सेब के पेडो पर फूल आ रहे थे इसलिये एक तो उनको पाले से और बर्फ से बचाने की कोशिशे शुरू हो गयी थी दूसरे पेडो पर प्लास्टिक की थैलियो मे पानी सा भरा हुआ था मैने जा
again riding on bike from bijli mahadev
सुबह सुबह बिजली महादेव पहुंच गया था इसका फायदा ये हुआ कि दोपहर तक मुझे वापिस यात्रा शुरू करने का चांस था और मै किसी और मंजिल पर पहुंच सकता था । आज सुबह मणिकरण से चला और अब बिजली महादेव पर लगभग 11 बजे के करीब वापिस चलने की तैयारी कर दी । चाय और परांठा खाकर मै नीचे की ओर चला तो देखा कि अब तो पर्यटको की भारी भीड आ रही थी । कई ग्रुप थे तो कई लोकल लोग थे । दो विदेशी पर्यटक भी अपने गाइड के साथ आ रही थी । रास्ते में कई चिडिया भी दिखायी दी पर कैमरे के आन करने से पहले ही वो उड जाती थी । बिजली महादेव का रास्ता गांव में जाकर पगडंडियो में बंट जाता है । मै सेब के बागो को देखता हुआ कब असली पगडंडी को छोडकर नीचे की ओर चला गया पता ही नही चला । जब मुझे रास्ता भटकने का अहसास हुआ तो मैने लोकल गांव वाले से पूछा तो उसने एक और शार्टकट पगडंडी पकडा दी। उस पगडंडी से मै वहीं पहुंच गया जहां मैने बाइक खडी की थी । इस समय उस दुकान वाले की पार्किंग तो फुल थी ही सडक पर भी गाडियो की भीड थी । जब मै उपर की ओर चढ रहा था तो एक भी दुकान नही खुली थी जबकि वापसी में काफी दुकाने खुल चुकी थी । उपर से चनसारी गांव आने के रास्ते में नजारो को देखना एक मजेदार अनुभव था
सेब के पेडो पर फूल आ रहे थे इसलिये एक तो उनको पाले से और बर्फ से बचाने की कोशिशे शुरू हो गयी थी दूसरे पेडो पर प्लास्टिक की थैलियो मे पानी सा भरा हुआ था मैने जानकारी की तो पता चला कि बीज बनाने की कुछ प्रक्रिया होती है । गांव में बच्चे अपने ही खेलो में मगन रहते हैं । ये वे खेल हैं जो कि हमारे यहां भुला दिये गये हैं । हमारे यहां तो सब टी वी से पूरा हो जाता है ऐसे में इन बच्चो के मुंह पर नैसर्गिक मुस्कान देखकर मन हरा सा हो जाता है । वैसे यहां पर जीवो की कमी नही थी । गिरगिट भी कई जगह मिले और सांप भी
सुबह सुबह बिजली महादेव पहुंच गया था इसका फायदा ये हुआ कि दोपहर तक मुझे वापिस यात्रा शुरू करने का चांस था और मै किसी और मंजिल पर पहुंच सकता था । आज सुबह मणिकरण से चला और अब बिजली महादेव पर लगभग 11 बजे के करीब वापिस चलने की तैयारी कर दी । चाय और परांठा खाकर मै नीचे की ओर चला तो देखा कि अब तो पर्यटको की भारी भीड आ रही थी । कई ग्रुप थे तो कई लोकल लोग थे । दो विदेशी पर्यटक भी अपने गाइड के साथ आ रही थी । रास्ते में कई चिडिया भी दिखायी दी पर कैमरे के आन करने से पहले ही वो उड जाती थी । बिजली महादेव का रास्ता गांव में जाकर पगडंडियो में बंट जाता है । मै सेब के बागो को देखता हुआ कब असली पगडंडी को छोडकर नीचे की ओर चला गया पता ही नही चला । जब मुझे रास्ता भटकने का अहसास हुआ तो मैने लोकल गांव वाले से पूछा तो उसने एक और शार्टकट पगडंडी पकडा दी। उस पगडंडी से मै वहीं पहुंच गया जहां मैने बाइक खडी की थी । इस समय उस दुकान वाले की पार्किंग तो फुल थी ही सडक पर भी गाडियो की भीड थी । जब मै उपर की ओर चढ रहा था तो एक भी दुकान नही खुली थी जबकि वापसी में काफी दुकाने खुल चुकी थी । उपर से चनसारी गांव आने के रास्ते में नजारो को देखना एक मजेदार अनुभव था
सेब के पेडो पर फूल आ रहे थे इसलिये एक तो उनको पाले से और बर्फ से बचाने की कोशिशे शुरू हो गयी थी दूसरे पेडो पर प्लास्टिक की थैलियो मे पानी सा भरा हुआ था मैने जानकारी की तो पता चला कि बीज बनाने की कुछ प्रक्रिया होती है । गांव में बच्चे अपने ही खेलो में मगन रहते हैं । ये वे खेल हैं जो कि हमारे यहां भुला दिये गये हैं । हमारे यहां तो सब टी वी से पूरा हो जाता है ऐसे में इन बच्चो के मुंह पर नैसर्गिक मुस्कान देखकर मन हरा सा हो जाता है । वैसे यहां पर जीवो की कमी नही थी । गिरगिट भी कई जगह मिले और सांप भी
कलम तथा कैमरा कार्य दोनों अच्छे हैं
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रिपोर्ट और चित्र !सफ़ेद फ़ूलों वाला पेड़ किस चीज़ का है ?स्थानीय लोगों के पास वहाँ पायी जाने वाली वनस्पति व् जीवों सम्बन्धी अनमोल जानकारी होती है उसे भी डायरी में एकत्र करते चलें [ऐसा सुझाव है].
ReplyDeleteऔर हाँ आप की हिम्मत की तारीफ़ है जो इस मौसम में भी पहाड़ों पर सैर कर रहे हैं.
शुभकामनाएँ.
very beautiful descriptiona and awesome pictures Manu:) . I really liked how they were making seeds using polybag hung on trees. I wish you had described it a bit more :)
ReplyDeletebeautiful captures ! I loved the lizard .. or is it a chameleon ??
ReplyDeletelizard
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