ताली लेक पर मैने जीपीएस से उंचाई नापी तो ये 3350 दिखा रहा था । वहीं ताली कैम्पसाइट पर 3400 मीटर की उंचाई आ गयी थी । अभी 4 बजे थे और ...
ताली लेक पर मैने जीपीएस से उंचाई नापी तो ये 3350 दिखा रहा था । वहीं ताली कैम्पसाइट पर 3400 मीटर की उंचाई आ गयी थी । अभी 4 बजे थे और मैने करन सिंह से कहा कि हम कहीं खुली जगह रूकते हैं तो करन सिंह ने बताया कि आगे थोडी ही दूर एक बुग्याल है और वहां पर पानी भी मिल सकता है । मैने उसे चलने को कह दिया और पीछे पीछे बैग् उठाकर मै भी चल पडा ।
करीब एक किलोमीटर चलने के बाद उपर खुला सा दिखने लगा । कैम्प साइट से अभी तक जंगल ही मिल रहा था और इसके बाद फिर से जंगल खत्म हो गया और एक बढिया बुग्याल आ गया । रास्ता बुग्याल के अलावा जंगल में पक्का ही बना हुआ था पत्थरो वाला और यहां पर मुझे उम्मीद नही थी कि करन सिंह को रास्ता पता नही होगा । बुग्याल तो दिखा पर यहां पर बहुत तेज हवा थी । इतनी तेज कि हमें ही उडाने को तैयार थी । करन पहले आगे जाकर बैग रास्ते में रखकर बुग्याल का जायजा ले आया । वहां पहाड के बीच की धार सी मेें को पानी आ रहा था । खुशी से चीखते हुए उसने बताया कि सर पानी है यहां पर लेकिन खुशी तो तब रहे जब इस हवा मे हम टिक पायेंगें । मैने साफ मना कर दिया कि यहां पर कहीं भी रूकने की सही जगह नही है बेशक पानी है और कुछ लकडियां भी पडी हुई हैं पर यहां तो टैंट भी उड जायेगा और हम भी । बुग्याल से आगे फिर से हल्का सा जंगल दिख रहा था हमने सोचा कि वहां पर जहां जंगल शुरू हो रहा है रूकते हैं कुछ पेडो की ओट भी रहेगी और खुला सा भी रहेगा पर करन यहां पर जो आगे निकला तो फिर दिखा ही नही । मै उसे आवाज लगाता ही रह गया और अब आगे चढने के अलावा चारा नही था । आगे एक पहाड ऐसा आया कि वहां पर दूसरी तरफ कुआरी पास बिलकुल क्लियर दिख रहा था और इधर गोरसोन वाला पहाड भी । यहीं पर करन ने मुझे आवाज लगायी कि सर एक गुफा है यहां पर आकर देख लो ।
मै हवा की तेजी को देखकर हैरान था । हवा पगडंडी पर चलने में धकेल रही थी और यहीं पर एक काफी बडी गुफा थी । इस गुफा का हमने ठीक से मुआयना किया और आज रात के रूकने के लिये हमें इससे बढिया जगह नही मिल सकती थी क्योंकि जिस स्पीड से हवा चल रही थी और मौसम खराब होता दिख रहा था उससे बारिश की उम्मीद थी । पर यहां पर एक दिक्कत थी कि यहां पर ना तो पानी था और ना लकडी । करन ने कहा कि वो सब इंतजाम कर देगा । मैने देखा कि यहां पर पहले घोडे वाले रूके थे तो घोडो की लीद पडी थी । टैंट लगाने के लिये ऐसी जगह होनी चाहिये कि हम आग जलायें तो वो कोई चिंगारी आदि टैंट पर ना गिरे हवा में उडकर तो हमने गुफा के अंत में टैंट के लिये जमीन को हाथो से समतल करने की कोशिश की पर उसके बाद भी टैंट नही लग सकता था यहां पर इतनी जगह नही हो पा रही थी ।
