रोहतांग से मै और जाट दोनो चल पडे । दो किलोमीटर बाद ही मुझे एक युगल मिले जिन्होने मुझे हाथ दिया । वो बुलेट लिये थे जिसके पिछले पहिये में पंचर...
रोहतांग से मै और जाट दोनो चल पडे । दो किलोमीटर बाद ही मुझे एक युगल मिले जिन्होने मुझे हाथ दिया । वो बुलेट लिये थे जिसके पिछले पहिये में पंचर हो गया था । बुलेट किराये की थी और यहां कोठी से पहले पंचर वाले की दुकान नही थी जो कि इस जगह का सबसे माइनस प्वाइंट है । यहां पर अस्थायी चाय की दुकाने लग सकती हैं खाने पीने से लेकर कपडे वालो की लग सकती हैं पर पंचर वालो की नही ।
खैर बात करने पर पता चला कि दोनो बंदे अपने गाजियाबाद के ही थे । पहले दिन भी वे रोहतांग आये पैकेज में तो उन्हे पसंद नही आया फिर अगले दिन बुलेट किराये पर लेकर आये । किराये की चीजो में किसी को क्या पता
बुलेट में पंचर होना बहुत दिक्क्त की बात है क्योंकि एक तो वो भारी है फिर उसे खींचना पड जाये तो क्या कहने । वैसे मैने आज तक पंचर होने पर कभी बाइक नही खींची बैठकर ले गया चाहे टयूब कटे तो कट जाये । इसलिये मैने उन्हे भी यही सलाह दी कि चाहे तो वे मेरी बाइक ले जायें मै उनकी बुलेट को चला लूंगा । पर मेरे कहने पर वे तैयार हो गये और पहले धीमी धीमी और फिर 40 की स्पीड तक चलाने लगे ।
शिल्पा और कपिल जो कि गाजियाबाद के ही रहने वाले थे उनमें से शिल्पा मेरी बाइक पर पीछे बैठ गयी और फिर मै कपिल के साथ साथ ही चला । इसमें मुझे दो घंटे से भी ज्यादा लग गये । मै काफी आगे निकल सकता था पर जब उन दोनो ने मनाली पहुंचकर मुझे शुक्रिया के दो शब्द कहे तो मुझे संतोष था । पहले कोठी में पंचर वाले की दुकान की जानकारी मिली थी पर बाद में मनाली में जाकर ही दुकान मिली । उन दोनो को दुकान पर छोडकर मै आगे को चला तो वशिष्ठ के पास फोटो खींचने लगा । यहां पर जाट देवता की फिर से आवाज आयी । मैने देखा वो यहीं पर एक बाइक की दुकान पर बाइक सही करा रहे थे ।
मैने भी अपनी बाइक की चैकिंग करायी । बिलकुल टिप टाप थी इतना लम्बा सफर करने के बाद भी । मैने जाट देवता से उनका इरादा पूछा तो उन्होने बताया कि अभी उनका इरादा यहां से बाइक लेकर आगे शिकारी देवी जाने का है तो वो आज घर नही जा रहे हैं । जबकि मेरा मन और घूमने का नही था इसलिये मै सीधे दिल्ली के लिये चल पडा ।
रात को बातल में सही से नींद ना आने के कारण मुझे बहुत जोर से नींद आ रही थी । इस नींद की वजह से ही मै मनाली से कुल्लू नग्गर वाले रास्ते को निकलने के बावजूद एक भी फोटो नही खींच सका । कुल्लू वाले बाईपास पर दिन के तीन बजे के करीब मुझे नींद ने ज्यादा परेशान किया तो मैने एक होटल में कमरा पूछा । उन्होने 250 रूपये में कमरा दे दिया । मै अकेला ही था होटल में और इतना नींद के मारे बेहाल था कि एकदम सो गया जूते पहने पहने ही । दो घंटे बाद मै उठा तो मैने जाट देवता को फोन मिलाया तो उन्होने बताया कि वे मंडी में है और कमरा लेकर रूक गये हैं ।
बहुत देर तक कन्फयूज रहा कि अब क्या करूं । चाहता तो कमरा सुबह तक था पर मेरा मन अब घर की ओर को भाग रहा था पता नही क्या हो रहा था कि मन बिलकुल नही लग रहा था । मैने बाइक उठायी और चल पडा । मंडी तक पहुंचने में अंधेरा हो गया था । मंडी के पंचायत गेस्ट हाउस में जाकर जाट देवता से मिला जिन्होने पूरा गेस्ट हाउस अपने सोने के लिये बुक कर रखा था । पूरे गेस्ट हाउस में वो अकेले ही थे । मैने फिर पूछा कि क्या दिल्ली चलोगे ?
