सवा 6 बजे अंधेरा होना शुरू हो गया था । सबसे पहले तो रूकने के सवाल पर ही संशय था । राकेश अभी भी चलने की कहने लगता अगर रूकने की कहो तो बोलत...
फोन करके हम लोग ढाबे पर आ गये । यहां पर खाना तैयार था । वही राजमा चावल और रोटी । पहाडो का ये सबसे बेहतरीन खाना होता है प्लेन के बिलकुल शाही पनीर और तंदूरी रोटी जैसा
खाना बनाने वालो से बातचीत में पता चला कि वो नेपाल के हैं । दो महिलायें और दो आदमी थे जिन्होने पांच हजार रूपये महीना में यहां पर ये छोटी सी जगह और एक कमरा लिया हुआ था । हांलांकि उनका काम बमुश्किल 6 महीने ही चलता है पर किराया साल का होता है । सदी शुरू होते ही यानि अब से कुछ दिन बाद ये यहां से नेपाल चले जायेंगें ।
खाना खाने के बाद सोने की बारी थी पर हमें अभी टैंट लगाना था । ढाबे वालो ने बातचीत में बताया था कि हैलीपैड के पास जगह है वहां पर लगाना बढिया रहेगा । सराहन में भी हमने हैलीपैड की पार्किंग में ही टैंट लगाया था । यहां पर पहुंचे तो अंधेरा हो चुका था । पास से ही स्पीति नदी की गर्जना सुनाई दे रही थी । बाइक की हैडलाइट और टार्च जलाकर टैंट लगाया गया । बाइको से भी टैंट को बांध दिया हालांकि यहां पर चोरी की तो कोई गुंजाइश नही थी । रात को ठंड काफी थी और टैंट में मैट्रस दो थे जबकि आदमी तीन । जाट देवता ने अपनी चादर पोंछू के उपर बिछाकर अपना बिस्तर बना लिया । रात को जैसे तैसे नींद आयी
सुबह वैसे तो मोनेस्ट्री को अंदर से देखना बनता था पर वो सुबह नौ बजे से पहले संभव नही था । नौ बजे का मतलब ग्यारह या बारह बजे यहां से चलना जो कि हमारे लिये संभव नही था इसलिये उस कार्यक्रम को रदद कर दिया । वैसे भी मुझे इन बौद्ध मठो में कोई खास रूचि नही है । साथियो को भी नही थी इसलिये टैंट को पैक किया । साढे पांच बजे हम लोग उठ गये थे और हैलीपैड पर जागिंग करने वाले भी दो लोग आ गये थे । समस्या फ्रेश होने की थी । काफी दूर जाकर स्पीति नदी थी सो सोचा कि कहीं रास्ते में कोई पानी की धारा होगी तो वहीं पर पेट साफ करेंगें ।
ताबो से निकलते ही ताबो ब्रिज आता है । ये ब्रिज एक छोटी सी धारा के उपर बना है जो शायद बरसात में ज्यादा बडी हो जाती हो पर अभी तो छोटी सी ही थी । बर्फ का ताजा पिघला पानी आकर नीचे स्पीति में मिल रहा था । बाइक साइड में खडी करके पहले फ्रेश हुए । अब पूछना मत कि इतने ठंडे पानी में फ्रेश कैसे हुए । ब्रश किया और दो सेब निकालकर खा लिये जो सांगला से लिये थे । अभी आधे बचे थे । नाश्ते का काम हो गया और हम चल दिये अपने आगे के सफर पर
साढे छह बजे हम चल पडे थे और आगे एक से बढकर एक नजारे हमारी प्रतीक्षा में थे । हमने भी उन्हे ज्यादा इंतजार कराना उचित नही समझा । सूरज की धूप बर्फ से ढकी चोटियो पर पडकर उन्हे चांदी जैसा चमका रही थी । यहां पर भी कई जगह गुफाऐं थी और स्पीति नदी हर मोड पर अलग ही नजारा प्रस्तुत करती थी
बढ़िया, गजब, उम्दा। आपके पर्यटन साहस के लिए शुभकामनाएं।
DeleteWonderful pictures....Looks so serene and peaceful...
Deleteएक रोमान्चकारी यात्रा व्रतान्त
DeleteSleeping out in the open and being so close to nature.....I envy you. Hope you have many many such beautiful adventures.
Deleteबहुत बढिया
Deleteबहुत बढिया
Deleteदेखते जाओ, आगे बढ़ते जाओ
Deleteबहुत ही बढ़िया व्याख्यान किया गया है इस पोस्ट मे. मेरा तजुर्बा भी कुछ ऐसा ही था. हालांकि मैं एक Travel-group के साथ गइ थी.
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