अमृतसर एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बडा शहर है पंजाब का । ये वाघा बार्डर के काफी करीब है । धार्मिक रूप से ये शहर स्वर्ण मंदिर के लिये प्रसिद्ध ...
अमृतसर एक बहुत ही महत्वपूर्ण और बडा शहर है पंजाब का । ये वाघा बार्डर के काफी करीब है । धार्मिक रूप से ये शहर स्वर्ण मंदिर के लिये प्रसिद्ध है । सिख धर्म के मानने वालो के लिये ये जगह एक धाम की तरह है । साथ ही ये शहर अपने पंजाबी तडके वाले लजीज खाने के लिये मशहूर है । हिंदुओ के भी कई मंदिर इस शहर में हैं ।
ये यात्रा जुलाई 2012 की है जब मैने अपने मित्र मुम्बई निवासी विशाल राठौड के साथ अमरनाथ यात्रा पर जाने का विचार बनाया । कुछ कारणो से यात्रा के शुरू होने से पहले छुटटी ना मिल पाने के कारण मुझे अमरनाथ यात्रा का विचार त्यागना पडा लेकिन फिर भी विशाल और उसके परिवार से मिलने के लिये और उनके साथ घूमने के लिये एक छोटा सा टूर प्लान कर ही लिया । इस यात्रा के पहले हिस्से में विशाल और उसके परिवार को मुम्बई से अमृतसर आना था । विशाल ने मेरे और मेरी धर्मपत्नी के टिकट भी पहले ही बुक कर दिये थे । सो हम दिल्ली से उसी ट्रेन में विशाल के साथ हो लिये । पहली बार मिले थे इसलिये रात का काफी समय तो बातेा में ही गुजर गया । विशाल के साथ उनकी पत्नी सोनाली राठौड और उनकी बेटी आर्या थी जबकि मेरे साथ मेरी पत्नी लवी और बेटी अनुष्का थी ।
सुबह सवेरे ट्रेन को अमृतसर जंक्शन प्लेटफार्म पर पहुंचना था सो हम सब तैयार हो गये । प्लेटफार्म पर उतरने के बाद हमें रूकने के बारे में सोचना था । सबसे पहले हम लोग प्लेटफार्म पर बच्चो को सामान के साथ खडा करके रेलवे के रिटायरिंग रूम के बारे में पता करने गये पर वो खाली नही थे । विशाल को आज रात को इसी स्टेशन से जम्मू जाना था सो बेहतर यही होता कि वो स्टेशन के पास ही रूके ताकि दिन में अमृतसर को घूमने के बाद तुरंत यहीं से ट्रेन पकड ले ।
रेलवे स्टेशन के बाहर आये तो एक सरदार जी मिले जिन्होने हमें आफर दिया कि वो कुल 50 रूपये लेंगें और जब तक हमें होटल पसंद ना आ जाये वो दिखाते रहेंगें । हमने उन्हे कहा कि हमें स्टेशन के पास में ही चाहिये और वो भी हमारे एक निश्चित बजट में । सरदार जी हमें घुमाकर स्टेशन के ही पिछली साइड में ले गये जहां पर उन्होने हमें दो होटल दिखाये । उनमें से एक में हमें कमरा पसंद आ गया । ये कमरा मात्र 600 रूपये में था वो भी रात को 12 बजे तक के लिये क्योंकि विशाल की ट्रेन रात के ग्यारह बजे के आसपास थी इसलिये उसे इतने समय तक तो कमरे में रूकना ही था
इसी बीच अमृतसर घूमने के बारे में बात हुई तो वही सरदार जी जिनकी क्वालिस गाडी में हम स्टेशन से आये थे उनसे हमने अपना दिन भर का प्लान बताया । उनसे सौदेबाजी होने के बाद और सारे गंतव्य तय करने के बाद 1200 रूपये में हमने दिन भर के लिये उस गाडी को बुक कर लिया । उन्हे कह दिया कि आप एक घंटे बाद आ जाओ तब तक हम सब नहा धोकर फ्रेश हो जाते हैं । विशाल मुम्बई से एक तरबूज भी खरीदकर लाया था जो कि काफी बडा था और नहाने के बाद सबने मिलकर उसे खाया
अगले भाग में यानि कल चलते हैं अमृतसर के दर्शनीय स्थानो की सैर पर
एक नई यात्रा का सुन्दर आगमण.
ReplyDeleteमनु भाई गाजियाबाद मे कहां कार्यरत है?
कब मुलाकात हो सकती है?
कप्या बताए.
कार्यरत तो अभी मु0नगर में ही हूं सचिन भाई
Deleteनिवास फिलहाल गा0 बाद में दुहाई के पास मेरठ रोड पर है आप जब आना चाहें स्वागत है । अवकाश के दिन में जरूर मिल पाउंगा । आप मेरे नम्बर 9045912161 पर काल करके पता भी कर सकते हैं
पोस्ट से बड़ा तो तरबूज ही है मनु भाई :)
ReplyDeleteखैर, फ़िर आयेंगे अगली पोस्ट पर।
स्वागतम , रोज ही पोस्ट आती है संजय जी
DeleteManu Bhai ji,,, Duhai se Muzaffarnagar daily up down karte ho kya???
ReplyDeleteNew journey का शुभारम्भ
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