पार्क में पहुंचकर पता चला कि यहां पर तो कई कई महीने पहले एडवांस बुकिंग होती है और वो भी आनलाइन जो कि हमें पता नही थी
Delhi to jim corbett park
वाकया रोचक था मैने हां भर दी और सुबह सवेरे वो अपनी गाडी जो कि उन्होने नयी ली थी टोयेाटा इटिओस उसके साथ घर पर आ पहुंचे । घर पर चाय पीकर उन्होने हम दोनो यानि मेरा और लवी का एक फोटो लिया और उसके बाद हम दोनो यानि मै और दीपक सिंह गाडी में बैठकर चल पडे ।
।मेरे एक मित्र दीपक जो कि काफी समय से नेट के माध्यम से मुझसे जुडे थे उन्होने एक दिन अपने एक प्रोग्राम के बारे में बताया कि दो दिन का कार्यक्रम है जिम कार्बेट पार्क का । मैने पूछा कि कौन कौन है तो उन्होने कहा कि बस आप और मै
वाकया रोचक था मैने हां भर दी और सुबह सवेरे वो अपनी गाडी जो कि उन्होने नयी ली थी टोयेाटा इटिओस उसके साथ घर पर आ पहुंचे । घर पर चाय पीकर उन्होने हम दोनो यानि मेरा और लवी का एक फोटो लिया और उसके बाद हम दोनो यानि मै और दीपक सिंह गाडी में बैठकर चल पडे ।
दरअसल मै दीपक सिंह से काफी दिनो से फेसबुक के माध्यम से सम्पर्क में था और मैने कैमरा लिया तो उन्होने अच्छी जानकारी दी । तब मैने कैमरा लिया ही था और उसके दो तीन दिन बाद ही इस यात्रा का प्लान बन गया। मैने इससे पहले प्वाइंट और शूट कैमरा ही चलाये थे जबकि ये मैन्यूअल था जिसे अपने आप चलाओ तो कुछ भी समझ में नही आयेगा । सीखने में काफी टाइम लगेगा । पर मेरे लिये ये सीखना केवल तीन दिन में ही हो गया था क्योंकि सही मायने में ये यात्रा केवल यात्रा ही नही थी बल्कि कुछ इस तरह थी कि जैसे हम कैमरा सीखने और उस पर प्रयोग करने के लिये उत्तराखंड जा रहे थे ।
सुबह घर से परांठे खाकर चले थे और जिम कार्बेट पहुंचने तक कहीं नही रूके । पार्क में पहुंचकर पता चला कि यहां पर तो कई कई महीने पहले एडवांस बुकिंग होती है और वो भी आनलाइन जो कि हमें पता नही थी सो यहां पर तो कुछ भी घूमना मुश्किल था । तो फिर क्या किया जाये । कुछ नही पहले तो परांठे खाते हैं । एक चाय की दुकान पर चाय बनवायी गयी और परांठे खाये गये । उसके बाद कार्बेट के पास ही में एक मंदिर है जिस पर पिकनिक स्पाट जैसा है । हम मंदिर नही गये पर हां नदी पर बने पुल तक जरूर गये ।
दीपक के पास भी सोनी का कैमरा है वो 30 एक्स जूम का है । नये कैमरे की टैस्टिंग और फोटोग्राफी क्लास यहीं से शुरू हो गयी । सबसे पहले तो बोका इफैक्ट आजमाया गया । पत्थर के उपर छोटा पत्थर रखकर बोका इफैक्ट बनाया गया । इस इफेक्ट में पीछे की बैकग्राउंट धुंधली हो जाती है और सारा फोकस जो है वो मेन आब्जेक्ट पर ही रहता है । इसक लिये अक्सर जूम करना पडता है और कुछ कंडीशन हैं जैसे कि आपका आब्जेक्ट आपसे कम से कम पांच छह फुट या उससे ज्यादा दूर तो हो ही पर उसकी बैकग्राउंड आब्जेक्ट से काफी दूर हो
दूसरा जूम टैस्ट किया गया । कितनी दूर तक कैमरा फोटो ले पा रहा है इसके लिये पुल से खडे होकर नीचे नदी के पास खडे लोगो और मकानो के फोटो लेकर देखे गये
भाई राम राम। फोटो खुब बढिया आये है ।अचछा भाई ये बताओ ये मनदिर कोसी नदी के बीच मधय मे सथित था..?तो ये गारजिया माता का मनदिर है। आपकी याञा मे बहुत कुछ देखने को मिलता है।
ReplyDeleteराम राम जी, फोटोग्राफी की प्रैक्टिस अच्छी रही. पत्थर के ऊपर पत्थर वाला फोटो गज़ब हैं...
ReplyDeleteतालियाँ तालियाँ ..... ये यिप्पी, आखिर हमारी ट्रिप का नंबर भी आ ही गया .... अब आएगा मज़ा !!!
ReplyDeleteमनु भाई यात्रा की फोटो तो अच्छे है पर दीपक भाई जब साथ थे तो उनका भी फोटो पोस्ट करना था और आपके कैमरा फोटो बहुत अच्छे है
ReplyDeleteHe he, hamara photo na hi post kare to acha hai :) kuch achi photo to aati nahi hai :p .... but I am eagerly waiting the next part of the trip. As you all will see, it became quite an unplanned and adventurous trip ...
ReplyDeletebahut sunder chitra .....
ReplyDeleteदिपक भाई तो बहुत उतावले हो रहे हे ईस याञा को लेकर ।हाँ भाई हो भी कयो ना मनु जी के साथ जो याञा कर रहै है।दिपक जी कुछ आप भी इस याञा के पल हमसे शेयर कर सकते हो।
ReplyDeleteकल की बुलेटिन जन्म दिवस : हरिशंकर परसाई …. ब्लॉग बुलेटिन में आपकी पोस्ट (रचना) को भी शामिल किया गया। सादर .... आभार।।
ReplyDeleteमनु भाई नमस्कार , मनु भाई जिम कार्बेट में घूमने के लिए कितने दिन पहले व् कहाँ से अडवांस बुकिंग करवानी पड़ती है
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