सुबह सवेरे 6 बजे घर से निकलना हुआ । पहली बार ऐसा हुआ कि दिल्ली में किसी से रास्ता नही पूछना पडा । गूगल मैप में रास्ता सैट कर दिया और वो मुझे...
सुबह सवेरे 6 बजे घर से निकलना हुआ । पहली बार ऐसा हुआ कि दिल्ली में किसी से रास्ता नही पूछना पडा । गूगल मैप में रास्ता सैट कर दिया और वो मुझे हिंडन एयरफोर्स के पास से निकालते हुए
भोपुरा होते हुए वजीराबाद पुल से ले गया । सुबह सवेरे सात बजे दिल्ली ऐसे लग रही थी जैसे मैराथन रेस हो रही हो । लोग सडको पर कानो में लीड लगाये दौड लगा रहे थे ।
देखकर लगा कि लोगो में कितनी जागृति आ रही है सेहत के प्रति । वजीराबाद पुल क्रास करने के बाद मै आउटर रिंग रोड पर मुड गया । शायद इसे मैप केबी हेडगेवार मार्ग दिखा रहा था । काफी दूर चलने के बाद एक जगह बहुत बडा मलबे का टीला नजर आया । यहां से मैप सीधे हाथ पर मुड रही रोड पर जाने के लिये बोल रहा था ।
इससे पहले जितनी बार भी दिल्ली गया हूं बस यही हुआ है कि लोगो से रास्ता पूछते पूछते गये और अपना काम हुआ यानि कि हमने दिल्ली पार की और भूल गये ।
भूल गये कि कहां कहां को गये थे । दिल्ली में मुझे बडा डर लगता है क्योंकि यहां की सडके सब एक जैसी दिखती हैं और मुझे दिल्ली का कोई काम भी नही पडता है कभी साल में या दो साल में एक बार गया तो मैट्रो या पहले बस से चला जाता था । बाकी सब जगह बाइक चला सकता हूं पर दिल्ली में जाने से कतराता रहा हूं पर इस बार तो मजा आ रहा था । वैसे सुबह सुबह का समय दिल्ली क्रास करने के लिये बढिया भी रहता है । मैने जाट देवता को भी फोन किया कि चल रहे हो क्या वे बोले आप निकलो मै नही जा पाउंगा । उधर मुम्बई से सचिन को भी आना था पर चलने से चार दिन पहले से ही भाई का फोन भी बंद आने लगा था सो मैने तो सोच लिया कि इस बार भी अपने को रूपकुंड जैसा ही अकेला जाना पडेगा ।
चल अकेला चल अकेला गाना गाते हुए मै यहां से हाइवे पर चल दिया । यहां चौक में राधा कृष्ण की मूर्ति लगी है बहुत सुंदर पता नही सेकुलर बंधुओ ने कैसे लगने दी ? क्योंकि आजकल हर चीज पर सेकुलर बंधुओ की नजर रहती है कि ये काम मत करो नही तो आप सांप्रदायिक हो जाओगे ।
खैर अब यहां से सीधे अम्बाला तक जाना था पर रास्ते में एक जगह ताउ देवीलाल पार्क पडता है । मेन रोड पर हाइवे के बिलकुल नजदीक मिला हुआ ये पार्क काफी सुंदर है और काफी बडा भी । हालांकि इतना बडा और हरा भरा पार्क होने के बावजूद भी मुझे यहां पर एक भी बंदा घूमता फिरता या जोगिंग करता हुआ नजर नही आया । दिल्ली में ही ये पार्क होता तो पता नही कितनी भीड होती । वापसी में दूसरी साइड से आते हुए हुडा पार्क और एक दो और पार्क मैने हरियाणा में देखे जो कि सब बढिया तरीके से बनाये हुए हैं ।
पार्क में कुछ मजदूर वगैरा ही काम कर रहे थे । कई जगह बैठने के लिये सुंदर इंतजाम हैं और उसके अलावा घूमने के लिये भी काफी चीजे हैं । सारा पार्क तो मै घूमना नही चाहता था पर पार्क के अंदर एक काफी सुंदर पेड था सुंदर फूलो से लदा हुआ । ये फूल भी मुझे काफी सुंदर लगे इसलिये इसकी वजह से ही मैने कैमरा निकाला बैग से और ले डाले इसके कुछ फोटो
