पाताल भुवनेश्वर जाने का इरादा अचानक बना । चूंकि पहले से कोई प्रोग्राम बनाकर नही चले थे तो पहला दिन तो हमारा केवल रास्तो में ही निकल गया जब ह...
पाताल भुवनेश्वर जाने का इरादा अचानक बना । चूंकि पहले से कोई प्रोग्राम बनाकर नही चले थे तो पहला दिन तो हमारा केवल रास्तो में ही निकल गया जब हम रानीखेत तक ही पहुंच पाये और जिम कार्बेट पार्क को भी नही देख सके । दूसरा दिन हमारा काफी लम्बे सफर में गया जब हमने बिरथी फाल सहित मुनस्यारी तक पहुंचना सुनिश्चित किया । मेरे जैसे घुमक्कड को नयी नयी जगह घूमने की ज्यादा रहती है जबकि दीपक को ऐसी कोई दिक्कत नही थी और वो सीधे चलने को भी तैयार था दिल्ली के लिये लेकिन मैने ही उसको समझाया कि हम पचास साठ किलोमीटर के अंतर से ही एक बढिया जगह देख सकते हैं
उत्तराखंड के पिथौरा गढ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर काफी ऐतिहासिक और प्राचीन जगह मानी जाती है । माना जाता है कि यहां पर 33 करोड देवी देवताओ के दर्शन होते हैं । वैसे मैने इससे मिलती जुलती गुफा शिवखोडी जम्मू में भी देखी है । उसमें भी इसी प्रकार के दर्शन हैं किन्तु उसमें और इसमें अंतर है गहराई का । दूसरी एक गुफा हमने नासिक में देखी है काले राम गोरे राम मंदिर में लेकिन उसमे भी इसके बराबर गहराई नही है । सही पूछो तो इतनी गहराई में आपको शायद ही कोई पर्यटक या धार्मिक स्थल मिले जिसके उतरने की जगह को देखकर आधे लोग तो बाहर से ही मना कर दें कि हम नही जायेंगें । मै भी ऐसी जगहो पर जाने से घबराता हूं कि कहीं अंदर सांस ना घुटने लगे पर कहीं पर भी मैने जाने से अब तक मना नही किया ये गुफा जमीन से करीब 90 फीट अंदर है । यहां तक पहुंचने के लिये अल्मोडा बागेश्वर रोड पर मुनस्यारी से आते हुए तेजम नामक जगह से कुछ किलोमीटर पहले एक रोड पाताल भुवनेश्वर के लिये जाती है । आगे हमें रंगरी नामक जगह से फिर से बागेश्वर अल्मोडा के लिये मुड जाना था यानि कुछ किलोमीटर का ही फेर पडना था । तेजम से आगे बेरीनाग रोड पर चलना था । गुप्तारी नामक गांव से कुछ आगे से 7 किलोमीटर की एक अलग रोड हमें पाताल भुवनेश्वर तक ले जाती है । ये रोड चढाई तो चढती ही जाती है साथ ही इस रोड की चौडाई बहुत कम है बस एक गाडी जितनी । चौडाई बढाने के लिये यहां पर सडक की कटाई भी चल रही है । जैसे जैसे सडक पर आगे की ओर बढते जाते हैं वैसे वैसे हिमालय की उंची चोटियां जो कि बर्फ से ढकी हैं और धूप पडने से चांदी जैसी चमकती हैं दिखायी देती हैं । पाताल भुवनेश्वर पहुंचने पर कुछ दुकाने , गेस्ट हाउस आदि मिले । हमने खाना नही खाया था दोपहर का इसलिये कुमाउं गढवाल मंडल निगम के गेस्ट हाउस में पूछा उसने कहा कि आप अब आर्डर दे जाईये और गुफा देखकर आइये तब तक मै खाना बना दू्ंगा । हमने ऐसा ही किया । गुफा में कैमरा या मोबाईल ले जाना सख्त मना