करीब एक करोड रूपये उस जमाने के जिसकी आज के युग में तुलना भी मुश्किल है से इस इमारत को बनाया गया ।सका बेटा औरंगजेब उसके इस खर्च से काफी नाराज था और उसने भी अपने पिता की तरह साजिश करके उसे जेल में डाल दिया
ताजमहल विश्व के सात आश्चर्यो में से एक है । दुनिया में इसकी खूबसूरती के नाम का डंका बजता है । कवि और शायरो ने इसकी शान में कसीदे पढे हैं । किसी ने इसे प्रेम का जीवंत प्रतीक बताया है तो किसी ने इसे बेजान मकबरा कहा तो किसी ने इसे गरीबो के प्रेम का मजाक उडाने वाला बताया ।
मुगलो ने कई सौ साल तक भारत पर शासन किया । उन्होने यहां की अकूत धन सम्पदा को जी भर कर लूटा । उन्होने इतना धन इकठठा कर लिया था कि उसका हिसाब लगाना भी सम्भव नही था । जहांगीर का पुत्र खुर्रम उर्फ शाहजहां काफी तेज तर्रार था । उसने अपने अन्य भाइयो को षडयंन्त्र रचकर मार दिया या जेल में डलवा दिया । वो बडा क्रूर था और युद्ध में हारे हुए सैनिको की खोपडिया कटवाकर उनकी मीनार भी बनवाया करता था । एक बार जब उसकी पत्नी या प्रेमिका मुमताज का निधन हो गया तो उसने उसकी याद में एक ऐसी इमारत बनवाने की सोची जिसे सालो साल याद रखा जा सके ऐसा बताते हैं कि मुमताज की मृत्यू अपने चौदहवे बच्चे को जन्म देते समय हुई थी ।
please read this link also about tajmahal
इसके लिये पूरी दुनिया से कारीगर बुलवाये गये । बीस हजार मजदूर इकठठा किये गये । राजस्थान के मकराणा से पत्थर मंगवाया गया । उस जमाने में इतने भारी पत्थरो केा लाने के लिये उंट और बैलो की बजाय हाथियो का इस्तेमाल किया गया । पानी की तरह पैसा बहाया गया और 22 साल के अथक परिश्रम के बाद ताजमहल बनकर तैयार हुआ । कितने ही मजदूर इसी में काम करते हुए मर गये और तैयार होने के बाद कारीगरो के हाथ काट दिये गये ताकि ऐसी इमारत वो दोबारा ना बना सकें ।
करीब एक करोड रूपये उस जमाने के जिसकी आज के युग में तुलना भी मुश्किल है से इस इमारत को बनाया गया । वो सारा पैसा हिंदुस्तान से ही लूटा गया था । वैसे ताजमहल बनाकर भी शाहजहां को शांति नही मिली । उसका बेटा औरंगजेब उसके इस खर्च से काफी नाराज था और उसने भी अपने पिता की तरह साजिश करके उसे जेल में डाल दिया जहां उसकी बाकी जिंदगी जेल में ही गुजरी ।
शोषण और लूट के धन से बनी इसी इमारत को लोग प्यार की निशानी कहते हैं और प्रेमिकाये चाहती है कि उनका प्रेमी भी उनसे ऐसा ही प्यार करे ।
ताजमहल के बारे में अगले भाग में भी जारी ------------------------------
मुगलो ने कई सौ साल तक भारत पर शासन किया । उन्होने यहां की अकूत धन सम्पदा को जी भर कर लूटा । उन्होने इतना धन इकठठा कर लिया था कि उसका हिसाब लगाना भी सम्भव नही था । जहांगीर का पुत्र खुर्रम उर्फ शाहजहां काफी तेज तर्रार था । उसने अपने अन्य भाइयो को षडयंन्त्र रचकर मार दिया या जेल में डलवा दिया । वो बडा क्रूर था और युद्ध में हारे हुए सैनिको की खोपडिया कटवाकर उनकी मीनार भी बनवाया करता था । एक बार जब उसकी पत्नी या प्रेमिका मुमताज का निधन हो गया तो उसने उसकी याद में एक ऐसी इमारत बनवाने की सोची जिसे सालो साल याद रखा जा सके ऐसा बताते हैं कि मुमताज की मृत्यू अपने चौदहवे बच्चे को जन्म देते समय हुई थी ।
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इसके लिये पूरी दुनिया से कारीगर बुलवाये गये । बीस हजार मजदूर इकठठा किये गये । राजस्थान के मकराणा से पत्थर मंगवाया गया । उस जमाने में इतने भारी पत्थरो केा लाने के लिये उंट और बैलो की बजाय हाथियो का इस्तेमाल किया गया । पानी की तरह पैसा बहाया गया और 22 साल के अथक परिश्रम के बाद ताजमहल बनकर तैयार हुआ । कितने ही मजदूर इसी में काम करते हुए मर गये और तैयार होने के बाद कारीगरो के हाथ काट दिये गये ताकि ऐसी इमारत वो दोबारा ना बना सकें ।
करीब एक करोड रूपये उस जमाने के जिसकी आज के युग में तुलना भी मुश्किल है से इस इमारत को बनाया गया । वो सारा पैसा हिंदुस्तान से ही लूटा गया था । वैसे ताजमहल बनाकर भी शाहजहां को शांति नही मिली । उसका बेटा औरंगजेब उसके इस खर्च से काफी नाराज था और उसने भी अपने पिता की तरह साजिश करके उसे जेल में डाल दिया जहां उसकी बाकी जिंदगी जेल में ही गुजरी ।
शोषण और लूट के धन से बनी इसी इमारत को लोग प्यार की निशानी कहते हैं और प्रेमिकाये चाहती है कि उनका प्रेमी भी उनसे ऐसा ही प्यार करे ।
ताजमहल के बारे में अगले भाग में भी जारी ------------------------------
राम राम जी, मनु जी ताजमहल के फोटो अच्छे है. आपने ताजमहल के इतिहास का उल्लेख किया हैं. ताजमहल एक शिवाल्य था. यह भगवान शिव का मंदिर था. इसके शीर्ष पर आज भी त्रिशूल स्थापित हैं मंदिर को ही एक मकबरे में बदला गया था. इस बारे में बहुत सी जानकारी नेट पर भी उपलब्ध हैं...वन्देमातरम...
ReplyDeleteताजमहल के बारे में जो बताया जाता है उसके उलट भी बहुत सी बातें कही जाती है इसलिए इसकी सच्चाई पर अभी भी प्रश्नचिन्ह ही लगा हुआ है ! हाँ जितना अभी तक सुना और पढ़ा है उसके आधार में इतना कह सकता हूँ कि इसे प्रेम के प्रतिक के रूप में तो नहीं भी माना जाना चाहिए !!
ReplyDeletebadhiya aalekh likh ahi aapne manu ji tajmahal par
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