पार्क में फव्वारे वगैरा भी हैं और इनके चलने का सुबह और शाम समय है । थोडी दूर चलकर मैने बाइक की टंकी पैट्रोल से फुल करा ली । इसके बाद करीब दस किलोमीटर ही चला था कि राई नाम की एक जगह पर बाइक बंद हो गयी । बाइक जहां पर बंद हुई वो जगह थी राई और उस गांव का गेट था वहीं पर । सौभाग्य से गेट के बिलकुल बराबर में उस समय एक बाइक रिपेयरिंग की दुकान खुली थी । मुझे तो उम्मीद ही नही थी कि इस समय कोई दुकान खुली मिलेगी पर चलो बढिया है । दुकान पर एक लडका मौजूद था जिसे मैने बाइक दिखायी तो उसने सबसे पहले प्लग को देखा और नया प्लग निकालकर लगाया बाइक फिर भी स्टार्ट नही हुई बल्कि एक काम और हो गया कि बाइक की किक में प्रेशर खत्म हो गया । इसे देखकर वो लडका घबरा गया और बोला कि बोर्ड पर जो नम्बर लिखा है उसे मिला दो । मै अब समझा कि वो चेला था और सुबह सुबह दुकान खोलकर उसकी सफाई करने के लिये बैठा था । मैने उसके उस्ताद का नम्बर मिलाया तो उसने बताया कि मै रास्ते में हूं और पांच मिनट में पहुंच रहा हूं । मै इंतजार करने लगा । उसके बाद उसका मालिक यानि मेन मिस्त्री आया और उसने कुछ तेल वगैरा डालकर और कुछ जुगाड सा करके बाइक स्टार्ट तो कर दी पर बोला कि आपकी बाइक के वाल कमजोर हो गये हैं और ये नये डालने होंगे । मैने इस टूर के लिये बाइक की सर्विस करवा कर खडी कर दी थी कई दिन पहले और मुझे ऐसी कोई उम्मीद नही थी । पर मुझे वापस जाना भी मंजूर नही था । बडी मुश्किलो से घर और नौकरी से समय निकालकर बच्चो से आज्ञा लेकर और पैसो का इंतजाम करके तब कहीं टूर के लिये निकलना होता है ।
मैने उससे पूछा कि क्या क्या दिक्कत आ सकती है और कब तो उसने बोला कि वैसे अगर आप आराम आराम से जाओ तो काम चल भी सकता है । वैसे आपको जाना कहां है ? मैने उसे बताया कि भाई करीब 2000 किलोमीटर जाना है तो बोला कि ये जायेगी ही नही । मै बोला भाई अब तो इन्ने जाना पडेगा चाहे जैसे हो ।
बस मै बाइक लेकर चल पडा हां इतना जरूर किया कि दिल्ली से निकलते टाइम जो सत्तर तक की स्पीड पर लेकर चला था अब उसमें ब्रेक लग गये थे और अब मै केवल 50 की स्पीड से चला रहा था । इतने बढिया हाइवे पर पचास की स्पीड से चलाना दुखदायी होता है पर क्या किया जा सकता था । पचास की स्पीड पर भी बाइक खिंचाव सा महसूस दे रही थी । मै नाश्ता करने के लिये करीब 150 किलोमीटर बाद रूका तो जाट देवता को फोन किया और बताया कि बाइक में ऐसी दिक्कत आ गयी है पर मै जाउंगा और जो भी होगा रास्ते में देखा जायेगा । नाश्ते में मैने एक परांठा लिया और एक प्लेट दही ली । ये काफी था कई घंटे के लिये और मै धीरे धीरे चलता रहा । घर से करीब 325 किलोमीटर तक मै बडे मजे में बाइक चलाता रहा क्योंकि प्लेन रास्ता था । हम पिछले साल मणिमहेश यात्रा में जाते समय एक शार्टकट मारकर गये थे इस बार भी उसी रास्ते को जाना था । ये हाइवे पर ही टोल टैक्स से बिल्कुल ऐन पहले सीधे हाथ को यानि दूसरी साइड को एक रास्ता जाता है जो कि खरड को होकर जाता है । चूंकि मेरा लक्ष्य मंडी जाने का था इसलिये मै इसी रास्ते से मुड गया । खरड के रास्ते पर चलते ही पंजाब की झलक मिलनी शुरू हो जाती है पंजाबी लोगो में खाने पीने और मकान में अपनी झलक दिखाने की चाह बडी होती है और इसीलिये घरो के उपर किसी ने बाज तो किसी ने फुटबाल बना रखी हैं । एक तो होटल पडता है इसी हाइवे पर उसने तो पूरा का पूरा ट्रक ही बनवा रखा है । यहां के सभी होटलो पर भी पंजाबी ग्रामीण जीवन की झांकिया दिखाती हुई पूरी आदमकद की मूर्तिया लगी हैं जिनमें कोई औरत चूल्हे पर रोटी बना रही है तो कहीं पर किसान हल जोत रहा है । यहां से मै चलता रहा और कीरतपुर साहिब से मैने विलासपुर वाला रास्ता पकड लिया । यहां कीरतपुर साहिब पर मेला सा लगा हुआ था । पंजाबी ट्रको और ट्रैक्टरो में भर भरकर आ रहे थे क्योंकि अगले दिन बैसाखी का त्यौहार था इसलिये शायद यहां की यात्रा चल रही थी । कीरतपुर से आगे चलते ही मुझे पता चल गया कि अब रास्ता आसान नही होगा क्योंकि यहां से आगे सडक बहुत खराब थी
