Mirik lake , Darjeeling , west bangal दार्जिलिंग में सुबह सवेरे जब हम टाइगर हिल पर पहुंचे तो वहां पर हमें कंचनजंगा का नजारा तो देखने को ...
Mirik lake , Darjeeling , west bangal |
दार्जिलिंग में सुबह सवेरे जब हम टाइगर हिल पर पहुंचे तो वहां पर हमें कंचनजंगा का नजारा तो देखने को नही मिला पर और कई रोचक बाते देखने को मिली जैसे सुबह के 4 बजे जब हम टाइगर हिल जा रहे थे तो रास्ते में कई जगह औरते मिली जो कि गाडियो को हाथ भी दे देती थी । हमारी गाडी तो फुल थी लेकिन और गाडी वाले उन्हे बिठा भी लेते थे
ये देखकर एक बात पता चली कि यहां पर औरतो को खुली छूट है काम करने की और उन्हे स्वतंत्रता है । उन्हे सुबह के 4 बजे हो या रात के 12 बजे किसी भी सडक पर कोई दिक्कत नही है । यहां पर औरतो की इज्जत है । इस बात का पता चला जब हमारे ड्राइवर के सामने हिसार वालो ने पता नही किस बात पर बाबा राम रहीम बरनावा वालो की बात छेड दी । वो तो गुस्से से लाल हो गया । हमने कारण पूछा तो बोला कि वो बाबा यहां पर 100 गाडियो का काफिला लेकर आया था । यहां पर जमीन खरीदी और आश्रम बनाना चाहा । यहां तक भी सब ठीक था । हालांकि दार्जिलिंग में उसकी वजह से जाम लग गया पर हम फिर भी बर्दाश्त कर लेते लेकिन उसने यहां आकर प्रवचन दिया और उस प्रवचन में हमारी मां बहनो को बोला कि जो जो विधवा है या अकेली है वो हमारे आश्रम में रहे हम उसको खाना देंगे रहने को देंगें । बस इसी बात पर उसका गुस्सा था
वो हमारी मां बहनो को क्यों रखेगा ? हम उसकी भीख क्यों लेंगें ? वो गोरखा बताने लगा कि यहां पर जो औरते दिख रही हैं वे सब चलती फिरती दुकान हैं । उन सबके पास एक लम्बी सी चाय गर्म रखने वाली केतली थी और एक हाथ में प्लास्टिक के कप । दस रूपये कप के हिसाब से हजारो लोगो में चाय बांटकर अपने घर आती हैं और उसके बाद बच्चो को स्कूल छोडकर आती हैं । इतनी मेहनती हैं औरते यहां की तो वो क्यों किसी के रहमोकरम पर जीने लगी ।
उसी गोरखा ने बताया कि दार्जिलिंग में ट्रिपल टी है यानि टिम्बर , टी और टूरिज्म । इसी की वजह से प.बंगाल इसे अलग नही करना चाहता पर जितना पैसा यहां से आता है उतना यहां पर लगाया नही जाता इसी से यहां के लोगो में गुस्सा है । एक दूसरा गुस्से का कारण है कि यहां पर बिल्डर तो बहुत आ गये और इस छोटे से कस्बे को सिटी बना दिया पर रास्ते नही बनाये । जमाना बदल गया पर नये रास्ते नही बने इसलिये जरा जरा सी देर में ही जाम लग जाता है । पार्किंग भी नही बनायी गयी हैं ।
यहां की चाय बहुत प्रसिद्ध है पूरे विश्व में । यहां दस हजार रूपये किलो तक की चाय है जो कि केवल निर्यात होती है क्योंकि विदेशी क्वालिटी देखते हैं पैसा नही ।
एक बात और देखी मैने कि उस गोरखा की गाडी में दलाई लामा की भी तस्वीर थी तो साथ ही वैष्णो देवी और गणेश जी की भी । यहां पर पर्यटको की वजह से ऐसा है या किसी और वजह से ये कह नही सकता पर यहां कें लोगो में आत्म सम्मान बहुत है ऐसा मैने देखा । साथ ही यहां पर समाज का बहुत बडा रोल है । एक दूसरे की मदद करते हैं ।
जब हमने चाय वाले प्वाइंट पर घूमने गये तो यहां पर हर गाडी वाले की अपनी दुकान है । ठीक सिक्किम की तरह । हमारे साथी मा0 जी और हिसार वालो ने कई कई किलो चाय खरीदी थी । जो चाय वहां पर बनाकर पिलायी जा रही थी वैसी चाय होटल के कमरे में आकर नही बनी । क्योंकि हिसार वाले अपनी बिजली वाली केतली लिये हुए थे ।
इस बीच घर पर फोन किया तो पता चला कि वहां पर तो लू चल रही है । उफ कोलकाता वाली लू से तो हम भी परेशान थे । ईश्वर करे यहीं पर एक बंगला बन जाये हमेशा के लिये । दार्जिलिंग में भी मोटरसाईकिलो में बुलेट और बजाज एवेंजर ज्यादा पसंद है लोगो को ।
