गग्गल से आगे भरमाना होते हुए सुंदरनगर पहुंच गया । यहां का नलवाड मेला जो कि पशुओ की खरीद व बिक्री के लिये जाना जाता है काफी मशहूर है । वैसे ये काफी सुंदर है शायद इसीलिये इसका नाम सुंदरनगर पडा । जिस दिन मै पहुंचा उस दिन
गग्गल से आगे भरमाना होते हुए सुंदरनगर पहुंच गया । यहां का नलवाड मेला जो कि पशुओ की खरीद व बिक्री के लिये जाना जाता है काफी मशहूर है । वैसे ये काफी सुंदर है शायद इसीलिये इसका नाम सुंदरनगर पडा । जिस दिन मै पहुंचा उस दिन यहां पर रोड पर ही एक मेला ओर लगा था जिसमें सुंदरनगर की सारी सुंदरता नजर आ रही थी । दूसरी बात ये है कि ये जगह ऐसी है जैसे कि देहरादून । पहाडो के बीच में एक काफी बडी लम्बी चौडी खुली और प्लेन जैसी जगह ।
काफी विकसित शहर । बडी बडी दुकाने यहां पर अगर रहने लगें तो अहसास ही नही होगा कि हम किसी पहाडी शहर में हैं । यहां शहर से सीधे नर चौक के लिये निकलते हुए रास्ते में सुंदरनगर की झील पडती है । अब तक शाम ही नही हुई थी बल्कि अंधेरा भी होने लगा था और मुझे अभी भी नर चौक तक तो पहुंचना ही था क्योंकि अगर मुझे रिवालसर जाना था तो जितनी पास तक मै पहुंच जाउं उतना बढिया था नही तो अगला दिन भी सफर में ही कट जाता बस यही सोचकर मै चला जा रहा था पर जब इतनी सुंदर झील रास्ते में पड जाये तो छोडने का मन ही कहां करता है इसलिये मैने अपनी बाइक को झील के किनारे खडा किया
अब परेशानी ये थी कि अंधेरा हो रहा था और ऐसे में फोटो कैसे खींचें जाये । यहां पर मैनुअल मोड काम आता है । क्योंकि फलेश किसी भी कैमरे में कितनी भी ताकतवर हो पर वो लैंडस्केप खींचने में काम नही कर पाती । फलैश होने का मतलब है कि आप अपने आब्जैक्ट पर रोशनी दो पर वो आब्जेक्ट इतना लम्बा चौडा नही चलेगा । मैनुअल मोड में शटर स्पीड , अपार्चर और आई एस ओ का प्रयोग करके देखा तो कुछ ठीक ठाक फोटो आ गये । ज्यादा बढिया तो नही कहूंगा क्योंकि अभी भी मै सीख रहा हूं और ये करने से ही आते हैं पर एक बात जरूर है कि इस पूरी यात्रा में मैने मैनुअल मोड में ही फोटो खींचे हैं
सुन्दरनगर तो मेरी पसंदीदा स्थान हैं मनु जी....
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