इस यात्रा में आपको पढने और देखने को जो जगहे मिलेंगी वे हैं रिवालसर , नैनादेवी , पदमसम्भव केव , सरकाधार , मंडी , पाराशर झील व मंदिर , भुंतर , मणिकर्ण , कसोल , बिजली महादेव , हणोगी माता , पंडोह डैम , जंजैहली , शिकारी देवी , कमरूनाग , नारकंडा , कुफरी , शोघी , शिमला
आईये आपको लिये चलते हैं हिमाचल की हालिया यात्रा पर । आज से लगातार रेाज आपको हिमाचल यात्रा पढने को मिलेगी । इस यात्रा में आपको पढने और देखने को जो जगहे मिलेंगी वे हैं
रिवालसर , नैनादेवी , पदमसम्भव केव , सरकाधार , मंडी , पाराशर झील व मंदिर , भुंतर , मणिकर्ण , कसोल , बिजली महादेव , हणोगी माता , पंडोह डैम , जंजैहली , शिकारी देवी , कमरूनाग , नारकंडा , कुफरी , शोघी , शिमला
अब आप अपना समय फिक्स कर लो कि रोज सवेरे 6 बजे हमें पढना है । ये सफर बाइक पर अकेले किया गया और सात दिन में 1800 किलोमीटर बाइक चलायी गयी । बाइक तीन बार खराब भी हुई और उसकी सर्विस के अलावा इंजन का भी कुछ काम करवाना पडा तब भी ये यात्रा माता रानी की कृपा से सकुशल समपन्न हुई तो आइये पढते हैं यात्रा विवरण ।
सुबह सवेरे 6 बजे घर से निकलना हुआ । पहली बार ऐसा हुआ कि दिल्ली में
किसी से रास्ता नही पूछना पडा । गूगल मैप में रास्ता सैट कर दिया और वो
मुझे हिंडन एयरफोर्स के पास से निकालते हुएभोपुरा होते हुए वजीराबाद
पुल से ले गया । सुबह सवेरे सात बजे दिल्ली ऐसे लग रही थी जैसे मैराथन रेस
हो रही हो । लोग सडको पर कानो में लीड लगाये दौड लगा रहे थे ।देखकर
लगा कि लोगो में कितनी जागृति आ रही है सेहत के प्रति । वजीराबाद पुल
क्रास करने के बाद मै आउटर रिंग रोड पर मुड गया । शायद इसे मैप केबी
हेडगेवार मार्ग दिखा रहा था । काफी दूर चलने के बाद एक जगह बहुत बडा मलबे
का टीला नजर आया । यहां से मैप सीधे हाथ पर मुड रही रोड पर जाने के लिये
बोल रहा था ।इससे पहले जितनी बार भी दिल्ली गया हूं बस यही हुआ है
कि लोगो से रास्ता पूछते पूछते गये और अपना काम हुआ यानि कि हमने दिल्ली
पार की और भूल गये ।
भूल गये कि कहां कहां को गये थे ।
दिल्ली में मुझे बडा डर लगता है क्योंकि यहां की सडके सब एक जैसी दिखती हैं
और मुझे दिल्ली का कोई काम भी नही पडता है कभी साल में या दो साल में एक
बार गया तो मैट्रो या पहले बस से चला जाता था । बाकी सब जगह बाइक चला सकता
हूं पर दिल्ली में जाने से कतराता रहा हूं पर इस बार तो मजा आ रहा था ।
वैसे सुबह सुबह का समय दिल्ली क्रास करने के लिये बढिया भी रहता है । मैने
जाट देवता को भी फोन किया कि चल रहे हो क्या वे बोले आप निकलो मै नही जा
पाउंगा । उधर मुम्बई से सचिन को भी आना था पर चलने से चार दिन पहले से ही
भाई का फोन भी बंद आने लगा था सो मैने तो सोच लिया कि इस बार भी अपने को
रूपकुंड जैसा ही अकेला जाना पडेगा ।
चल अकेला चल अकेला गाना गाते हुए
मै यहां से हाइवे पर चल दिया । यहां चौक में राधा कृष्ण की मूर्ति लगी है
बहुत सुंदर पता नही सेकुलर बंधुओ ने कैसे लगने दी ? क्योंकि आजकल हर चीज पर
सेकुलर बंधुओ की नजर रहती है कि ये काम मत करो नही तो आप सांप्रदायिक हो
जाओगे ।खैर अब यहां से सीधे अम्बाला तक जाना था पर रास्ते में एक
जगह ताउ देवीलाल पार्क पडता है । मेन रोड पर हाइवे के बिलकुल नजदीक मिला
हुआ ये पार्क काफी सुंदर है और काफी बडा भी । हालांकि इतना बडा और हरा भरा
पार्क होने के बावजूद भी मुझे यहां पर एक भी बंदा घूमता फिरता या जोगिंग
करता हुआ नजर नही आया । दिल्ली में ही ये पार्क होता तो पता नही कितनी भीड
होती । वापसी में दूसरी साइड से आते हुए हुडा पार्क और एक दो और पार्क मैने
हरियाणा में देखे जो कि सब बढिया तरीके से बनाये हुए हैं ।
पार्क
में कुछ मजदूर वगैरा ही काम कर रहे थे । कई जगह बैठने के लिये सुंदर इंतजाम
हैं और उसके अलावा घूमने के लिये भी काफी चीजे हैं । सारा पार्क तो मै
घूमना नही चाहता था पर पार्क के अंदर एक काफी सुंदर पेड था सुंदर फूलो से
लदा हुआ । ये फूल भी मुझे काफी सुंदर लगे इसलिये इसकी वजह से ही मैने कैमरा
निकाला बैग से और ले डाले इसके कुछ फोटो
पार्क में फव्वारे वगैरा भी हैं और इनके चलने का सुबह और शाम समय है ।
चलिए, चलते है आपके साथ साथ हम भी !
ReplyDeleteचल अकेला, चल अकेला, अरे मनमौजी ये जिन्दगी के मेले दुनिया में कम ना होंगे, अफ़सोस हम ना होंगे।
ReplyDeleteताऊ देवीलाल पार्क हा हा हा .....शुरुआत अच्छी हैं.......वन्देमातरम...
ReplyDeleteआपके ब्लॉग का पुराना रूप ही अच्छा लगता था....
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