लाचुंग से कुछ पहले एक और फाल आया इसका नाम बताया हमारे ड्राइवर ने अमिताभ फाल । इसकी उंचाई देखकर इसका यही नाम रखा है । इतनी उंचाई से ये सीधा ...
लाचुंग से कुछ पहले एक और फाल आया इसका नाम बताया हमारे ड्राइवर ने अमिताभ फाल । इसकी उंचाई देखकर इसका यही नाम रखा है । इतनी उंचाई से ये सीधा सडक पर ही गिरता है । गाडी का भीगना तो तय है इसलिये गाडी से नीचे उतरकर पहाड की बराबर में से निकल लो ।
लाचुंग से पहले का अंतिम फाल आया तो उसके बाद खतरनाक रास्ता शुरू हो गया । सांसे अटक जायें ऐसा रास्ता । दो जगह तो गाडी से उतरना पडा सभी सवारियो को । उसके बाद भी ड्राइवर की जान मुझे तो हथेली पर रखी दिखायी दी । एक पहिया तो ऐसी ढांग पर था कि पत्थर गिरने लगे थे । हम लोग गाडी से उतरने के बाद आगे जाकर देखने लगते थे । कई सडककर्मी भी सहायता कराते थे तब जाकर गाडी निकलती थी ।
उसके बाद तो ऐसे ऐसे मोड और घाटी आयी कि सुंदरता से गाडी में बैठी औरतो को डर लगने लगा ।
लाचुंग में आकर यूमथांग वैल्ली को जाने वाले रास्ते पर होटल था जिसमें हमें रूकना था । नाम था वुडन काटेज । नाम के अनुरूप लकडी का ही बना था । किंग साइज बैड थे और वो भी एक कमरे में 3 । ज्यादा बडा होटल नही था और आज हमारे सिवा कोई नही था । इसलिये सारे होटल में हम ही था चार कमरे हमारे लिये बुक थे । रात को हमारे पहुंचने के आधे घंटे बाद ही खाने के लिये बुलावा आ गया ।
जब हम लाचुंग पहुंचे अंधेरा बस होने ही वाला था । एक दो फोटो ही खींच पाये थे कि अंधेरा पीछे से आ गया । साथ में हल्की हल्की बारिश की बूंदे भी थी ।
यहां पर ड्राइवर आपस में एक दूसरे की खूब मदद करते हैं । रास्ते में आते हुए हमारी गाडी के पहिये में हवा कम थी तो दूसरी गाडी के ड्राइवर ने पहिया बदलवाने में मदद की तब तक दोनो गाडियो की सवारी फोटो खींचने में लगे रहे ।
जिस जगह पर हम थे वहां पर पहाडो की उंचाई बहुत थी । इतनी कि अगर उपर की चोटी तक देखो तो टोपी भी गिर जाये । काश किसी ने ऐसा कैमरा बनाया होता जो सब कुछ अपने अंदर कैद कर पाता । वैसे भी इस यात्रा में आने तक तो मै केवल 5 मेगापिक्सल का बेसिक और साधारण कैमरा ही यूज करता था और वो जब इस यात्रा में खो गया तब भी दस मेगापिक्सल का कैमरा ही लिया बस
दोस्तो इस यात्रा में मेरा कैमरा जिसके फोटो अब तक आप देख रहे थे लाचुंग में रूकने के तीसरे दिन यानि आज से दो दिन बाद खो गया । कैमरा शिलांग में खोया था इसलिये उसके खोने का किस्सा भी शिलांग की यात्रा में ही बताउंगा । फिर ये फोटो जो आप देख रहे हैं ये कैसे आये ? कैमरे के साथ 4 जीबी की चिप आई थी । एक चिप मैने एक्स्ट्रा ले रखी थी । लाचुंग में इस समय मेरी चिप भरने वाली थी तो मैने इसे निकाल लिया और नयी चिप डाल दी ।
यही कारण रहा कि इस यात्रा के पुरी से लेकर कोलकाता और लाचुंग तक के फोटो जो कि एक हजार के करीब थे और वीडियो बच गये । लेकिन अगले दिन यूमथांग वैल्ली और गंगटोक भ्रमण के साथ साथ दार्जिलिंग भ्रमण के फोटो उस चिप में चले गये ।
हमारे साथ हरियाणा वाले भी कैमरा लिये थे पर उन्होने तो हजारो फोटोज में तीस फोटो ही ऐसे खींचे जिन्हे मै ले सकता था आपको दिखाने के लिये । बाकी सारे फोटो अपने चेहरे के अलावा कुछ नही । उन्होने फोटो दे भी दिये पर मेरे कितने काम आये ये आप आगे देख कर पता लगा लोगे ।
तो अगली पोस्टो में फोटोज की संख्या कम रहेगी जब तक हम शिलांग नही पहुंच जाते और वहां से कैमरा नया खरीदकर शिलांग , चेरापूंजी और गुवाहटी आपको घुमा देंगें ।
हे भगवान, इतनी खतरनाक रोड हैं। काश इन्हें पक्का करा दे सरकार।
ReplyDeleteसभी तस्वीरें भी सुंदर है, लेकिन उतना ही डरावने हैं. ..
ReplyDeleteI was trying to use google translator but the transkation was not making sense. The best past of all your posts is the fun/sarcastic comments you add.
वाकई जान हथेली पर रखकर ही ऐसी जगह से गुजरा जा सकता है.
ReplyDeleteसुन्दर स्थान परन्तु रास्ते भयावह !
भयंकर रास्ते हैं .. वाकई हिम्मत वाले ही इन रास्तो का सफ़र कर पाते हैं ...
ReplyDeleteरोमांचक मार्ग, बाइक यात्रा में और मजा आता।
ReplyDeleteThese roads are looking really dangerous. It must be feeling very adventurous while passing by these roads.
ReplyDelete:happy: Thnx To all
ReplyDeleteरोमांचक यात्रा.....
ReplyDeleteAmazing place to go...perfect for a high adrenaline rush :)
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