Njp Station सुबह कुछ देर से सही पर हमारी गाडी ने हमें न्यूजलपाई गुडी स्टेशन यानि एनजेपी पर उतार दिया । तो अब तक जो हम लोग चार प्राणी ओडि...
Njp Station |
सुबह कुछ देर से सही पर हमारी गाडी ने हमें न्यूजलपाई गुडी स्टेशन यानि एनजेपी पर उतार दिया । तो अब तक जो हम लोग चार प्राणी ओडिशा में पुरी, चिलका , भुवनेश्वर और पश्चिम बंगाल में कोलकाता घनघोर गर्मी में घूमकर आ चुके थे अब हम दुगुने से ज्यादा होने वाले थे । हमारे साथ गंगासागर की यात्रा में गये हरियाणा के हिसार के रहने वाले मनीराम और उनकी पत्नी के अलावा उनकी बहू व लडकी और उनकी लडकी की पत्नी यानि पांच प्राणी और मिलने वाले थे ।
पहले तो फोन पर बात होती रही । गाडी उनकी भी सुबह को ही थी और हमारी भी । वे हमसे करीब आधा घंटा पहले पहुंच गये थे और स्टेशन के बाहर निकलकर इंतजार कर रहे थे । स्टेशन से बाहर जाने के लिये भी एक एफओबी बना है । एक क्या दो हैं शायद । उसके पार जाकर एक चौक पर एक इंजन रखा है शायद उसमें कभी कभी आवाज करके दिखाते होंगे कि पुराने भाप के इंजन कैसे चलते हैं ।
जब एक साथ मिलना हुआ तो सबसे पहले हमने नहाने धोने की सोची । हम जिस सडी गर्मी से आ रहे थे हरियाणा वालो ने वो तो नही झेली थी क्योंकि वे सीधे दिल्ली होकर आ रहे थे । कोलकाता की गर्मी का उससे कोई मुकाबला ही नही था । वैसे यहां एनजेपी स्टेशन पर गर्मी कुछ कम थी । यहीं पर एक स्नानागार मिल गये जिसमें सब नहा लिये । उसके बाद यहीं पर मौजूद दुकानो में से एक पर खाना खाया गया परांठो के रूप में । एनजेपी स्टेशन पर जहां देखो गाडियो की ही लाइन थी और गाडियो के पार टूर आपरेटरो की दुकानो की ।
अब तक की घुमक्कडी में पहली बार ऐसा हो रहा था कि हमने सारा टूर पहले ही प्लान कर लेना था । अब तक तो मै अपनी मर्जी और अपने हिसाब से ही घूमना पसंद करता था और बंधना मुझे पसंद नही था पर इस बार एक तो परिवार की वजह से और कुछ ज्यादा आदमियो के हो जाने की वजह से हमने एक बात तय कर ली थी कि हम गाडी का टूर बुक कर लेंगे एडवांस में ही । बाकी होटल वगैरा हम अपने हिसाब से ही करेंगे । आज का दिन हमारा रिजर्व सा ही था क्योंकि आज हमें टूर आपरेटर फाइनल करके उसके बाद शाम तक गंगटोक पहुंचना था ।
तो पहले आपको बताता हूं कि एक बार ये पता चल जाने पर कि हमें गाडी की तलाश है कई लोग पीछे लग गये । हमारे पास दिनो की संख्या और अपने संभावित घूमने के स्थान थे जिसमें गंगटोक सिटी टूर , यूमथांग , लाचुंग , नाथूला , बाबा हरभजन मंदिर , गुरूडोंगमार लेक , दार्जिलिंग ,सिक्किम में करना था । उसके बाद हमें मेंघालय घूमने जाना था और सबसे बाद में असम के गुवाहटी में घूमकर गुवाहटी से ही वापसी दिल्ली की ट्रेन पकडनी थी ।