भोपुरा होते हुए वजीराबाद पुल से ले गया । सुबह सवेरे सात बजे दिल्ली ऐसे लग रही थी जैसे मैराथन रेस हो रही हो । लोग सडको पर कानो में लीड लगाये दौड लगा रहे थे ।
देखकर लगा कि लोगो में कितनी जागृति आ रही है सेहत के प्रति । वजीराबाद पुल क्रास करने के बाद मै आउटर रिंग रोड पर मुड गया । शायद इसे मैप केबी हेडगेवार मार्ग दिखा रहा था । काफी दूर चलने के बाद एक जगह बहुत बडा मलबे का टीला नजर आया । यहां से मैप सीधे हाथ पर मुड रही रोड पर जाने के लिये बोल रहा था ।
इससे पहले जितनी बार भी दिल्ली गया हूं बस यही हुआ है कि लोगो से रास्ता पूछते पूछते गये और अपना काम हुआ यानि कि हमने दिल्ली पार की और भूल गये ।
भूल गये कि कहां कहां को गये थे । दिल्ली में मुझे बडा डर लगता है क्योंकि यहां की सडके सब एक जैसी दिखती हैं और मुझे दिल्ली का कोई काम भी नही पडता है कभी साल में या दो साल में एक बार गया तो मैट्रो या पहले बस से चला जाता था । बाकी सब जगह बाइक चला सकता हूं पर दिल्ली में जाने से कतराता रहा हूं पर इस बार तो मजा आ रहा था । वैसे सुबह सुबह का समय दिल्ली क्रास करने के लिये बढिया भी रहता है । मैने जाट देवता को भी फोन किया कि चल रहे हो क्या वे बोले आप निकलो मै नही जा पाउंगा । उधर मुम्बई से सचिन को भी आना था पर चलने से चार दिन पहले से ही भाई का फोन भी बंद आने लगा था सो मैने तो सोच लिया कि इस बार भी अपने को रूपकुंड जैसा ही अकेला जाना पडेगा ।
चल अकेला चल अकेला गाना गाते हुए मै यहां से हाइवे पर चल दिया । यहां चौक में राधा कृष्ण की मूर्ति लगी है बहुत सुंदर पता नही सेकुलर बंधुओ ने कैसे लगने दी ? क्योंकि आजकल हर चीज पर सेकुलर बंधुओ की नजर रहती है कि ये काम मत करो नही तो आप सांप्रदायिक हो जाओगे ।
खैर अब यहां से सीधे अम्बाला तक जाना था पर रास्ते में एक जगह ताउ देवीलाल पार्क पडता है । मेन रोड पर हाइवे के बिलकुल नजदीक मिला हुआ ये पार्क काफी सुंदर है और काफी बडा भी । हालांकि इतना बडा और हरा भरा पार्क होने के बावजूद भी मुझे यहां पर एक भी बंदा घूमता फिरता या जोगिंग करता हुआ नजर नही आया । दिल्ली में ही ये पार्क होता तो पता नही कितनी भीड होती । वापसी में दूसरी साइड से आते हुए हुडा पार्क और एक दो और पार्क मैने हरियाणा में देखे जो कि सब बढिया तरीके से बनाये हुए हैं ।
पार्क में कुछ मजदूर वगैरा ही काम कर रहे थे । कई जगह बैठने के लिये सुंदर इंतजाम हैं और उसके अलावा घूमने के लिये भी काफी चीजे हैं । सारा पार्क तो मै घूमना नही चाहता था पर पार्क के अंदर एक काफी सुंदर पेड था सुंदर फूलो से लदा हुआ । ये फूल भी मुझे काफी सुंदर लगे इसलिये इसकी वजह से ही मैने कैमरा निकाला बैग से और ले डाले इसके कुछ फोटो
पार्क में फव्वारे वगैरा भी हैं और इनके चलने का सुबह और शाम समय है । थोडी दूर चलकर मैने बाइक की टंकी पैट्रोल से फुल करा ली । इसके बाद करीब दस किलोमीटर ही चला था कि राई नाम की एक जगह पर बाइक बंद हो गयी । बाइक जहां पर बंद हुई वो जगह थी राई और उस गांव का गेट था वहीं पर । सौभाग्य से गेट के बिलकुल बराबर में उस समय एक बाइक रिपेयरिंग की दुकान खुली थी । मुझे तो उम्मीद ही नही थी कि इस समय कोई दुकान खुली मिलेगी पर चलो बढिया है । दुकान पर एक लडका मौजूद था जिसे मैने बाइक दिखायी तो उसने सबसे पहले प्लग को देखा