कोलकाता की सडकें विक्टोरिया मैमोरियल वैसे तो हमारी गुलामीयत का प्रतीक है जो कि हमारी ही छाती पर खडा है । दूसरी ओर ये इमारत शिल्प और स्था...
कोलकाता की सडकें |
विक्टोरिया मैमोरियल वैसे तो हमारी गुलामीयत का प्रतीक है जो कि हमारी ही छाती पर खडा है । दूसरी ओर ये इमारत शिल्प और स्थापत्य कला का भी असाधारण नमूना है । इंग्लैंड की रानी विक्टोरिया की याद में लार्ड कर्जन द्धारा इसे बनवाया गया था । किसी भी ऐसी इमारत का निर्माण करना उसके निर्माणकर्ताओ के लिये हमेशा अपने नाम को चिरकाल तक स्थायी रखने का एक प्रयास होता है ।
लेकिन जब वो प्रयास अपने ही देश के लोगो के खून से रंगा और उन्ही को लूट खसोट कर बनाये गये धन से बना हो तो उसे देखा तो जाता है पर नफरत की नजरो से । कम से कम मै तो ऐसा ही करता हूं । इस इमारत का निर्माण ही अजूबा नही है यहां का गार्डन भी भव्य है । इस इमारत के निर्माण में मकराना के दूधिया मारबल का प्रयोग किया गया है ।
इस इमारत का इस्तेमाल मैमोरियल के तौर पर होता है । देश दुनिया के पर्यटको में ये इमारत काफी लोकप्रिय है । इमारत के अंदर रानी से जुडी कई चीजे रखी गयी हैं । साथ ही यहां पर अंग्रेज अधिकारियो के शिकार से लेकर प्रशासन तक के पुराने फोटो की भी प्रदर्शनी है । इससे हमें उस समय की स्थिति का भी अहसास होता है कि तब इस देश के हम मालिक नही गुलाम थे । मैमोरियल के अंदर कैमरा ले जाने की कतई इजाजत नही है ।
1906 से 1921 के बीच बने इस स्मारक में शिल्पकला का सुंदर नमूना दिखाया गया है । असल में ये ब्रिटिश इंजीनियरो ने बनाया लेकिन इसमें उन्होने ब्रिटिश वास्तुकला के साथ मुगल शैली का भी मिश्रण कर दिया । वे इसे ताजमहल के समकक्ष या उससे भी उपर बनाना चाहते थे । इसीलिये दूधिया संगमरमर के साथ साथ उस पर नक्काशी भी की गयी ।
महारानी के निजी सामानो को देखने के लिये ये स्मारक सुबह दस से चार बजे तक खुलता है । सोमवार को बंद रहता है । इस मैमोरियल के उपर एक परी बनी हुई है जो कि पहले घूमा करती थी ।
शहर में गर्मी का बुरा हाल था और हमने पुरी की गर्मी से सबक लेते हुए रूमाल की बजाय कंधे पर तौलिया रखा था जिससे बार बार पसीने पौंछने पड रहे थे । अगर हम ढंग के पैसे वाले होते तो एसी कार में भी घूम सकते थे पर अपन तो ठहरे घुमक्कड और फक्कड तो अपन ने कोलकाता की इस गर्मी में होटल और गाडी का इंतजाम कैसे किया ये मै आपको कल बताउंगा
महारानी के निजी सामानो को देखने के लिये ये स्मारक सुबह दस से चार बजे तक खुलता है । सोमवार को बंद रहता है । इस मैमोरियल के उपर एक परी बनी हुई है जो कि पहले घूमा करती थी ।
शहर में गर्मी का बुरा हाल था और हमने पुरी की गर्मी से सबक लेते हुए रूमाल की बजाय कंधे पर तौलिया रखा था जिससे बार बार पसीने पौंछने पड रहे थे । अगर हम ढंग के पैसे वाले होते तो एसी कार में भी घूम सकते थे पर अपन तो ठहरे घुमक्कड और फक्कड तो अपन ने कोलकाता की इस गर्मी में होटल और गाडी का इंतजाम कैसे किया ये मै आपको कल बताउंगा
NORTH EAST TOUR-
गर्मी से बुरा हाल है |
वाकई खुबसूरत इमारत है नीचे से ब्रिटिश व ऊपर मुगल कालिन गुम्बद इसे ओर खुबसूरत बना रहे है
ReplyDeleteWonderful pictures :)
ReplyDeletewow lovely post!!
ReplyDeleteसुन्दर चित्र
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