छांगू लेक पर याक यूमथांग वैल्ली , वैल्ली आफ फलावर फूलो की घाटी के नाम से प्रसिद्ध इस घाटी में फूल तो हमें कुछ खास देखने को नही मिले । इस...
छांगू लेक पर याक |
यूमथांग वैल्ली , वैल्ली आफ फलावर
फूलो की घाटी के नाम से प्रसिद्ध इस घाटी में फूल तो हमें कुछ खास देखने को नही मिले । इसका कारण था मौसम । हम जिस मौसम में आये थे उसके बाद बरसात आती है और तभी ये फूल ज्यादा खिलते हैं ।
सुबह सवेरे मै 6 बजे उठकर ही होटल से बाहर निकल आया । आसपास घूमा । पास में ही आर्मी की कैंटीन भी थी । हम ऐसे बार्डर पर थे कि उसके बाद सब आर्मी थी । उससे पहले गांव वाले थे पर बीच में कोई दीवार या तारबंदी नही थी । सामने पहाडो पर बर्फ दिख रही थी । रात भर बारिश पडी । नदी बिलकुल हमारे होटल के पास थी । पूरी रात बारिश से ज्यादा गरजती रही मानो दोनो में मुकाबला चल रहा हो कि कौन ज्यादा शोर करता है ।
फोन का नेटवर्क यहां पर काम नही करता था तब अब क्या हालात हैं पता नही । फोटो खूब लिये थे पर कैमरा खो जाने की वजह जो कि मैने आपको बता ही दी थी कि वजह से आपके सामने नही आ पाये । 6 दिन से यहां पर बिजली नही थी । कमरे में गीजर भी बिना बिजली के बेकार था । इसलिये इतने ठंडे मौसम में बर्फ जैसे पानी से नहाने का तो सवाल ही नही था किसी ने मुंह हाथ भी नही धोये ।
सामने नदी के पार गांव वालो के खेत थे । ज्यादातर जगहो पर लकडियो का स्टाक लगा रखा था और उसे बारिश से बचाने के लिये कई ने तो टीन उसके उपर रख रखी थी । यहां पर सुबह 4 बजे से ही उजाला होना शुरू हो गया था जो बडा अजीब था । अपनी आदत और ठंड की वजह से हम तब तक बाहर नही निकले जब तक चाय नही आ गयी । उसके बाद ठंडे ठंडे पानी में बडी मुश्किल से फ्रेश हुए । कमरो की दीवारे लकडी की थी जबकि लैट्रीन बाथरूम ईंटो के बने थे ।
सुबह नाश्ते में ब्रैड और जैम भी मिला । उसके बाद ड्राइवर तैयार गाडी के पास खडा मिला । काटेज में सामान ऐसे ही रहने दिया । गाडी में बैठकर यूमथांग की ओर चल दिये । रास्ते में लोकल गांव की औरते मिली जो गाडी के पीछे खडी होकर गयी । ये औरते उन दुकानो पर जाती हैं जो यूमथांग में बनी हैं । चूंकि गाडी पर्यटको के लिये रिजर्व होती है तो ये उसमें बैठने की जिद भी नही करती हैं
लेकिन यूमथांग के लिये कोई सवारी भी नही चलती है इसलिये ये मेहनतकश औरते अपने सामान के साथ ही गाडी के पीछे लटक जाती हैं और ड्राइवर भी मना नही करते हैं । बडा बढिया तालमेल है लोगो के बीच । कोई किसी की आमदनी के बीच नही आता बल्कि हर कोई उसे बढाने में लगा रहता है ।
हमारे ड्राइवर ने यूमथांग पहुचंने से पहले ही बता दिया कि हमे दुकान न0 42 पर जाना है । यहां इसी तरह होता है । बाबा हरभजन मंदिर जाते हुए भी ड्राइवर ने पहले ही बता दिया था कि फलां न0 दुकान पर जाना है । बंधन कोई नही होता है पर नये नये आये लोग इसे निर्देश ही मानते हैं नही तो आप चाहे जिस दुकान से जो चाहे सामान खरीदो कोई रोक टोक नही है ।
