नौ बजे के करीब हम वापिस चले और दस बजे तक लाचुंग आ गये । इसके बाद हमने खाना खाया । आज भी रोटी नही मिली । वही चावल खाकर ही गुजारा करना पडा । ...
नौ बजे के करीब हम वापिस चले और दस बजे तक लाचुंग आ गये । इसके बाद हमने खाना खाया । आज भी रोटी नही मिली । वही चावल खाकर ही गुजारा करना पडा । खाना खाकर हम आस पास में घूमने निकल पडे । पास में ही आर्मी का मंदिर था । मंदिर में डरते डरते से घुसे । वहां पर आर्मी वाले ही पुजारी थे जिन्होने बताया कि पिछले वर्ष आये भूकम्प में जब यहां बहुत कुछ तबाह हो गया तब भी इस मंदिर का बाल बांका तक नही हुआ ।
मंदिर के पुजारी एम पी जबलपुर के थे । बाबा हरभजन की फोटो यहां पर भी देवी देवताओ के साथ रखी थी । बाबा हरभजन पर चर्चा चल पडी तो उन्होने बताया कि बाबाजी 56 साल की उम्र में रिटायर हो गये तो आर्मी ने उन्हे अब बीआरओ में पोस्टिंग दे रखी है । बाबा ने कहा है कि जब तक मेरा शरीर है तब तक मै सेवा करूंगा और जिस उम्र में मेरा शरीर जाता उसी उम्र में मै भी चला जाउंगा क्योंकि बाबाजी की अकाल मृत्यु हुई थी
पुजारी जी ने बताया कि भूकम्प का केन्द्र इन्ही पहाडियो में था और भूकम्प में एक बहुत बडी चटटान गिरी उपर पहाड से पर इस शिवलिंग तक पहुंचकर चमत्कारिक ढंग से रूक गयी । बाकी आस पास में काफी कुछ तबाह हो गया ।
आज का पूरा दिन भी सफर में ही जाना था । इस बार डिकचू के रास्ते वापस आ रहे थे और ये रास्ता पेडो से भरा था । औरतो में ज्यादातर थकी थी इसलिये इस बार सब सोने में लगे रहे ।
यहां की गाडियो में एक खास बात होती है कि हर रूट पर चलने वाली गाडियां तो अलग होती ही हैं साथ ही ड्राइवर भी उसी रूट का होता है । हमारा ड्राइवर भी लाचूंग के पास के गांव का था और रात को अपने घर चला गया था ।
इस बार हमारी गाडी का ड्राइवर ज्यादा बढिया नही था । एक तो वो सिगरेट बहुत पीता था और बार बार चाय पीने के लिये रोक देता । और तो और हमारी टोकाटाकी से परेशान होने पर उसने रास्ते में मिली एक जानकार गाडी ही बदल ली । वो उसे चलाने लगा और उसका ड्राइवर हमारी गाडी में आ गया ।
डिकचू में भी वाटर फाल आया ब्रिज के पास पर हम वाटर फाल देखकर थक चुके थे । यहां तो थोक के भाव मौहल्ले गैल वाटरफाल थे कहां तक देखें उतर उतर कर भाई तू चलता रह ।
गाडी ने हमे वजारा स्टैंड पहुंचा दिया । यहां से हमने टैक्सी की और वापस उसी टयूलिप होटल में आ गये । फोंन पर पहले ही बात कर ली थी होटल वाले से । ज्यादा सिर खपाने से क्या फायदा । आज चार कमरे भी मिल रहे थे पर तीन ही लिये । मैने और मा0जी ने अलग अलग लिये जबकि हरियाणा वालो ने एक कमरा ही रखा । तो कमरा ढूंढने के समय को बचाकर हमने उसे एम जी रोड पर इस्तेमाल करने का निश्चय किया और उसके बाद हम फिर से एम जी रोड पहुंच गये ।
आज तो खाना भी यहीं पर खाना था इसलिये यहां पर होटल देखना शुरू किया । यहां मेन रोड से करीब दस सीढी नीचे मारवाडी भोजनालय है उसके पास बढिया खाना मिलता है । आज खाना वहीं पर खाया । यहां पर एक थाली 70 रूपये की थी जिसमें रोटी भी थी । बाकी सामान तो था ही । खाना खाकर हम काफी देर तक एम जी रोड पर ही घूमे उसके बाद वापस एक सैंट्रो और एक स्पार्क गाडी पकडकर अपने होटल चले आये । कल का दिन यानि 12 जून को हमें गंगटोक का स्थानीय टूर करना था । इसलिये आराम से सो गये ।
NORTH EAST TOUR-
चमत्कारी , आस्थावान शिवलिंग |
भाई फोटो गजब की आ रही है बहुत हरियाली है वहा पर
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