It is believed that Karan in Mahabharata worshiped at this place of God sun. Alaknanda and pindar river meets in Karanprayag . When we were going to karanprayag from Adi badri we were looking also for a hotel.
karanprayag`s main chowk |
Karanprayag is one of the five pryag in uttranchal.Pryag called where the confluence of river occurs. It is situated on the way to famous Hindu shrine Badrinath. It is believed that Karan in Mahabharata worshiped at this place of God sun. Alaknanda and pindar river meets in Karanprayag . When we were going to karanprayag from Adi badri we were looking also for a hotel.
It was starting dark and we finally reached karanprayag. Their we searched for hotel. The first one we saw had not facility of geyser for hot water at 400 rs. Second one we saw had this in onle 300 rs per night.we choose second one . next target was food. Hotel was at second floor and the ground floor was sweet shop. Jat devta choose to eat chowmin instead of food for change the taste. ater chowmin we bought "Baal Mittai ".
"Baal Mithai " is very famous sweet in this region. (photo) we also decided to take this for home but not from here. it could be damaged in traveling . so we will take this at shrinager.
Room was good at this prize . we taken bath in hot water .after that we gone to sleep.
our next destination was Karanprayag `s sangam and uma devi temple .
आदि बदरी से कर्णप्रयाग तक के रास्ते में भी हम लोग होटल देखते हुए आये पर नही मिला । अंधेरा काफी हो गया था और हमने खाना भी खाना था । कर्णप्रयाग में यहां के चौक पर आकर हमने एक होटल देखा जिसमे कमरा 400 रूपये का था । हमने दूसरा देखा । ये होटल जिनका है उन्ही की नीचे की साइड में हलवाई , मिठाई की दुकान है । तीसरी मंजिल पर 300 रू में कमरा मिल गया । कमरा ठीक ठाक था और पहले वाले के मुकाबले बस एक ही बात ठीक थी कि इसमें गीजर था । क्योंकि ठंड के मारे और पदयात्रा की वजह से रूपकुंड में तो नहाने का सवाल ही नही था और यहां भी कुछ ठंड तो थी ही इसलिये सबसे पहले तो हम दोनो ने कमरे में सामान रखा और गीजर आन कर दिया । तब तक हम नीचे आये तो खाने के बारे में राय की ।
जाट देवता खाना खाने के मूड में नही था आज कुछ चटपटा चाह रहे थे इसलिये एक एक फुल प्लेट चाउमिन बनवा डाली । साथ में चाय । मजा आ गया पर अब दुकान के काउंटर की ओर निगाह गयी तो तरह तरह की मिठाईयां नजर आयी पर एक मिठाई हमारी पसंद की थी 'बाल मिठाई'
इस क्षेत्र की और अल्मोडा की तो ये सबसे प्रसिद्ध मिठाई है । हम इसे घर भी लाये पर श्रीनगर से जब हम वापस लौट रहे थे क्योंकि यहां से तो ये खराब हो जाती ।
कल हमारा पहला काम था कर्णप्रयाग के संगम और उमा देवी मंदिर को देखना क्योकि ऐसा कहा जाता है कि कर्ण ने यहां पर ही तपस्या की थी और इसीलिये ये मंदिर स्थित है वैसे कर्णप्रयाग अलकनंदा और पिंडर नदी के मिलन स्थल पर है और पंच प्रयाग में से एक है । ये नेशनल हाइवे 58 पर बद्रीनाथ जाने वाले रास्ते पर है
हम भी जाने वाले हैं बद्रीनाथ मई में । आपके चित्र बहुत सुंदर हैं । यह माहिती भी काम की लगी । बाल मिठाई जरूर खानी है ।
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