रूकमणी मंदिर अपनी इस यात्रा पर हमें जिन जगहो पर घूमना था वे सब ऐतिहासिकता को साबित करने वाली थी । इन जगहो में से हर एक पर कोई ना को...
रूकमणी मंदिर |
अपनी इस यात्रा पर हमें जिन जगहो पर घूमना था वे सब ऐतिहासिकता को साबित करने वाली थी । इन जगहो में से हर एक पर कोई ना कोई कहानी जुडी हुई थी ।
नागेश्वर महादेव — इस मंदिर को 12 ज्योर्तिलिंगो में से एक माना जाता है । अन्य ज्योर्तिलिंगो की तरह यहां पर भीड नाम की चीज नही है । ऐसा नही है कि यहां पर दर्शनार्थी नही हैं । जो भी लोग द्धारकाधीश के दर्शन करने आते हैं उनमें से ज्यादातर यहां पर आते हैं पर उसके बावजूद यहां पर कोई खास लाइन या इंतजार नही करना पडता । ऐसे में यकीन सा भी नही आता कि हम ज्योर्तिलिंग के दर्शन कर रहे हैं या किसी आम से शिव मंदिर के । मंदिर के अंदर ज्योर्तिलिंग विराजमान है जिसके चारो ओर स्टील की रेलिंग लगी है ।
ज्योर्तिलिंग के पास जाकर उस पर जल अर्पण करने के लिये अलग से पर्ची या पूजा का विधान है पर दर्शन इतनी पास से हो जायें तो भी कोई दिक्कत नही हैइस मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान शिव की 25 मीटर उंची प्रतिमा है । मंदिर के पास एक तालाब और एक बगीचा भी है । इस जगह को पुराणो में दारूकावन के नाम से संबोधित किया गया है जहां पर भगवान शिव की उपस्थिति रहती हैं वैसे तो इसे 12 ज्योर्तिलिंगो में से एक माना जाता है पर कई जगह नागेश्वर ज्योर्तिलिंग की जगह पर विवाद भी है ।
ऐसा भी कहा जाता है कि दारूका और दारूकी नाम के एक असुर जोडे के नाम पर ही इस जगह का नाम दारूकावन पडा और बाद में इसी नाम का अपभ्रंश द्धारका हो गया ।
रूकमणी मंदिर-
कथाओ के अनुसार रूकमणी को दुर्वासा रिषी ने श्राप दिया था कि वो कृष्ण से दूर हो जायें शायद यही कारण है कि श्राप की वजह से रूकमणी मंदिर द्धारका शहर से काफी दूर है । द्धारका शहर का पानी खारा जबकि रूकमणी मंदिर के पास का पानी पीने लायक है जिसे मीठा भी कह सकते हैं । इस श्राप की कथा बडी रोचक है । शाप देने के लिये प्रसिद्ध रिषी दुर्वासा एक बार द्धारका आये । श्रीकृष्ण और रूकमणी ने उनको भोज पर आमंत्रित किया । रिषी सहमत तो हो गये पर एक शर्त रख दी कि राजा और रानी दोनो मेरा रथ खुद खींचेंगें । भगवान श्रीकृष्ण ने सहर्ष बात मान ली । रथ ख्रींचते समय रूकमणी जी को प्यास लगी तो श्रीकृष्ण ने अपना अंगूठा जमीन पर गाड दिया जिससे पवित्र जल की धारा फूट पडी और रूकमणी ने उसमे से पानी पी लिया ।
परंतु इस बात से रिषी क्रोधित हो गये कि रानी ने बिना उनकी अनुमति लिये पानी कैसे पिया और उन्होने रूकमणि को श्राप दे दिया कि उसे अपने पति से वियोग सहना पडेगा । इसी कारण ये मंदिर द्धारका से 2 किलोमीटर दूर है ।
मंदिर के पुजारी बडे प्यार से मंदिर का इतिहास बताते और दर्शन कराते हैं पर बाद में मंदिर के इस्तेमाल के लिये पानी खरीदने के लिये दान देने की अपील करते हैं । मंदिर के बाहर भिखारी तो बैठते हैं पर संयम भरे तरीके से । कोई छीना झपटी या मांगातांगी नही जिसे देना हो दे दे
मंदिर का शिल्प भी काफी अच्छा है । मंदिर की दीवारो पर प्रतिमाऐं सुंदरता से उकेरी गयी हैं । इस मंदिर का गुम्बदाकार मंडप और सीढिया इसकी प्राचीनता को साबित करते हैं । बाहरी दीवारो पर मनुष्यो और हाथियो की आकृति उकेरी गयी हैं । गर्भगृह में रूकमणी जी की मूर्ति है । मंदिर के बाकी जगहो में अन्य देवी देवताओ की मूर्तिया हैं ।
गोपी तालाब —गोपी तालाब के बारे में कहा जाता है कि यहां पर कृष्ण गोपियों के साथ
खेला करते थे । इस तालाब के बारे में कहा जाता है कि श्रीकृष्ण यहां पर रासलीला किया करते थे । तालाब सिर्फ देखने के लायक है । अब वहां पर कुछ काम करवा कर उसे सुंदर बना दिया हो तो पता नही बाकी हमारे समय में तो वो कोई आकर्षक जगह नही थी । ऐतिहासिक होने की वजह से उसे देखने के लिये रूक गये थे ।
श्रीकृष्ण भगवान ने मथुरा और वृंदावन में जिन गोपियो के साथ रास रचाया था जब श्रीकृष्ण द्धारका चले गये तो वे गोपियां उनका वियोग सहन नही कर पायी और एक बार श्रीकृष्ण से मिलने के लिये यहां पर आयी । शरण पूर्णिमा की रात यहां पर श्रीकृष्ण उनसे एक बार फिर मिले और इसी स्थान पर रासलीला रचायी । ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद उन गोपियो ने यहीं पर जीवनदान कर दिया और अपने कृष्ण से आभासी रूप में एकाकार हो गयी । ऐसा भी कहा जाता है कि वे पीले रंग की मिटटी में बदल गयी जो कि आज भी गोपी तालाब में पायी जाती है । पीले रंग की ये मिटटी बहुत ही नर्म होती है, इस मिटटी को गोपीचंदन कहते हैं
1-तैयारी लम्बी यात्रा की
2-pushkar ,ajmer, rajasthan,पुष्कर ,अजमेर,राजस्थान
3-chittodgarh ,rajasthan,चित्तौडगढ , राजस्थान
4-udaipur , rajasthan,म्हारी चूनर मंगा दे ओ , ओ ननदी के बीरा
5-Udaipur, Rajasthan, प्यार हो जायेगा................
6-udaipur , rajasthan,म्हारी चूनर मंगा दे ओ , ओ ननदी के बीरा
7-City palace , udaipur , मेवाड को जानना है तो इसे देखिये
8-Nathdwara , Ekling ji, Rajasthan,नाथद्धारा ,एकलिंग जी , राजस्थान
9-Mount Abu ..................
10-Dilwara Jain Temple , दिलवाडा जैन मंदिर , माउंट आबू , राजस्थान
11-Lakhota fort.........और रंग रंगीले देशी जुगाड
रूकमणी मंदिर |
रूकमणी मंदिर |
Nageshwar mahadev photo by vishal rathod |
Beautiful place.
ReplyDeleteBeautiful Temple
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