रोडवेज की एक बस सुबह छह बजे मथुरा बस स्टैंड से चलती है जो कि पूरे दिन में मथुरा और वृंदावन के सभी दर्शनीय स्थानो के दर्शन कराती है किराया केवल 101 रूपये जिसमें श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ था । वहीं पर राधाकृष्ण जी का सुंदर मंदिर भी है
हमने होटल वालो से पूछा कि यहां पर घूमने के लिये कौन सा साधन अच्छा रहेगा तो उन्होने बताया कि रोडवेज की एक बस सुबह छह बजे मथुरा बस स्टैंड से चलती है जो कि पूरे दिन में मथुरा और वृंदावन के सभी दर्शनीय स्थानो के दर्शन कराती है किराया केवल 101 रूपये
हमारे लिये ये सोने पर सुहागा था । हमारे पास तो रोडवेज का पास था तो हमारे 200 रूपये बचने वाले थे । पता नही अब वो सुविधा है या नही पर उस बस के लिये कोई एडवांस बुकिंग नही होती थी । हम दोनो सुबह सवेरे ही उठकर तैयार हो गये और बस स्टैंड पर पहुंचे । हम काफी जल्दी गये थे पर फिर भी हम काफी बाद में थे और शुक्र ही था कि हमें आखिरी की दो सीट मिल गयी । ये एक मिनी बस थी करीब तीस चालीस सीट की ।
अब एक ड्रामा हुआ । कंडक्टर ने किराया मांगा तो हमने पास दिखा दिया । उसने मना कर दिया ये पास नही चलेगा । क्यों नही चलेगा ? बोला ये स्पेशल बस है इसमें कोई पास मान्य नही है । मैने उससे पूछा कि ये बस वैसे साधारण बस ही है ना ? उसने हां बोला तो मैने कहा कि फिर हमारा पास चलेगा ।
बंदा बहस पर अड गया बोला कि आज तक इसमें कोई पास नही चला । ज्यादा जोर जोर से बोलने लगा । मुझे भी सबके सामने बुरा सा फील हुआ । गुस्से से मै बोला कि फालतू बात मत करो बल्कि अपने किसी अधिकारी को दिखाओ अगर उसने मना कर दिया तो मै आपको किराया दे दूंगा । मै किराया देने से मना नही कर रहा पर तमीज से बात करो और एक बार कन्फर्म कर लो
एक दो लोगो ने भी पास की बात सुनकर रूचि दिखाते हुए उसी को कहा कि ठीक कह रहे हैं आप पता कर लो अगर नही चलेगा तो ये किराया दे देंगें तो बहस क्यों करें
उसने बताया कि जन्मभूमि के पास उनकी कोई चैकिंग पोस्ट है वो वहां दिखा देगा । सबसे पहला देखने का स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि ही थी इसलिये हमें वहां उतार दिया और एक घंटे का समय दिया गया देखकर आने के लिये । वैसे तो मै कई मंदिरो में गया हूं पर जैसी सख्त सुरक्षा व्यवस्था मैने यहां पर देखी वैसी मुश्किल ही कहीं देखी है । कई स्तर की सुरक्षा से गुजरने के बाद हमें मंदिर में प्रवेश मिला । मंदिर में हमने वो कारागार देखा जिसमें श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ था । वहीं पर राधाकृष्ण जी का सुंदर मंदिर भी है और हमारे मुंह को चिढाता मंदिर के गुम्बद की जगह मस्जिद का शिखर भी जिससे कि ये जगह विवादित हो गयी है ।
खैर जब हम वापस आये तो कंडक्टर बदल चुका था और दूसरे कंडक्टर ने हमें ससम्मान हमारे पास वापिस कर दिये । कहने की जरूरत नही थी कि पास मान्य था और अपनी बात गलत देखकर जोर जोर से चिल्लाने वाला वो बंदा जो कह रहा था कि यदि ये पास चल गया तो नौकरी छोड दूंगा अपनी जगह शर्म के मारे किसी और को भेजकर गायब हो गया था । इसके बाद तो बस में होड लग गयी उस पास की जानकारी लेने के लिये
अभी तक की पोस्टो में फोटो नही थे पर आगे ऐसा नही है कल मिलते हैं नंदगांव में