यहां मै आपको बता दूं कि हमने जो किया वो आप मत करना । यहां से कोई भी गाडी पकडो और सीधे गंगटोक जाओ वहां से हर जगह के लिये गाडी करते रहो । क्योंकि हमने जिस टूर आपरेटर से सारा टूर बुक किया कई आपरेटरो पर फाइनल करने के बाद हमारा लगभग 35 हजार में तय हुआ । ये सबसे बढिया और सस्ता लग रहा था पर जैसे ही टूर फाइनल हुआ उसने हमें जगह जगह के लिफाफे बना कर दे दिये । हर लिफाफे में वहां के कांटेक्ट का नाम और फोन नम्बर लिखा था । हमें उस जगह पर जाकर उनसे कांटेक्ट करना था और वो हमें सब कुछ उपलब्ध करायेगा । उसने हमारे सामने ही सात हजार रूपये अपने रखकर बाकी रूपयो को लिफाफो के हिसाब से देने के लिये कह दिया था ।
कायदें में यही वे रेट थे जो वहां पर हमें भी मिलते । सात हजार तो हमने बात करने के ही दे दिये थे और हम अपने आप को होशियार मान रहे थे कि हमने तीन घंटे तके खोजबीन और झिक झिक करने के बाद सबसे सस्ता आपरेटर चुना था । एक बात और आज के दिन में हमने तय किया था कि आज हम गंगटोक कलिम्पोंग होते हुए जायेंगे पर उस बंदे ने सबसे पहले उसे ही कट किया । कारण वही कि अब ज्यादा देर हो चुकी है और कलिम्पोंग जाने के लिये काफी समय लगेगा क्योंकि वो काफी हटकर है तो सबसे पहले तो उसने सस्ते का निचोड निकाल लिया था ।
दो और कट मारे थे उसने एक गुरूडोंगमार लेक का और एक नाथूला दर्रे का । दोनो रास्ता खराब होने के कारण मना हो गये थे । हालांकि एक की पूर्ति हमने करली मिरिक लेक को बढवाकर और दूसरे की पूर्ति की नेपाल जाकर पशुपति नगर से
तो सिक्किम पहली बार जाकर ऐसा लुटने का अहसास हुआ कि पूछो मत वो आपको आगे बताउंगा कैसे -करीब 12 बजे हम सिलीगुडी से चले थे । रास्ते में हमारे आगे एक गाडी जा रही थी जिसमें सामान लदा था । साथ ही एक आदमी भी लदा था । पता नही लदा था या लादा गया था पर बेचारे की पोजीशन बदलती रहती थी । काफी दूर तक हमने उसको देखकर आनंद लिया । वो चाहता तो गाडी के उपर बैठ जाता तो भी इससे ठीक रहता या फिर वा सो रहा था
NORTH EAST TOUR-
jalpaigudi |
ये लो जी देखी है आपने ऐसी सवारी |
अब दूसरी कंडीशन में |
जहां हम चाय पीने रूके वहां से ये उपर की ओर जा रही थी |
सडक बनने के कारण ब्रेक |
बड़ी लम्बी यात्रा चुनी है, वह भी एक बार में।
ReplyDeleteWow! Interesting blog post ! Kitna ghoome ho aap yaar? Looks like u r on DESH BHRAMAN :-) Keep up the spirit!
ReplyDeleteसुन्दर जगह हे यह भी,हरियाली चारो ओर फैली है
ReplyDeleteओर दूसरी बात कुछ गलती कर दी है आपने इस लेख मे उसे ठीक करे गलती यह है पढे....
(मनीराम और उनकी पत्नी के अलावा उनकी बहू व लडकी और उनकी लडकी की पत्नी यानि पांच प्राणी और मिलने वाले थे ।)
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी इस प्रस्तुति को आज की कड़ियाँ और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
ReplyDeleteशानदार जगह दिख रही है।
ReplyDeleteयही हमारे साथ भी हुआ था, एनजीपी में बात करने का रूपया लेकर लिफाफा थमा दिया था टूर आपरेटर ने.....
ReplyDeleteअच्छा यात्रा वर्णन ०५ अप्रैल को हम भी यात्रा पर जा रहे है कोलकाता दार्जिलिंग और गंगटोक की
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