तो आज हमें जाना था दार्जिलिंग से एनजेपी और वो भी रास्ते में मिरिक लेक और पशुपति नगर होते हुए । ये पूरा का पूरा रास्ता चाय के बागानो से भरा हुआ है । सच कहूं तो ये बहुत सुंदर रास्ता है । रास्ते में सबसे पहले पशुपति नगर पडा । यहां पर नेपाल का बार्डर है । हमने इस तरह से नेपाल जाना सोचा भी नही था । यहां पर गाडी वाले ने गाडी एक साइड खडी करके हमें बताया कि आप यहां से पैदल बार्डर पार करके नेपाल में चले जाओ और डेढ घ्ंटे में वापस आ जाना ।
हमने बार्डर पार किया तो यहां पर मौजूद पुलिसवालो ने हमारी एंट्री की । उसके बाद यहां पर मौजूद मारूति वैन वालो ने 30 रूपये प्रति आदमी लिया और एक किलोमीटर की दूरी पर मौजूद पशुपति नगर के बाजार में ले जाकर छोड दिया । ये एक छोटा सा कस्बा है जो कि बार्डर पर होने की वजह से मशहूर हो गया है । भारत के लोगो को यहां पर कस्टम फ्री शापिंग करने को मिल जाती है । हम जब गये तो हल्की हल्की बारिश पड रही थी इसलिये हमें छतरी खरीदनी पडी । वैसे सामान काफी सस्ते थे खासतौर पर बैग और महिलाओ के सौंदर्य प्रसाधन के सामान
जिस वैन से गये थे वहीं हमारा इंतजार करता मिला और हम दो घ्ंटे में बाजार में घूमकर वापस आ गये । अपनी गाडी में बैठे और इस बार मिरिक पहुंच गये । ये भी एक छोटा सा गांव जैसा ही है जो कि अपने बीच में मौजूद झील की वजह से प्रसिद्ध है । झील काफी बडी है और झील के किनारे पर कई ओर लम्बे लम्बे पेडो के साथ ही एक पथ बना है जिस पर घुडसवारी कर सकते हैं । यहीं पर झील के बीच में एक पुल बनाया गया है उस पर खडे होकर पूरी झील का नजारा देखा जा सकता है । झील में बोटिंग भी होती है ।
हमें यहां पर भी डेढ घंटा घूमने के लिये मिला था । यहां गाडी की पर्ची तो काटने के लिये नगर पंचायत के लोग बहुत जल्दी आ गये थे पर टायलेट के लिये काफी देर तक पता किया तो पता चला कि यहां पर प्रशासन की तरफ से कोई टायलेट नही है ।
3 बजे हम एनजेपी पहुंच गये । यहां पर गर्मी काफी ज्यादा थी । ऐसी ठंडी जगहो से आकर अब इतनी गर्मी बर्दाश्त नही हो पा रही थी । ट्रेन आने में अभी काफी समय था इसलिये स्टेशन पर ही समय बिताना था । ट्रेन चलने से पहले हमने खाना वगैरा खा लिया था । ट्रेन आने के ठीक पन्द्रह मिनट पहले अचानक ट्रेन का प्लेटफार्म बदलने की घोषणा हुई । प्लेटफार्म पर भगदड मच गयी । क्या ऐसी बदइंतजामी जरूरी है जिसमें लोगो को कुचलने की नौबत आ जाये । मै तो इसीलिये ट्रेन का सफर ज्यादा पसंद नही करता ।
रात के 12 बजे से ही बाढ आ गयी । कैसे ? कल बताउंगा
NORTH EAST TOUR-
हिसार वाले अंकल आंटी |
मिरिक लेक पर |
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रास्ते में चाय बागान |
ये भी गांव का नाम है , दूधिया |
हर स्थान के सामाजिक ताने बाने को आदर देना चाहिये। वे हमसे अधिक सभ्य हैं, वहाँ महिलाओं की इज्जत है।
ReplyDeleteभाई आपकी यह पोस्ट पढकर अच्छा लगा,
ReplyDeleteड्राईवर की बाते भी ठीक लगी,ओर ज्यादातर चाय वाले धोखे से चाय पत्ती बेचते है
बहुत बढ़िया पोस्ट....
ReplyDeleteDarjeeling mera janamsthan hai .......tab mere father wahn posted the....bahuth badiya
ReplyDeleteIn my school days, I heard of Darjeeling which is a beautiful place.....Had a wonderful read :)
ReplyDeleteरोचक वर्णन और सुन्दर चित्र
ReplyDeleteजानकारीपूर्ण यात्रा वर्णन
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