यूमथांग में ठंड बहुत थी इसलिये दुकान में घुसकर बैठना अच्छा लग रहा था । लम्बी और पतली सुंदर सी लडकी ने हमारा स्वागत किया । चाय के लिये उसने पूछा तो सबने हां भर दी । अंगीठी पर उसने चाय बनायी तो तब तक हमने हाथ भी सेंक लिये । यहां उनकी दुकानो पर भी बीयर और शराब की बोतले रखी थी । बीयर फेवरेट ब्रांड हिट है । 275 एम एल के साइज में सबसे ज्यादा मिलती हैं ।
लडकी ने चाय बनाने से पहले पूछा भी कि चाय कैसी पियोगे ? मतलब ? मीठी या नमक की ? हम तो मीठी ही पीने वाले थे और नमक की चाय के नाम से हमारे अंदर झुरझुरी हो रही थी । पर उसने अपनी चाय नमक की ही पी । हमने उसके साथ भी फोटो खिंचवाया । अगर फोटो होते तो मै आपको दिखाता कैटरीना कैफ से कम नही थी ।
अब वैल्ली घूमने का नम्बर था । मौसम नीचे की ओर साफ था जबकि पहाडो की चोटी के पास बादल आ रहे थे । दूर दूर तक खुला मैदान था जिसमें छोटी छोटी घास फूस थी और कहीं कहीं इक्का दुक्का फूल थे । मैदान के बीचो बीच साफ पानी की और छोटी सी नदी बह रही थी । ऐसी घाटी को सुंदर तो माना ही जायेगा । नजारा ही ऐसा होता है । पहाड , नदी , फूल , झरने , बर्फ सब कुछ एक जगह मिले तो नजारा अपने आप ही स्वर्ग जैसा हो जायेगा । पता नही ऐसे सारे नजारो भारत की सीमा के आखिरी गांवो में ही क्यों होते हैं , यकीन नही आता तो देख लीजिये , माणा , चितकुल , लाचुंग और भी ।
यहां पर्यटको के लिये आनंद करने के भी इंतजाम हैं । एक प्लास्टिक की बहुत बडी बाल जिसमें दो आदमी तक अंदर आ जाते हैं और फिर उसे लुढका दिया जाता है नदी की ओर । रोमांचक पर हममें से कोई भी हिम्मत नही कर पाया ।
घाटी में घूमने फिरने का काफी मौका था इसलिये खूब चले और खूब सांस चढ गया । कुछ गर्मी सी भी आ गयी । ड्राइवर ने बोला कि अगर बर्फ देखनी हो तो आपको आगे जीरो प्वांइट तक ले जाता हूं । बस गुस्सा आ गया । यार ये धोखा बंद करो । बाबा हरभजन मंदिर कहते हो फिर नया और पुराना बता देते हो एक्सट्रा पैसे ऐंठने के लिये अब तुम भी वही करोगे । किलोमीटर का और रास्ते का हिसाब बताकर रोना रोओगे । नही जाना हमें
NORTH EAST TOUR-
छांगू लेक पर याक |
यूमथांग में दुकाने |
यूमथांग वैल्ली |
यूमथांग वैल्ली |
यूमथांग वैल्ली |
यूमथांग वैल्ली |
यूमथांग वैल्ली |
यूमथांग वैल्ली |
अहा, प्रकृति के सुन्दर दृश्य। आपका वर्णन बड़ा ही रोचक है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर यात्रा विवरण.मनोहारी चित्र.
ReplyDeleteनई पोस्ट : आराम बड़ी चीज है
Nice clicks...the paintings on the rocks are beautiful!
ReplyDeleteBeautiful pictures, as always.
ReplyDeleteफ़ोटो से वहाँ का बहुत कुछ अनुमान हो रहा है
ReplyDeleteड्रैगन भी दिख रहा है और नामों पर उसका प्रभाव भी .
फोटो देखकर मज़ा आ गया...
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ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन अमीर गरीब... ब्लॉग-बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
achhi jaankari va sunder chitr
ReplyDeleteshubhkamnayen