श्रीनगर में दिन भर भ्रमण करने के बाद जब हम होटल में पहुंचे तो वहां पर कई पर्यटक लहूलुहान दिखे । गाडियो के शीशे टूटे हुए थे और अफरातफरी का ...
श्रीनगर में दिन भर भ्रमण करने के बाद जब हम होटल में पहुंचे तो वहां पर कई पर्यटक लहूलुहान दिखे । गाडियो के शीशे टूटे हुए थे और अफरातफरी का माहौल था । अफवाहे चल रही थी । पर्यटक लोग होटल के रैस्टोरैंट में बैठकर चर्चा कर रहे थे ।
वहीं पर हमें पता चला कि आज जो लोग गुलमर्ग घूमने गये थे उनमें से कुछ पर्यटको की गाडी पर भी पत्थरबाजो ने पत्थर बरसा दिये । ये तो होशियार चालको की वजह से चोट कम लगी । आमतौर पर कश्मीर में ऐसा माना जाता है कि वहां पर कैसा भी हाल हो जाये पर पर्यटको को लोकल लोगो के अलावा अलगाववादी भी नुकसान नही पहुंचाना चाहते हैं । उसकी वजह ये है कि यहां का ज्यादातर व्यवसाय पर्यटन पर टिका है ।
फिलहाल तो हम खौफजदा हो गये थे । होटल वालो का कहना था कि अगर एक बार आप गुलमर्ग पहुंच गये तो कोई दिक्कत नही है । और गुलमर्ग कैसे पहुंचेगें ? उसका भी रास्ता उनके पास था । उनका कहना था कि गुलमर्ग अगर आप 8 बजे सुबह तक पहुंच गये तो कोई दिक्कत नही है क्योंकि पत्थरबाजी करने वाले लोकल युवा इस समय के बाद ही शुरू करते थे और रात को भी अंधेरे में आराम से सोते थे । अगर हम गुलमर्ग नही जाते तो हमें होटल के कमरे में ही पडे रहना था ।
इस जगह पर एक गलती जम्मू के ट्रैवल एजेंसी वाले की भी थी जिसने हमें इस बारे में पूछने पर झूठ आश्वस्त कर दिया था कि मेरी और भी गाडिया गयी हैं और वहां पर कोई दिक्कत नही है । हमने और कुछ और लोगो ने तय किया कि हम सुबह 5 बजे यहां से निकल चलेंगें । क्योंकि हम पैकेज टूर में थे इसलिये 2000 रूपये रोज खराब नही करना चाहते थे ।
अगली सुबह हम सवेरे 5 बजे ही चल दिये । सब कुछ शांत था और हम आठ बजे तक गुलमर्ग पहुंच भी गये । यहां पार्किंग में गाडी खडी करने के बाद हम घूमने के लिये चल दिये । उपर पहाड पर बर्फ दिख रही थी जहां तक जाने के लिये घोडे किये जा रहे थे । कुछ सौदेबाजी के बाद एक ग्रुप के साथ हम दोनेा ने भी घोडे कर लिये । करीब आधे घंटे के सफर के बाद पहाड की एक जमी हुई बर्फ के करीब ले जाकर उन घोडे वालो ने हमें छोड दिया । यहां पर लोग गंदी हो चुकी बर्फ को देखकर ही पागल हुए जा रहे थे । मौसम मौसम का फर्क है । सर्दियो में हर जगह बर्फ को देखकर ही पागल हो जाते हैं ।
यहां पर दो घंटे तक मस्ती की । बर्फ पर फिसलने के लिये लकडी की स्लेज बना रखी हैं । जिनमें हिम्मत थी वो थोडी दूर और उपर तक बर्फ पर चढकर चले गये । यहां का रोप वे बंद था उन दिनो । वापसी आने में एक घंटा और लगा और उसके बाद हमने गुलमर्ग के मुख्य स्टाप पर खाना वगैरा खाया । खाना खाकर हमने ड्राइवर से पूछा कि चलने का क्या कार्यक्रम है तो उसने बताया कि अभी रास्ता पुलिस ने बंद कर रखा है और जब वे कहेंगें तभी चलेंगे ।
