hollywood location losser समुद्र तल से 4097 मीटर की उंचाई पर बसे लोसर तक के लिये हमारा सफर शुरू हो चुका था । हालीवुड की ममी फिल्म आयी ...
hollywood location losser
समुद्र तल से 4097 मीटर की उंचाई पर बसे लोसर तक के लिये हमारा सफर शुरू हो चुका था । हालीवुड की ममी फिल्म आयी थी जिसने देखी हो तो उसके अंदर दिखायी गयी लोकेशन इस रास्ते को मैच करती हैं । रंगरिक ब्रिज से आगे मूरांग , हल , रंगरिक आदि गांव पडते हैं ।रंगरिक में तो मोनेस्ट्री भी है ।
डेढ बजे का समय हो रहा था और हम बाइक को पचास साठ की स्पीड से दौडाये जा रहे थे । खुली लम्बी सडक पर अदभुत नजारो को देखते हुए कई बार मै तो बाइक को रोक कर फोटो खींचने लगता था । रास्ते में आते हुए काजा के पास हमें बाइकर्स की रैली भी मिली थी जिसमें आठ से दस बाइकर्स थे । उनमें से एक ने अपने हैलमेट पर कैमरा भी लगाया हुआ था । मै समझता हूं कि ये बढिया चीज है अगर सही से काम करता हो तो क्योंकि ये सीधे आंखो की सीध में है और हर वो चीज रिकार्ड कर सकता है जिसे हम देखते हैं
काजा से लोसर तक का रास्ता ऐसा था जैसा कि हालीवुड की पीरियड फिल्मो में होता है । ऐसा ही एक नजारा तब आया जब एक छोटी पर गहरी पानी की धारा को पार करने के लिये बिलकुल धारा के छोटी होने की जगह पर जाकर वापस मुडना था । इस जगह पर जो पहाड था वो इस रास्ते में पहली और आखिरी बार आया था । वो बिलकुल अजीब किस्म का था । उसे जैसे तैसे थोडा काट छांटकर जो रास्ता बनाया गया था उसे देखकर सिहरन सी हो जाती थी । छोटी सी धारा को पार करने के लिये अंदर जाते समय डर लग रहा था । बिलकुल ऐसा लगता था जैसे हम किसी किले में जा रहे हों
इस पहाड से आगे निकलने के बाद कुछ किलोमीटर पर फिर से एक बडा पुल आया जिससे ये अंदाजा लगाना मुश्किल था कि पुल से आगे रास्ता किधर को जायेगा तब तक जब तक कि हम पुल से दो किलोमीटर उपर चढकर नही पहुंच गया । यहां से आगे फिर से खुली सडक मिली । कई बाइकर्स भी मिले जिनमें जोडे भी थे बुलेट पर ।
यहां एक प्रोजेक्ट भी चलाया जा रहा है इस बियाबान जगह को हरा भरा बनाने के लिये । उसके लिये जो पौधे रोपे गये थे वे अब पीले रंग के हो रहे थे पतझड के कारण । दो बजे के करीब हम उस रहस्यमयी पहाड के पास थे तो करीब पोने तीन बजे हमें घाटी में लोसर दिखायी देना शुरू हो गया था । लेकिन मेरे साथ एक समस्या आ गयी थी । यहां पर हवा बहुत तेज हो गयी थी और वो भी सामने से सीधी । हवा इतनी तेज थी कि मुझे बाइक के इंजन की आवाज भी सुनाई नही दे रही थी
यहां एक प्रोजेक्ट भी चलाया जा रहा है इस बियाबान जगह को हरा भरा बनाने के लिये । उसके लिये जो पौधे रोपे गये थे वे अब पीले रंग के हो रहे थे पतझड के कारण । दो बजे के करीब हम उस रहस्यमयी पहाड के पास थे तो करीब पोने तीन बजे हमें घाटी में लोसर दिखायी देना शुरू हो गया था । लेकिन मेरे साथ एक समस्या आ गयी थी । यहां पर हवा बहुत तेज हो गयी थी और वो भी सामने से सीधी । हवा इतनी तेज थी कि मुझे बाइक के इंजन की आवाज भी सुनाई नही दे रही थी
बाइक चढाई पर नही थी लेकिन हवा की वजह से बाइक को पहले गियर में चलाना पड रहा था । मुझे ही पता है कि मै कैसे लोसर तक पहुंचा । जब तक मै गांव में पहुंचा तब तक जाट देवता और राकेश तो चाय भी पी चुके थे । मेरे लिये चाय तैयार थी और चाय पीते ही चलने का आर्डर भी क्योंकि उपर पहाडो पर मौसम भी बादलो से घिरा दिखायी देने लगा था । इसलिये जाट देवता का आदेश था कि जल्दी से जल्दी कुंजुम दर्रा पार करो
KINNAUR SPITI YATRA-
यही है वो पहाड जिसके बारे में जिक्र किया था मैने |
यही है वो पहाड जिसके बारे में जिक्र किया था मैने |
यही है वो पहाड जिसके बारे में जिक्र किया था मैने |
losser view |
losser village |
बहुत सुंदर !
ReplyDeleteबहुत सुंदर दृश्यावली। । मन मोहने वाली --ऐसा लगता है यही झोपड़े में घर बनाकर रहा जाये ----वाह !!!! और पहाड़ तो अद्भुत। ।-----
ReplyDeleteSundarta bayan karne ke liye words hi nahi hain.
ReplyDeletePhotography mein kamaal kar diya Manu ji.
Amazing photos. Thanks for sharing:)
ReplyDeleteKhoobsurat !
ReplyDeleteसुन्दर चित्र..... बधाई....!!
ReplyDeletevery beautiful
ReplyDeleteकुन्जुम के लिये कमर कस लो
ReplyDeleteये अद्भुत है,क्या यहाँ पब्लिक ट्रांसपोर्ट के जरिए जाया जा सकता है?
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