ये मंदिर एक बाग के अंदर बना है चारो ओर उंची उंची चारदीवारी है । जब हम वहां पर गये तो उस समय काफी गर्मी थी और हर प्रतिमा के पास मौजूद दो या तीन महंत पडे सो रहे थे ।
इसे गार्डन हाउस भी कहा जाता है । इसे आंटी हाउस भी कहा जाता है । गुंडिचा मंदिर जो कि जगन्नाथ जी की मौसी का घर है की मान्यता रथयात्रा के दौरान मुख्य मंदिर जितनी ही हो जाती है क्योंकि इसी दौरान यहां पर भगवान जगन्नाथ जी के साथ साथ बलभद्र जी और सुभद्रा जी यहां पर पूरे नौ दिन के लिये विराजमान रहते हैं ।
ये मंदिर एक बाग के अंदर बना है चारो ओर उंची उंची चारदीवारी है । जब हम वहां पर गये तो उस समय काफी गर्मी थी और हर प्रतिमा के पास मौजूद दो या तीन महंत पडे सो रहे थे । यहां पर कूलर भी लगे थे जबकि जगन्नाथ मंदिर में कोई पंखा या कूलर नही है । रथयात्रा का समय नजदीक था इसलिये मुख्य मंदिर के अलावा भी कई प्रतिमायें रखकर अलग अलग मंदिर बना दिये गये थे ताकि चढावा ज्यादा आ सके । जाने का रास्ता भी इस तरह से घुमा घुमा कर लम्बा कर दिया गया था कि बंदे को हर मूर्ति के आगे से गुजरकर जाना पडे । यही काम मुझे सबसे गंदा लगता है पर क्या करें इसकी वजह से हम हिंदू धर्म को गाली देने लगें और सेक्यूलर बन जायें ऐसा करने से ये व्यवस्था बदल नही जायेगी इसके लिये सबसे बढिया तरीका है कि हम सब जगह सर झुकाते थे पर कहीं कुछ नही चढाते थे । बस मुख्य मूर्ति पर हमने दान दिया बाकी कहीं नही ऐसे ही सब करने लगें तो अगले साल एक भी नयी प्रतिमा नही दिखायी देगी
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