नही रहा कि ये मेरे पास मौजूद आखिरी सैल की जोडी है और यहीं पर ये भी बोल गये । अब क्या हो सकता था । इंडिया हाइक वालो ने सोलर की प्लेट रखी हुई थी चार्जिंग के लिये पर कम से कम दो घंटे में इतने सैल चार्ज होते कि मै दस बीस फोटो खींच पाता । वैसे भी सोलर चार्जर की इतनी कैपिसिटी नही होती वो एक छोटी सी प्लेट थी
तीनो लोग जो हमारे साथ थे वो भी आ गये थे और आगे चलने को तैयार थे पर इंडिया हाइक वालो के अनुसार आगे जाना मुश्किल और नामुमकिन के बीच में था क्योंकि आगे बर्फ सात आठ फुट तक थी ।
जो होगा देखा जायेगा कि तर्ज् पर चाय पीते ही हम लोग दोबारा चल पडे रूपकुंड के लिये ।
मुझे यहीं से जाना है
रजाई में बैठ कर देख रहा हूँ, तब भी ठन्ड़ लग रही है।
ReplyDeleteबेहतरीन चित्र.
ReplyDeleteरोमांचक यात्रा वृतांत.
सुन्दर दृष्य...
ReplyDeleteमन्नै भी जाडा लाग रहया सै रे भाई।
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