हमारे लिये ये सोने पर सुहागा था । हमारे पास तो रोडवेज का पास था तो हमारे 200 रूपये बचने वाले थे । पता नही अब वो सुविधा है या नही पर उस बस के लिये कोई एडवांस बुकिंग नही होती थी । हम दोनो सुबह सवेरे ही उठकर तैयार हो गये और बस स्टैंड पर पहुंचे । हम काफी जल्दी गये थे पर फिर भी हम काफी बाद में थे और शुक्र ही था कि हमें आखिरी की दो सीट मिल गयी । ये एक मिनी बस थी करीब तीस चालीस सीट की ।
अब एक ड्रामा हुआ । कंडक्टर ने किराया मांगा तो हमने पास दिखा दिया । उसने मना कर दिया ये पास नही चलेगा । क्यों नही चलेगा ? बोला ये स्पेशल बस है इसमें कोई पास मान्य नही है । मैने उससे पूछा कि ये बस वैसे साधारण बस ही है ना ? उसने हां बोला तो मैने कहा कि फिर हमारा पास चलेगा ।
बंदा बहस पर अड गया बोला कि आज तक इसमें कोई पास नही चला । ज्यादा जोर जोर से बोलने लगा । मुझे भी सबके सामने बुरा सा फील हुआ । गुस्से से मै बोला कि फालतू बात मत करो बल्कि अपने किसी अधिकारी को दिखाओ अगर उसने मना कर दिया तो मै आपको किराया दे दूंगा । मै किराया देने से मना नही कर रहा पर तमीज से बात करो और एक बार कन्फर्म कर लो
एक दो लोगो ने भी पास की बात सुनकर रूचि दिखाते हुए उसी को कहा कि ठीक कह रहे हैं आप पता कर लो अगर नही चलेगा तो ये किराया दे देंगें तो बहस क्यों करें
उसने बताया कि जन्मभूमि के पास उनकी कोई चैकिंग पोस्ट है वो वहां दिखा देगा । सबसे पहला देखने का स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि ही थी इसलिये हमें वहां उतार दिया और एक घंटे का समय दिया गया देखकर आने के लिये । वैसे तो मै कई मंदिरो में गया हूं पर जैसी सख्त सुरक्षा व्यवस्था मैने यहां पर देखी वैसी मुश्किल ही कहीं देखी है । कई स्तर की सुरक्षा से गुजरने के बाद हमें मंदिर में प्रवेश मिला । मंदिर में हमने वो कारागार देखा जिसमें श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ था । वहीं पर राधाकृष्ण जी का सुंदर मंदिर भी है और हमारे मुंह को चिढाता मंदिर के गुम्बद की जगह मस्जिद का शिखर भी जिससे कि ये जगह विवादित हो गयी है ।
खैर जब हम वापस आये तो कंडक्टर बदल चुका था और दूसरे कंडक्टर ने हमें ससम्मान हमारे पास वापिस कर दिये । कहने की जरूरत नही थी कि पास मान्य था और अपनी बात गलत देखकर जोर जोर से चिल्लाने वाला वो बंदा जो कह रहा था कि यदि ये पास चल गया तो नौकरी छोड दूंगा अपनी जगह शर्म के मारे किसी और को भेजकर गायब हो गया था । इसके बाद तो बस में होड लग गयी उस पास की जानकारी लेने के लिये
अभी तक की पोस्टो में फोटो नही थे पर आगे ऐसा नही है कल मिलते हैं नंदगांव में
मनु जी आप अपने तर्क पर अड़े रहे, क्योंकि आप ठीक थे. नहीं तो ये कंडक्टर लोग बदतमीजी पर उतर आते हैं..इस देश में पर्यटन फेल होने का कारण कूछ ऐसे ही लोग हैं.. हाँ एक बात और हैं श्री कृष्ण जन्मभूमि के ऊपर मस्जिद बनी देखकर आँखों में खून उतर आता हैं. पता नहीं वो कौन उद्दारक हो जो राम जन्म भूमि, कृष्णजन्म भूमि, काशीविश्व नाथ, भोजशाला को इन गुलामी की निशानियो से मुक्ति दिलाएगा...
ReplyDeleteमांगे बना भी कभी कुछ मिलता है---गनीमत है आपको मिला तो सहा
ReplyDeleteवरना यहां हक भी नहीं मिलता है.