दिन के बारह बजे से शाम के 6 बजे तक हमने कैसे समय काटा हमें ही पता है । शाम के 6 बजे रास्ता खोला गया तो सौ के करीब गाडियां लाइन में चल पडी । गुलमर्ग से श्रीनगर करीब 50 किलोमीटर है । अंधेरे का समय था और श्रीनगर से दस किलोमीटर पहले फिर से गाडियां रूक गयी । पता चला आगे पत्थर बाजी हो रही है । सबने लाइटे बंद कर ली गाडियो की । हमने अपने सिर शीशे के नीचे कर लिये । सच पूछो तो हम खौफ में थे । यहां पर लोकल गांव था और लोग अपने घरो के आगे खडे थे । पता नही कब कहां से पत्थर आये और हमें घायल कर दे
एक घंटा टेंशन में गुजरा और उसके बाद एक आर्मी का बख्तरबंद वाहन आया और पन्द्रह मिनट बाद सब क्लीयर था । सब दुम दबा कर भाग गये थे । उसके बाद हमारी गाडी चली तो हमने ड्राइवर को बोल दिया कि हमें आज रात श्रीनगर में नही रूकना है । हमें आज रात का होटल पैकेज में मिलना था पर हमने वो छोड दिया था । हमने सीधे जम्मू चलने का फैसला लिया । रात में 300 किलोमीटर का ये सफर काफी लम्बा था और सुबह कुंड में पहुंचते पहुंचते ड्राइवर को नींद आने लगी थी । मैने ड्राइवर से कहा कि अब गाडी मै चलाउंगा । मै रूकना नही चाहता था । जम्मू तक गाडी मैने ड्राइव की और ड्राइवर सोया । उसके बाद जम्मू पहुंचकर ही हमने सांस लिया ।
ये सफर हमारे लिये खतरनाक था और यादगार भी । कुछ सीख भी मिली इस सफर से कि ट्रैवल एजेंसी वाले की किसी भी बात पर यकीन मत करो । सबसे पहले गाडी के कागज चैक करो । सारी बाते लिखित में लो तब पेमेंट करो ।
उफ्फ बाल बाल बचे,देख आए कश्मीर के लोगो का असली चेहरा, अगर आर्मी ना हो तो ये कब के पाकिस्तान मे मिल जाते.
ReplyDelete2006 में गए थे बहुत मजा आया था , अब तो फ़ोटो भी नहीं बचा !
ReplyDeleteरोमांचक यात्रा
ReplyDeleteomg..what an adventurous journey!!
ReplyDeleteइस तरह तो ये लोग अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी चलाते रहेंगे।
ReplyDeletewooo.. sounds very adventurous :)
ReplyDeleteरोमांचक अनुभवों से लबरेज़ शानदार यात्रा विवरण...
ReplyDeleteThat makes it two of us. I too have had similar experience on the Srinagar Gulmarg route, the windscreen of the car broke, though I was not hurt.
ReplyDeletelast year jaty hue humari gadi ko bhed ne gher liya tha or apni launge mai pata nhi kya kya bak rahy thy or gulmarg k horse waly bhi bahut harami aadmi hai
ReplyDeletemai to election karakar aaya tha vaha2008 mai bada bura haal tha tab
ReplyDeletelast year jaty hue humari gadi ko bhed ne gher liya tha or apni launge mai pata nhi kya kya bak rahy thy or gulmarg k horse waly bhi bahut harami aadmi hai
ReplyDeleteI like kasmiri m two month Kashmir me rha tha papa ke sath papa crpf me h isliye garmi ke mosam me two month rhake aya tha log
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