शिल्पा और कपिल जो कि गाजियाबाद के ही रहने वाले थे उनमें से शिल्पा मेरी बाइक पर पीछे बैठ गयी और फिर मै कपिल के साथ साथ ही चला । इसमें मुझे दो घंटे से भी ज्यादा लग गये । मै काफी आगे निकल सकता था पर जब उन दोनो ने मनाली पहुंचकर मुझे शुक्रिया के दो शब्द कहे तो मुझे संतोष था । पहले कोठी में पंचर वाले की दुकान की जानकारी मिली थी पर बाद में मनाली में जाकर ही दुकान मिली । उन दोनो को दुकान पर छोडकर मै आगे को चला तो वशिष्ठ के पास फोटो खींचने लगा । यहां पर जाट देवता की फिर से आवाज आयी । मैने देखा वो यहीं पर एक बाइक की दुकान पर बाइक सही करा रहे थे ।
मैने भी अपनी बाइक की चैकिंग करायी । बिलकुल टिप टाप थी इतना लम्बा सफर करने के बाद भी । मैने जाट देवता से उनका इरादा पूछा तो उन्होने बताया कि अभी उनका इरादा यहां से बाइक लेकर आगे शिकारी देवी जाने का है तो वो आज घर नही जा रहे हैं । जबकि मेरा मन और घूमने का नही था इसलिये मै सीधे दिल्ली के लिये चल पडा ।
रात को बातल में सही से नींद ना आने के कारण मुझे बहुत जोर से नींद आ रही थी । इस नींद की वजह से ही मै मनाली से कुल्लू नग्गर वाले रास्ते को निकलने के बावजूद एक भी फोटो नही खींच सका । कुल्लू वाले बाईपास पर दिन के तीन बजे के करीब मुझे नींद ने ज्यादा परेशान किया तो मैने एक होटल में कमरा पूछा । उन्होने 250 रूपये में कमरा दे दिया । मै अकेला ही था होटल में और इतना नींद के मारे बेहाल था कि एकदम सो गया जूते पहने पहने ही । दो घंटे बाद मै उठा तो मैने जाट देवता को फोन मिलाया तो उन्होने बताया कि वे मंडी में है और कमरा लेकर रूक गये हैं ।
बहुत देर तक कन्फयूज रहा कि अब क्या करूं । चाहता तो कमरा सुबह तक था पर मेरा मन अब घर की ओर को भाग रहा था पता नही क्या हो रहा था कि मन बिलकुल नही लग रहा था । मैने बाइक उठायी और चल पडा । मंडी तक पहुंचने में अंधेरा हो गया था । मंडी के पंचायत गेस्ट हाउस में जाकर जाट देवता से मिला जिन्होने पूरा गेस्ट हाउस अपने सोने के लिये बुक कर रखा था । पूरे गेस्ट हाउस में वो अकेले ही थे । मैने फिर पूछा कि क्या दिल्ली चलोगे ?
नही मै तो शिकारी देवी के लिये निकलूंगा सुबह सवेरे तो चलो अगर दिल्ली चलते तो मै भी साथ चलता और आज यहीं आपके साथ मंडी में रूक जाता । उसके बाद मै चल दिया और चंडीगढ से करीब 20 किलोमीटर पहले एक चाय की दुकान पर फिर से नींद आने की वजह से लेट गया । यहां मै दो घंटे सोया । उसके बाद फिर से चल पडा और इसी तरह दिल्ली तक का सफर तय किया । बाद में पता चला कि जाट देवता भी अगले दिन घर ही आ गये थे ।
इस पूरे सफर की खास बात रही मेरी बाइक जो कि मैने अभी खरीदी थी हीरो की पैशन 100 सीसी । इससे पहले मेरे पास 125 सीसी की टीवीएस फलेम थी पर उसके कम एवरेज का दैनिक जीवन में नुकसान पडने के कारण मैने इस बार ये बाइक ली ।
गाजियबाद से 1800 किलोमीटर के इस सफर में मेरा करीब 3200 रूपये का पैट्रोल लगा । पहली रात सराहन में टैंट में , दूसरी सांगला में होटल में 300 रूपये जिसमें से मेरे हिस्से 100 रूपये आये , तीसरी रात ताबो में टैंट में , चौथी रात बातल में जिसमें 50 रूपये रूकने का चार्ज था , पांचवे दिन में दो घंटे के लिये 250 रूपये का होटल लिया
इस तरह 400 रूपये खर्च आया रूकने का , साथ ही खाने में भी करीब 500 से 700 रूपये के करीब खर्च आया । ज्यादातर सेब ही खाये जो कि 200 रूपये में 15 किलो के करीब थे
कुल मिलाकर मेरा खर्च था पांच रात और छह दिन वाले इस टूर के लिये 4500 रूपये जिसमें एक बडा हिस्सा बाइक में पैट्रोल का था 3200 रूपये का बाकी कोई और जानकारी चाहें तो बेहिचक कमेंट में पूछ सकते हैं
KINNAUR SPITI YATRA-
कुल्लू की शाम |
कुल्लू की शाम |
कुल्लू की शाम |
मंडी शहर रात में |
एक शानदार यात्रा का समापन हुआ। अगले साल लेह जाना।
ReplyDeleteMajedar
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