मै अकेला 6 दिन से घूम रहा था । शिकारी देवी की भयंकर बर्फ की यात्रा अकेले कर ली थी और इस समय दिमाग में केवल कमरूनाग की चढाई की थी इसीलिये मैने बैग और मोटरसाईकिल सडक पर ही छोड दी । होटल वाले ने बता दिया था कि मै आठ या नौ बजे त
kamrunag trek and trek to karsog ,कमरूनाग की चढाई से वापसी और करसोग की ओर
मै अकेला 6 दिन से घूम रहा था । शिकारी देवी की भयंकर बर्फ की यात्रा अकेले कर ली थी और इस समय दिमाग में केवल कमरूनाग की चढाई की थी इसीलिये मैने बैग और मोटरसाईकिल सडक पर ही छोड दी । होटल वाले ने बता दिया था कि मै आठ या नौ बजे तक ही दुकान खोलूंगा । मुझे उम्मीद थी कि मै आठ बजे तक वापस आ जाउंगा । स्कूल के पास से जो पगडंडी चढनी शुरू हुई तो वहां से एक किलोमीटर तक बुरा हाल था । कई कई रास्ते अलग को जा रहे थे और पूछने के लिये कोई नही था । लिखा तो कहीं भी कुछ भी नही था । उपर जाकर एक सराय सी बनी थी । यहां से चलने के बाद मौसम अचानक खराब होने लगा । मै फिर भी चलता गया । मेरे उल्टे हाथ की साइड में यानि की चैल चौक की साइड में घने बादल आ गये थे बहुत तेज हवायें चलने लगी थी । मेरे पास बारिश से बचने के लिये कुछ नही था । एक बार तो मन किया कि सराय में रूक जाउं पर फिर सोचा कि अभी तो एक किलोमीटर ही आ पाया हूं
वैसे सराय में दो कमरे थे और कोई दरवाजा वगैरा कुछ नही था । मैने और उपर चढना शुरू किया तो एक किलोमीटर आगे जाकर मुझे एक पशु चराती हुई औरत मिली । मै थोडा सुस्ताने के लिये उसके पास बैठ गया । उस औरत ने मुझसे पूछा कि मै कमरूनाग जा रहा हूं । मेरे हां करने पर उसने कहा कि अभी वहां पर कोई नही है और बर्फ काफी है साथ ही उसने मुझे इशारा करके बताया कि देखा कुछ ही देर में बारिश आने वाली है इसलिये तुम आज नीचे रूक जाओ और कल सुबह सवेरे आना तब झील और मंदिर देखना । मुझे उसकी बात सही लगी । मै कितनी भी बर्फ में चल सकता था पर बारिश से भीगने के बाद दिक्कत हो जाती । मेरा बैग भीगता और कैमरे को भी खतरा था । इस बार मै विनचीटर लेकर भी नही चला था । उस औरत ने मुझे एक शार्टकट बताया जिससे मै एक किलोमीटर चलकर ही मेन रोड पर पहुंच जाउंगा और बारिश में भीगने से बच जाउंगा ।
कभी कभी किसी की बात को मान लेना भी हितकर होता है । मैने उस औरत की बात को मान लिया क्येांकि लोकल लोगो को अक्सर ठीक पता होता है । मैने जंजैहली में संध्या होटल वालो की बात को माना था तो सुबह जाने में मुझे आराम रहा था नही तो इतनी बर्फ और अकेले जंगल में रात को मै कैसे जा पाता ?