है । गेट पर ही जमा करने की सुविधा है । गेट पर काफी इंतजार भी करना पड जाता है क्योंकि गुफा में जाने का जो रास्ता है उसमें से एक बार मे एक आदमी ही आ या जा सकता है । हमारे समय में इतनी भीड नही थी । गुफा प्रबंधन की ओर से हर ग्रुप के साथ एक गाइड जाता है जो कि जमीन से 90 फीट गहरी इस गुफा में एक एक स्थान की जानकारी देता है । जमीन से 90 फीट अंदर उतरने के बाद एक समतल सा स्थान आता है । गुफा काफी बडी और चौडी है । लम्बाई में भी काफी है । सांस लेने की कोई दिक्कत नही है
गुफा में शेषनाग के दर्शन होते हैं जो कि बिलकुल ऐसा लगता है कि अपने फन पर धरती को उठाये हैं । शिवलिंग के दर्शन इस तरह होते हैं कि उन पर लगातार जल चढ रहा है प्राकृतिक तरीके से । केदारनाथ , बद्रीनाथ , वैष्णो देवी सहित सभी देवी देवताओ के दर्शन कराते चलता गाइड ये नही बताता कि गुफा में चिकनी और फिसलन भरी चटटानो पर संभलकर चलें ये आपको खुद ही करना है
गाइड ने किसी जगह को किसी कथा से जुडा बताया तो किसी रास्ते को काशी का तो किसी को स्वर्ग का द्धार बताया । 33 करोड देवी देवताओ के भी दर्शन कराये । हम सम्मोहन से में थे जो वो बता रहा था बिलकुल वही लग रहा था । अगर गाइड ये कहता कि ये देखो ये शिवजी की जटा हैं तो हमें वही लगता क्योंकि ये जगह ही अदभुत है इस गुफा का वर्णन स्कंद पुराण में 103 वे अध्याय में भी मिलता है । शायद यहां पर हजारो रिषी मुनियो ने भी तपस्या की होगी । इसलिये यहां पर आकर एक अद्धितीय अनुभव होता है जिसे खुद शशरीर वहां पर जाकर अनुभव करना बढिया है ।
उत्तराखंड के पिथौरा गढ जिले में स्थित पाताल भुवनेश्वर काफी ऐतिहासिक और प्राचीन जगह मानी जाती है । माना जाता है कि यहां पर 33 करोड देवी देवताओ के दर्शन होते हैं । वैसे मैने इससे मिलती जुलती गुफा शिवखोडी जम्मू में भी देखी है । उसमें भी इसी प्रकार के दर्शन हैं किन्तु उसमें और इसमें अंतर है गहराई का । दूसरी एक गुफा हमने नासिक में देखी है काले राम गोरे राम मंदिर में लेकिन उसमे भी इसके बराबर गहराई नही है । सही पूछो तो इतनी गहराई में आपको शायद ही कोई पर्यटक या धार्मिक स्थल मिले जिसके उतरने की जगह को देखकर आधे लोग तो बाहर से ही मना कर दें कि हम नही जायेंगें । मै भी ऐसी जगहो पर जाने से घबराता हूं कि कहीं अंदर सांस ना घुटने लगे पर कहीं पर भी मैने जाने से अब तक मना नही किया ये गुफा जमीन से करीब 90 फीट अंदर है । यहां तक पहुंचने के लिये अल्मोडा बागेश्वर रोड पर मुनस्यारी से आते हुए तेजम नामक जगह से कुछ किलोमीटर पहले एक रोड पाताल भुवनेश्वर के लिये जाती है । आगे हमें रंगरी नामक जगह से फिर से बागेश्वर अल्मोडा के लिये मुड जाना था यानि कुछ किलोमीटर का ही फेर पडना था । तेजम से आगे बेरीनाग रोड पर चलना था । गुप्तारी नामक गांव से कुछ आगे से 7 किलोमीटर की एक अलग