खुशी हो या गम अपनी इस आभासी दुनिया के मित्रो से सच्ची सलाह मिलती है और इसीलिये कभी कभी मेरे मन में अनेक तरह की बाते आती हैं जो मै आपसे बांट...
खुशी हो या गम अपनी इस आभासी दुनिया के मित्रो से सच्ची सलाह मिलती है और इसीलिये कभी कभी मेरे मन में अनेक तरह की बाते आती हैं जो मै आपसे बांटता रहना चाहता हूं
2012 की खुशखबरी के नाम से मैने एक पोस्ट 6 जनवरी 2013 को लिखी थी आज से लगभग एक महीने पहले । उस दिन मुझे इस बात की खुशी हुई थी कि मेरे ब्लाग की रैंक 10 लाख से कुछ नीचे आ गयी थी और भारत में 70 हजार । अलेक्सा रैंक रोज अपडेट होती है और एक महीने के अंतराल में ही अलेक्सा रैंक घटकर 5 लाख 50 हजार और इंडिया में 55 हजार के करीब आ गयी है
मुझे खुशी तो हो ही रही है पर साथ ही आश्चर्य भी कि मैने दो महीने से अपने ब्लाग पर ध्यान नही दिया । मै अपने नये घर के निर्माण कार्य में व्यस्त था और केवल मेल चैक करने और फेसबुक तक सीमित रहा वो भी मोबाइल पर । चूंकि रूपकुंड की यात्रा जो आप पढ रहे हैं ये मैने दिसम्बर में ही लिखकर और पोस्ट लगाकर शैडयूल कर दी थी जो कि अब खत्म होने को है ।
अच्छे मोबाईल और एन्ड्रायड आपरेटिंग सिस्टम का ये तो फायदा है कि आपको वो सब काम करने के लिये लैपटाप की जरूरत नही पडती । फेसबुक पर लाइक , कमेंट और मेल पर कमेंट रिसीब करना मेरे लिये ज्यादा नया नही है सो मै खुश हो जाता हूं ।
वैसे अलेक्सा रैंकिंग के बारे में पक्का कुछ कहा नही जा सकता पर मैने आज ही इस पोस्ट को लिखने से पहले अपनी रैंकिंग और ब्लागिंग में हुए एक साल के तजुर्बे पर दो तीन पोस्ट लिखी हैं आप सबसे अपने अनुभव को शेयर करने के लिये जो जल्द ही आपके सामने होंगी । पर ये बात पक्की है कि अलेक्सा या गूगल रैंक अच्छी सामग्री की कद्र करती हैं क्योंकि जो एक सबसे बडा कारण समझ में आ रहा है वो है मेरा अबसे पहले घुमक्कड डाट काम और अपने ब्लाग पर लिखना और मैटर का डुप्लीकेट हो जाना जो कि मैने अब हटा लिया है और मेरा मैटर अब केवल मेरे ब्लाग पर ही है
एक और सोचने की बात है कि मैने अपने या किसी के भी ब्लाग पर इन दो तीन महीनो में ज्यादा समय नही दिया और ना ही मेरे साइट के पेज व्यूज की संख्या में कोई खास बढोतरी हुई । आज भी लगभग 6000 पेज व्यूज महीने का ही औसत है तो फिर ये रैंकिग में बढोतरी लगातार कैसे है इसके जबाब तलाशने की कोशिश की और उसी पर जो लिखा है वो आपके सामने रखूंगा
तब तक के लिये आप पढिये रूपकुंड यात्रा जिसके अगले पडाव में मै बस रूपकुंड से एक कदम ही दूर हूं
2012 की खुशखबरी के नाम से मैने एक पोस्ट 6 जनवरी 2013 को लिखी थी आज से लगभग एक महीने पहले । उस दिन मुझे इस बात की खुशी हुई थी कि मेरे ब्लाग की रैंक 10 लाख से कुछ नीचे आ गयी थी और भारत में 70 हजार । अलेक्सा रैंक रोज अपडेट होती है और एक महीने के अंतराल में ही अलेक्सा रैंक घटकर 5 लाख 50 हजार और इंडिया में 55 हजार के करीब आ गयी है
मुझे खुशी तो हो ही रही है पर साथ ही आश्चर्य भी कि मैने दो महीने से अपने ब्लाग पर ध्यान नही दिया । मै अपने नये घर के निर्माण कार्य में व्यस्त था और केवल मेल चैक करने और फेसबुक तक सीमित रहा वो भी मोबाइल पर । चूंकि रूपकुंड की यात्रा जो आप पढ रहे हैं ये मैने दिसम्बर में ही लिखकर और पोस्ट लगाकर शैडयूल कर दी थी जो कि अब खत्म होने को है ।
अच्छे मोबाईल और एन्ड्रायड आपरेटिंग सिस्टम का ये तो फायदा है कि आपको वो सब काम करने के लिये लैपटाप की जरूरत नही पडती । फेसबुक पर लाइक , कमेंट और मेल पर कमेंट रिसीब करना मेरे लिये ज्यादा नया नही है सो मै खुश हो जाता हूं ।
वैसे अलेक्सा रैंकिंग के बारे में पक्का कुछ कहा नही जा सकता पर मैने आज ही इस पोस्ट को लिखने से पहले अपनी रैंकिंग और ब्लागिंग में हुए एक साल के तजुर्बे पर दो तीन पोस्ट लिखी हैं आप सबसे अपने अनुभव को शेयर करने के लिये जो जल्द ही आपके सामने होंगी । पर ये बात पक्की है कि अलेक्सा या गूगल रैंक अच्छी सामग्री की कद्र करती हैं क्योंकि जो एक सबसे बडा कारण समझ में आ रहा है वो है मेरा अबसे पहले घुमक्कड डाट काम और अपने ब्लाग पर लिखना और मैटर का डुप्लीकेट हो जाना जो कि मैने अब हटा लिया है और मेरा मैटर अब केवल मेरे ब्लाग पर ही है
एक और सोचने की बात है कि मैने अपने या किसी के भी ब्लाग पर इन दो तीन महीनो में ज्यादा समय नही दिया और ना ही मेरे साइट के पेज व्यूज की संख्या में कोई खास बढोतरी हुई । आज भी लगभग 6000 पेज व्यूज महीने का ही औसत है तो फिर ये रैंकिग में बढोतरी लगातार कैसे है इसके जबाब तलाशने की कोशिश की और उसी पर जो लिखा है वो आपके सामने रखूंगा
तब तक के लिये आप पढिये रूपकुंड यात्रा जिसके अगले पडाव में मै बस रूपकुंड से एक कदम ही दूर हूं
ok
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