नन्दन कानन चिडियाघर उडीसा के भुवनेश्वर मे स्थित है । मुख्य शहर से करीब बीस किलोमीटर दूर ये काफी बडा वन्य प्राणी उदयान है । यहां की खास बात...
नन्दन कानन चिडियाघर उडीसा के भुवनेश्वर मे स्थित है । मुख्य शहर से करीब बीस किलोमीटर दूर ये काफी बडा वन्य प्राणी उदयान है । यहां की खास बात है सफेद शेर । वैसे तो यहां पर सभी तरह के प्राणी हैं जो आमतौर पर चिडियाघरो में होते हैं पर ये प्रसिद्ध है सफेद शेरो के लिये ही
हम यहां पर पहुंचे तो आटो वाले ने अपना आटो पार्किंग में लगा दिया और अपना फोन नम्बर हमें दे दिया कि अब ये आपका लास्ट सीन प्वांइट है और यहां पर आपको दो से तीन घंटे तो लगेंगे ही उसके बाद मै आपको रेलवे स्टेशन छोड दूंगा तो आप आराम से घूमो और बाहर आकर मुझे फोन करो । हम अंदर पहुंचे तो शायद चालीस रूपये का टिकट था प्रति व्यक्ति चिडियाघर के लिये और पन्द्रह रूपये का टिकट सफेद शेर वाली लायन सफारी के लिये । एक दूसरी लायन सफारी भी थी उसके लिये भी दस या पन्द्रह रूपये का ही टिकट था । हमने यहां सारे टिकट लेकर अन्दर एकतरफा घूमना शुरू कर दिया
सबसे पहले उल्टे हाथ से ही हम हो लिये । हमने ना कोई निर्देशिका पढी ना रास्ते देखे क्योंकि इतना एक तो समय नही था उपर से गर्मी इतनी पड रही थी कि पूछो मत । ऐसी गर्मी में इतने बडे उपवन में पैदल घूमना बडी मुश्किल बात थी । वैसे यहां बैट्री वाले रिक्शा भी थे जो हमें बाद में पता चला । फिर इसलिये नही लिये कि अब तो काफी दूर आ गये हैं फिर से वापस जाना पडेगा मेन गेट पर ।
घुसते ही सबसे पहले ही जंगल के राजा से आमना सामना हुआ पर ये क्या ? जंगल का राजा भी हमारी तरह गर्मी का मारा हुआ नजर आ रहा था । उसके अगले दो तीन बाडे भी शेरो के ही थे पर सब के सब गर्मी के मारे दुम दबाकर किसी पेड के नीचे दुबके पडे थे । एक तो कैमरा इतना बढिया जूम वाला नही था उपर से शेर महाराज पास को नही आ रहे थे इसलिये हमने भी उनको ज्यादा तवज्जो नही दी ।
आगे जाकर हाथियो की सैरगाह थी । वे भी गर्मी में शेड के नीचे खडे तडप् रहे थे और हमें देखकर हंस रहे थे कि ये देखो ये पागल गर्मी में भी भटक रहे हैं । अब हमने तेजी से डाग मारी और उस चौराहे पर पहुंचे जहां से लायन सफारी की गाडी मिलती है । यहां पर लाइन में लगना तो पडा पर गाडी बढिया थी । एक गेट के अंदर सुरक्षित तरीके से गाडी ने प्रवेश किया अब जंगल में शेर थे या गाडी में हम ।
कई जगह ढूंढने के बाद दूसरी वापस आती गाडी के ड्राइवर ने हमारे वाले को जगह बतायी तो हमारा ड्राइवर वहां पर पहुंचा । यहां भी गर्मी के मारे सब दुबके पडे थे और पहले तो हमें दिखायी भी नही दिया कि हैं कहां को ? एक वजह ये भी थी कि हमारी साइड में ना होकर शेर दूसरी साइड में थे तो उधर वाली साइड के सब लोग अपनी सीटो पर खडे हो गये । ऐसे में दिखना ही मुश्किल है फोटो खींचने की तो सोचना बहुत दूर की बात है ।
मात्र पांच मिनट के लिये ड्राइवर ने हमें वहां पर रोके रखा और लायन सफारी खत्म । अरे इससे अच्छी तो हमने सिलवासा में देखी थी जिसमें पूरे पार्क में केवल एक ही शेरनी थी और एक हम । उसने भी हमें जी भरकर देखा और पोज दिये थे । हमने भी खूब लाइन मारी थी । मुझे नन्दन कानन की सफारी में मजा नही आया । उसके बाद बस ने हमें वहीं ला पटका । सीधे हाथ पर आमतौर पर चिडियाघरो की तरह मगरमच्छ , अजगर , सांप , कछुए आदि की प्रर्दशनी लगी थी । टिकट लिया था तो उन्हे भी देखा पर दिल्ली के चिडियाघर से कुछ अलग नजर नही आया ।
नन्दन कानन से बाहर आने के बाद हमने आटो वाले को फोन किया तो वो आटो लेकर आ गया । उसने तो ढाई घंटे अपनी नींद निकाली थी और हम गर्मी में सड गये थे । फिर भी हमने उससे बहस करी कि यार तुमने कुछ खास नही दिखाया तो वो बोला कि मै आपको एक मंदिर और दिखाता हूं ।
वो हमें श्रीराम मंदिर पर ले गया जो कि नया ही बना हुआ था और काफी सुंदर और शांत था । यहां पर हमें अच्छा लगा और हम कुछ देर बैठे । इसके अलावा यहां पर पीने के लिये ठंडे पानी का कूलर लगा था हमने खूब पानी पिया और अपनी बोतलो में भी भर लिया । इसके बाद हम लोग रेलवे स्टेशन पहुंचे जहां पर रात को हमारी ट्रेन थी कोलकाता के लिये ।
तो कल मै आपको मिलूंगा हावडा स्टेशन पर सुबह सात बजे । ठीक है याद रखना कभी सोते ही रह जाओ
गर्मी मे जानवरो का भी बुरा हाल है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (31-01-2014) को "कैसे नवअंकुर उपजाऊँ..?" (चर्चा मंच-1508) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रस्तुति को आज की राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 66 वीं पुण्यतिथि और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteबहूत सुन्दर चित्र !
ReplyDeleteसियासत “आप” की !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
A wonderful place with White Tigers & other wild animals. You have shared it nicely with so many pics & details. Sharing it now :)
ReplyDeleteWould request U to pl have the right spellings in the tags in your subsequent Posts. It is Odisha & Bhubaneswar/Bhubaneshwar . ThankYou :)
ReplyDeleteyes , i will , Thnx
Deleteप्रकृति के सभी अंगों के बीच बैठना कितना अच्छा लगता है।
ReplyDeleteबहोत ही ज्यादा मजा आया ये पोस्ट को पड़ कर.
ReplyDeleteManu Bhai,
ReplyDeleteJune men Odisha kyon pahunch gaye? Garmi se bura hal to hona hi tha. Vaise is shrankhala ko padhne men badaa anand aa raha hai.
Mukesh