रोड हमें पाताल भुवनेश्वर तक ले जाती है । ये रोड चढाई तो चढती ही जाती है साथ ही इस रोड की चौडाई बहुत कम है बस एक गाडी जितनी । चौडाई बढाने के लिये यहां पर सडक की कटाई भी चल रही है । जैसे जैसे सडक पर आगे की ओर बढते जाते हैं वैसे वैसे हिमालय की उंची चोटियां जो कि बर्फ से ढकी हैं और धूप पडने से चांदी जैसी चमकती हैं दिखायी देती हैं । पाताल भुवनेश्वर पहुंचने पर कुछ दुकाने , गेस्ट हाउस आदि मिले । हमने खाना नही खाया था दोपहर का इसलिये कुमाउं गढवाल मंडल निगम के गेस्ट हाउस में पूछा उसने कहा कि आप अब आर्डर दे जाईये और गुफा देखकर आइये तब तक मै खाना बना दू्ंगा । हमने ऐसा ही किया । गुफा में कैमरा या मोबाईल ले जाना सख्त मना है । गेट पर ही जमा करने की सुविधा है । गेट पर काफी इंतजार भी करना पड जाता है क्योंकि गुफा में जाने का जो रास्ता है उसमें से एक बार मे एक आदमी ही आ या जा सकता है । हमारे समय में इतनी भीड नही थी । गुफा प्रबंधन की ओर से हर ग्रुप के साथ एक गाइड जाता है जो कि जमीन से 90 फीट गहरी इस गुफा में एक एक स्थान की जानकारी देता है । जमीन से 90 फीट अंदर उतरने के बाद एक समतल सा स्थान आता है । गुफा काफी बडी और चौडी है । लम्बाई में भी काफी है । सांस लेने की कोई दिक्कत नही है
गुफा में शेषनाग के दर्शन होते हैं जो कि बिलकुल ऐसा लगता है कि अपने फन पर धरती को उठाये हैं । शिवलिंग के दर्शन इस तरह होते हैं कि उन पर लगातार जल चढ रहा है प्राकृतिक तरीके से । केदारनाथ , बद्रीनाथ , वैष्णो देवी सहित सभी देवी देवताओ के दर्शन कराते चलता गाइड ये नही बताता कि गुफा में चिकनी और फिसलन भरी चटटानो पर संभलकर चलें ये आपको खुद ही करना है
गाइड ने किसी जगह को किसी कथा से जुडा बताया तो किसी रास्ते को काशी का तो किसी को स्वर्ग का द्धार बताया । 33 करोड देवी देवताओ के भी दर्शन कराये । हम सम्मोहन से में थे जो वो बता रहा था बिलकुल वही लग रहा था । अगर गाइड ये कहता कि ये देखो ये शिवजी की जटा हैं तो हमें वही लगता क्योंकि ये जगह ही अदभुत है इस गुफा का वर्णन स्कंद पुराण में 103 वे अध्याय में भी मिलता है । शायद यहां पर हजारो रिषी मुनियो ने भी तपस्या की होगी । इसलिये यहां पर आकर एक अद्धितीय अनुभव होता है जिसे खुद शशरीर वहां पर जाकर अनुभव करना बढिया है ।
munsyari yatra-
इन बेचारो को होली से कोई मतलब नही ये तो अपने दो जून की रोटी कमाने में व्यस्त हैं |
सुंदर जगह , बेहतरीन चित्र
ReplyDeleteशुभकामनायें
आपके द्धारा बताई हर बात पाताल भुवनेश्वर की बहुत ही चमत्कारी पडती है हम पढते पढते ही दर्शन कर रहे है लग रहा है जैसै हम ने भी गुफा के दर्शन किये हो.
ReplyDeleteजितने सुन्दर निकट के दृश्य हैं, उतने ही मोहक दूर के भी। जय हो पैनारोमिक फोटो की..
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