और नया प्लग निकालकर लगाया बाइक फिर भी स्टार्ट नही हुई बल्कि एक काम और हो गया कि बाइक की किक में प्रेशर खत्म हो गया । इसे देखकर वो लडका घबरा गया और बोला कि बोर्ड पर जो नम्बर लिखा है उसे मिला दो । मै अब समझा कि वो चेला था और सुबह सुबह दुकान खोलकर उसकी सफाई करने के लिये बैठा था । मैने उसके उस्ताद का नम्बर मिलाया तो उसने बताया कि मै रास्ते में हूं और पांच मिनट में पहुंच रहा हूं । मै इंतजार करने लगा । उसके बाद उसका मालिक यानि मेन मिस्त्री आया और उसने कुछ तेल वगैरा डालकर और कुछ जुगाड सा करके बाइक स्टार्ट तो कर दी पर बोला कि आपकी बाइक के वाल कमजोर हो गये हैं और ये नये डालने होंगे । मैने इस टूर के लिये बाइक की सर्विस करवा कर खडी कर दी थी कई दिन पहले और मुझे ऐसी कोई उम्मीद नही थी । पर मुझे वापस जाना भी मंजूर नही था । बडी मुश्किलो से घर और नौकरी से समय निकालकर बच्चो से आज्ञा लेकर और पैसो का इंतजाम करके तब कहीं टूर के लिये निकलना होता है ।
मैने उससे पूछा कि क्या क्या दिक्कत आ सकती है और कब तो उसने बोला कि वैसे अगर आप आराम आराम से जाओ तो काम चल भी सकता है । वैसे आपको जाना कहां है ? मैने उसे बताया कि भाई करीब 2000 किलोमीटर जाना है तो बोला कि ये जायेगी ही नही । मै बोला भाई अब तो इन्ने जाना पडेगा चाहे जैसे हो ।
बस मै बाइक लेकर चल पडा हां इतना जरूर किया कि दिल्ली से निकलते टाइम जो सत्तर तक की स्पीड पर लेकर चला था अब उसमें ब्रेक लग गये थे और अब मै केवल 50 की स्पीड से चला रहा था । इतने बढिया हाइवे पर पचास की स्पीड से चलाना दुखदायी होता है पर क्या किया जा सकता था । पचास की स्पीड पर भी बाइक खिंचाव सा महसूस दे रही थी । मै नाश्ता करने के लिये करीब 150 किलोमीटर बाद रूका तो जाट देवता को फोन किया और बताया कि बाइक में ऐसी दिक्कत आ गयी है पर मै जाउंगा और जो भी होगा रास्ते में देखा जायेगा । नाश्ते में मैने एक परांठा लिया और एक प्लेट दही ली । ये काफी था कई घंटे के लिये और मै धीरे धीरे चलता रहा । घर से करीब 325 किलोमीटर तक मै बडे मजे में बाइक चलाता रहा क्योंकि प्लेन रास्ता था । हम पिछले साल मणिमहेश यात्रा में जाते समय एक शार्टकट मारकर गये थे इस बार भी उसी रास्ते को जाना था । ये हाइवे पर ही टोल टैक्स से बिल्कुल ऐन पहले सीधे हाथ को यानि दूसरी साइड को एक रास्ता जाता है जो कि खरड को होकर जाता है । चूंकि मेरा लक्ष्य मंडी जाने का था इसलिये मै इसी रास्ते से मुड गया । खरड के रास्ते पर चलते ही पंजाब की झलक मिलनी शुरू हो जाती है पंजाबी लोगो में खाने पीने और मकान में अपनी झलक दिखाने की चाह बडी होती है और इसीलिये घरो के उपर किसी ने बाज तो किसी ने फुटबाल बना रखी हैं । एक तो होटल पडता है इसी हाइवे पर उसने तो पूरा का पूरा ट्रक ही बनवा रखा है । यहां के सभी होटलो पर भी पंजाबी ग्रामीण जीवन की झांकिया दिखाती हुई पूरी आदमकद की मूर्तिया लगी हैं जिनमें कोई औरत चूल्हे पर रोटी बना रही है तो कहीं पर किसान हल जोत रहा है । यहां से मै चलता रहा और कीरतपुर साहिब से मैने विलासपुर वाला रास्ता पकड लिया । यहां कीरतपुर साहिब पर मेला सा लगा हुआ था । पंजाबी ट्रको और ट्रैक्टरो में भर भरकर आ रहे थे क्योंकि अगले दिन बैसाखी का त्यौहार था इसलिये शायद यहां की यात्रा चल रही थी । कीरतपुर से आगे चलते ही मुझे पता चल गया कि अब रास्ता आसान नही होगा क्योंकि यहां से आगे सडक बहुत खराब थी
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