अरे ये क्या ? दिन के एक बजे और धूप गायब अचानक से बर्फ पडनी शुरू हो गयी । कोई नोटिस नही कोई अनाउंसमैंट नही । ये कैसा मौसम है राम जी आपने ब...
अरे ये क्या ? दिन के एक बजे और धूप गायब अचानक से बर्फ पडनी शुरू हो गयी । कोई नोटिस नही कोई अनाउंसमैंट नही । ये कैसा मौसम है राम जी आपने बनाया |
हम लोग बेदिनी में पहुंचे ही थे और मेरा मन कर रहा था कि बस खाना वगैरा खा कर हम चलते ही रहें क्योंकि सात किलोमीटर दूर का सफर हम बडे आराम से कर सकते हैं । पर उपर वाले ने क्या तय कर रखा है इसके आगे आपका कोई बस नही चलता है ।
दिन के साढे बारह बजे बेदिनी में पहुंचने के बाद सबसे पहले हम लोग इंडिया हाइक के टैंट में पहुंचे । वहां पर एक इजरायली जोडा और एक बुजुर्ग व्यक्ति थे । इजरायली जोडा वापिस आ रहा था वो बर्फ ज्यादा देखकर ही डर गये थे । हालांकि उन दोनो के पास कोई गाइड नही था पर वे अपना टैट और सारा सामान लिये थे । बुजुर्ग अंकल भी इंडिया हाइक के ग्रुप मे थे और उन्हे इंडिया हाइक वालो ने पातर नौचानियां के रास्ते से ही वापस कर दिया था उनके स्वास्थय को देखते हुए ।
यहां पर इंडिया हाइक वालो ने कई टैट लगा रखे थे । उनकी दो हट भी थी जो काम आती थी सामान के स्टोरेज में । कुंवर सिंह ने उनसे बात की थी कि क्या खाने का इंतजाम हो जायेगा । उन्होने सौ रूपये में खाना और चाय तय कर लिया । हमारे पास खाने के लिये इंतजाम तो था पर मैगी और चावल वगैरा ही बना सकते थे । वो सब इमरजैंसी के लिये था सो खाना बनने के लिये कह दिया ।
बस इसी दौरान बर्फबारी शुरू हो गयी । मै हैरान था कि कहां अभी बढिया धूप में आ रहा था और पसीने से तरबतर था और एकदम से ये मौसम का बदलाव ।
वैसे मै खुश भी था मै दूसरी बार स्नोफाल देख रहा था । इससे पहले मैने पटनीटाप , कश्मीर में इसे देखा था । पर इस खुशी में एक बात दिमाग में साल रही थी कि ऐसे में अब अगला कदम क्या होगा । बस यहीं पर एक टैंट लो और अब से लेकर पूरा बाकी दिन और रात भर लेटे रहो । अकेले आदमी का तो मन भी नही लगता
खाली बैठना मुझे पसंद नही पर फिर भी मैने कुंवर सिंह से कह दिया कि वो एक टैंट में मेरा सामान रख दे । उससे कहकर मैने अपना सामान एक टैट में रखवाया , खाना खाया ,चाय पी और फिर कुछ फोटो लेकर मै टैंट में घुस गया । स्लीपिंग बैग निकाल कर उसमें लेटकर सोने की कोशिश करने लगा । क्योंकि सबका यही कहना था कि अब तो सुबह सुबह ही कुछ हो सकता है
पहाडो का ज्यादातर यही मिजाज है यहां सुबह सवेरे तो अक्सर मौसम ठीक रहता है बाद में उंचाई के हिसाब से जल्दी ही खराब होने लगता है । तो चलिये देखते हैं आगे राम जी को क्या मंजूर है ?
क्या मै रूपकुंड जा पाउंगा ?
क्या जाट देवता आयेगा और मुझे मिलेगा ?
जाट आयेगा, बर्फ़बारी अकेले देख ली,
ReplyDeletechale jaao jaat aur mil lo manu ko
ReplyDeleteराम की लीला राम ही जाने, जाने कब मौसम खराब हो जाए सब उसे ही पता हैं...
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार 5/2/13 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां हार्दिक स्वागत है
ReplyDeleteजाट जरुर आएगा और आए बिना नही मानेगा :)
ReplyDeleteसुंदर चित्र .सार्थक पोस्ट जानकारी सहित आभार
ReplyDeleteBABA RE ITNI SNOW FALL?
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