वैसे हमारे पैर भी कुछ कम नही धंस रहे थे बर्फ में और मेरे पास थे 220 रूपये वाले गोल्ड स्टार के जूते जिनमें इतनी नीचे धंसते ही कपडे में को पानी पार हो जाता था । मेरे सारे मोजे गीले हो चुके थे । वो तो विनचीटर ने ठंड से बचा रखा था वरना बाकी तो कोई कमी बाकी नही था यहां पर सर्दी ने कोई कोर कसर नही छोड रखी थी
ये जो फोटो है इसी में भागूवासा से रूपकुंड का रास्ता है पर अभी दिखायी नही दे रहा है क्योंकि सूरज दूसरी साइड से निकला हुआ है और छाया के कारण भी रास्ता कम नजर आ रहा है
हिमालय के साथ मेरे भी कुछ पोज हो जायें
मैने एक बार बर्फ में पैर मारा जो कि खाई की तरफ था तो बर्फ का टुकडा बडी तेजी से नीचे की ओर गिरने लगा जिसे देखकर रूह कांप गयी कि अगर इसकी जगह आदमी हो तो वो भी इसी तरह नीचे जायेगा और पीछे रह जायेंगें बस निशान
ये किसी जानवर के पैरो के निशान लगते हैं ।
वैसे हमारे पैर भी कुछ कम नही धंस रहे थे बर्फ में और मेरे पास थे 220 रूपये वाले गोल्ड स्टार के जूते जिनमें इतनी नीचे धंसते ही कपडे में को पानी पार हो जाता था । मेरे सारे मोजे गीले हो चुके थे । वो तो विनचीटर ने ठंड से बचा रखा था वरना बाकी तो कोई कमी बाकी नही था यहां पर सर्दी ने कोई कोर कसर नही छोड रखी थी
कालू विनायक से भागूवासा की ओर को आता हुआ रास्ता
ये दिख रहा है हिमालय की कई चोटियो का मनमोहक नजारा
ये बहुत बडे बडे पत्थर हैं जो इस समय बर्फ के कारण छोटे छोटे दिखायी दे रहे हैं
इस मोड पर तो पैर रखने के लिये भी जगह बडी मुश्किल से मिली थी
भागूवासा नजर आ गया है । ये ही वन विभाग के बनाये हट हैं और इन्हे लोकल लोग धर्मशाला भी कहते हैं
हिमालय के साथ मेरे भी कुछ पोज हो जायें
मैने एक बार बर्फ में पैर मारा जो कि खाई की तरफ था तो बर्फ का टुकडा बडी तेजी से नीचे की ओर गिरने लगा जिसे देखकर रूह कांप गयी कि अगर इसकी जगह आदमी हो तो वो भी इसी तरह नीचे जायेगा और पीछे रह जायेंगें बस निशान
ये किसी जानवर के पैरो के निशान लगते हैं ।
वैसे हमारे पैर भी कुछ कम नही धंस रहे थे बर्फ में और मेरे पास थे 220 रूपये वाले गोल्ड स्टार के जूते जिनमें इतनी नीचे धंसते ही कपडे में को पानी पार हो जाता था । मेरे सारे मोजे गीले हो चुके थे । वो तो विनचीटर ने ठंड से बचा रखा था वरना बाकी तो कोई कमी बाकी नही था यहां पर सर्दी ने कोई कोर कसर नही छोड रखी थी
कालू विनायक से भागूवासा की ओर को आता हुआ रास्ता
ये दिख रहा है हिमालय की कई चोटियो का मनमोहक नजारा
ये बहुत बडे बडे पत्थर हैं जो इस समय बर्फ के कारण छोटे छोटे दिखायी दे रहे हैं
इस मोड पर तो पैर रखने के लिये भी जगह बडी मुश्किल से मिली थी
भागूवासा नजर आ गया है । ये ही वन विभाग के बनाये हट हैं और इन्हे लोकल लोग धर्मशाला भी कहते हैं
सच में बड़ी कठीन होती हैं ऐसी जगहों की यात्रायें..... सुंदर चित्र , शुभकामनायें
ReplyDeleteडरावनी यात्रा चल रही है। ठन्ड़ से बुरा हाल।
ReplyDeleteश्रीमती वन्दना गुप्ता जी आज कुछ व्यस्त है। इसलिए आज मेरी पसंद के लिंकों में आपका लिंक भी चर्चा मंच पर सम्मिलित किया जा रहा है।
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (23-02-2013) के चर्चा मंच-1164 (आम आदमी कि व्यथा) पर भी होगी!
सूचनार्थ!
Maharaj kaha pahunch gaye?
ReplyDeletelagta hai chaand par chale gaye bina rocket ke..