मैने वापिस नीचे उतरना शुरू कर दिया । बारिश बस आ ही गयी थी । मै भाग रहा था और बारिश तेज होती जा रही थी
मै नीचे दुकान पर पहुंचा तो थोडा भीग गया था । मैने चाय बनवाई और बारिश बंद होने का इंतजार करने लगा । दुकान वाले ने बताया कि यहां पर कोई होटल नही है करीब देा किलोमीटर चलकर होटल मिलेगा । आधे घंटे में बारिश थोडी हल्की हो गयी । मैने बराबर की दुकान से दो पालिथिन ली जो काफी बडी थी किसी गत्ते के डिब्बे में आयी थी । उन्हे अपनी कमर के बैग और दुसरे बैग पर ढका और चल पडा । दो किलोमीटर बाद जो होटल मिला वो काफी महंगा था सो मै अगले होटल की तलाश में चलता रहा और चलता ही रहा । काफी दूर चलने के बाद मैने सोचा कि अब रास्ते में रूकने का क्या फायदा है अब तो थोडी ही दूर करसोग है तो क्यों ना करसोग जाकर रूका जाये
शाम का नजारा था । सूर्यास्त हो रहा था इसलिये आपके लिये सूर्यास्त के कुछ फोटो लिये देखकर बताईये कैसे हैं ?
kamrunag trek |
वैसे सराय में दो कमरे थे और कोई दरवाजा वगैरा कुछ नही था । मैने और उपर चढना शुरू किया तो एक किलोमीटर आगे जाकर मुझे एक पशु चराती हुई औरत मिली । मै थोडा सुस्ताने के लिये उसके पास बैठ गया । उस औरत ने मुझसे पूछा कि मै कमरूनाग जा रहा हूं । मेरे हां करने पर उसने कहा कि अभी वहां पर कोई नही है और बर्फ काफी है साथ ही उसने मुझे इशारा करके बताया कि देखा कुछ ही देर में बारिश आने वाली है इसलिये तुम आज नीचे रूक जाओ और कल सुबह सवेरे आना तब झील और मंदिर देखना । मुझे उसकी बात सही लगी । मै कितनी भी बर्फ में चल सकता था पर बारिश से भीगने के बाद दिक्कत हो जाती । मेरा बैग भीगता और कैमरे को भी खतरा था । इस बार मै विनचीटर लेकर भी नही चला था । उस औरत ने मुझे एक शार्टकट बताया जिससे मै एक किलोमीटर चलकर ही मेन रोड पर पहुंच जाउंगा और बारिश में भीगने से बच जाउंगा ।
कभी कभी किसी की बात को मान लेना भी हितकर होता है । मैने उस औरत की बात को मान लिया क्येांकि लोकल लोगो को अक्सर ठीक पता होता है । मैने जंजैहली में संध्या होटल वालो की बात को माना था तो सुबह जाने में मुझे आराम रहा था नही तो इतनी बर्फ और अकेले जंगल में रात को मै कैसे जा पाता ?
मैने वापिस नीचे उतरना शुरू कर दिया । बारिश बस आ ही गयी थी । मै भाग रहा था और बारिश तेज होती जा रही थी
मै नीचे दुकान पर पहुंचा तो थोडा भीग गया था । मैने चाय बनवाई और बारिश बंद होने का इंतजार करने लगा । दुकान वाले ने बताया कि यहां पर कोई होटल नही है करीब देा किलोमीटर चलकर होटल मिलेगा । आधे घंटे में बारिश थोडी हल्की हो गयी । मैने बराबर की दुकान से दो पालिथिन ली जो काफी बडी थी किसी गत्ते के डिब्बे में आयी थी । उन्हे अपनी कमर के बैग और दुसरे बैग पर ढका और चल पडा । दो किलोमीटर बाद जो होटल मिला वो काफी महंगा था सो मै अगले होटल की तलाश में चलता रहा और चलता ही रहा । काफी दूर चलने के बाद मैने सोचा कि अब रास्ते में रूकने का क्या फायदा है अब तो थोडी ही दूर करसोग है तो क्यों ना करसोग जाकर रूका जाये
शाम का नजारा था । सूर्यास्त हो रहा था इसलिये आपके लिये सूर्यास्त के कुछ फोटो लिये देखकर बताईये कैसे हैं ?
kamrunag trek |
kamrunag trek |
kamrunag trek |
sunset at karsog |
sunset at karsog |
sunset to the way fo karsog |
a stop in the way of karsog |
another snap of sunset of karsog |
Last two clicks are really impressive....
ReplyDeletelove the pics... the journey must be awesome one :)
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