आदर्श स्थिति ये है कि आपके टैंट पर आने से पहले आग रहे ताकि कोई जानवर आदि रात को आये तो वो आग के डर से ना आ पाये पर ऐसा नही हो पाया तो हमने गुफा की शुरूआत में ही टैंट लगाया । टैंट वैसे यहां पर भी बमुश्किल लग पाया पर जैसे तैसे करके मैनेज कर लिया गया । इसके बाद गुफा के अंदर की लास्ट जगह पर चूल्हे को बना दिया दो पत्थर रखकर । इसके बाद करन चला गया पहले कुआरी पास की तरफ वाली ओर पानी या लकडी देखने के लिये । मै टैंट में बैठ गया और सारा साामान अंदर रख दिया । करन जब वापस आया तो कुछ लकडी लिये हुए था और उसके साथ दो बच्चे भी थे । मैने पूछा तो पता चला कि यहां से 4 किलोमीटर नीचे तुगाशी गांव के बच्चे हैं जो झूला घास लेने के लिये आये थे । झूला घास 130 रूपये किलो बिकती है ओर रंग बनाने के काम में आती है । गांव के लोग यहां इस जंगल से क्या पा सकते हैं । अगर उन्हे यही मिल जाता है तो ये भी बहुत बडी बात है । एक एक बच्चा करीब 4 किलो घास बोरी में कमर पर लिये हुऐ था । करन थोडी सी लकडी ले आया था और अभी हमारे पास थोडा पानी बोतल में था तो चाय बनाने की शुरूआत की । मैने बच्चो से कहा कि चाय पीकर जाना । पहाड में मैने देखा है कि चाय के लिये देर होती ही नही है इसलिये आज ये बच्चे हमारे पास आये हैं तो हम इन्हे चाय पिला दें तो अच्छा लगेगा । चाय बनी और बहुत बढिया बनी । बच्चे चाय पीकर विदा कर दिये और करन दोबारा से नीचे बुग्याल की तरफ चला गया । एक बार में वो लकडी लाया बहुत सारी । मैने कहा इतनी लकडी क्यों लाये हो हमें सारी रात सेंकना तो नही है क्योंकि हम गुफा में हैं और यहां पर ठंड इतनी नही लगेगी तो उसने कहा कि बडो ने कहा कि ज्यादा ही ठीक है हमारे नही तो किसी और के काम आयेगी ।
दूसरी बार वो गया और 5 लीटर की एक कैन जो कि हमारे पास थी और 5 लीटर का कुकर भरकर ले आया । करीब दस लीटर पानी तो हो गया पर दिक्कत ये आयी कि सब्जी बनाने या किसी भी काम के लिये इन्हे खाली करना पडेगा तो इतनी मेहनत से लाया गया पानी फेंकना बुरा होगा । मुझे याद आया कि मै हमेशा 2 से 4 पन्नी रखकर चलता हूं आज तक काम तो नही पडा पर आज वे बडी काम आयी । दो पन्नी को एक दूसरे के अंदर करके उसमें पानी भर दिया कुकर वाला । अब कुकर खाली था । करन जब उपर की साइड गया था तो उसे एक थाली दिखी थी जिसे वो उठा लाया था । वो किसी गडरिये की होगी जो भूल गया होगा । अब चूल्हा जलाकर थाली उस पर रखके सुबह के पैक किये हुए परांठे गर्म किये और साथ में चाय की बजाय दूध ही बना लिया गया । हम दो ही आदमी थे और मेरे द्धारा लाया गया राशन बहुत ज्यादा था तो चाय क्यों पीयें जब एक पैकेट में हम दोनो गरमागरम दूध पी सकते हैं । दूध और परांठे का खाना बहुत बढिया था और अब अंधेरा भी हो चुका था । करन ने कहा कि सर्दी लगने से बचने के लिये मै बाहर जो घास है उसे टैंट के नीचे बिछा देता हूं क्योंकि ये घास बहुत गरम होती है और हम लोग ऐसी जगहो पर इसे ही बिछौना बनाकर स्लीपिंग बैग में सो जाते हैं तो ठंड नही लगती । मैने उसे मना नही किया और उसने अपने पास मौजूद चाकू से फटाफट काफी सारी घास टैंट के नीचे लगा दी । इसके बाद मैने मोबाईल पर जीपीएस से उंचाई नापी तो ये 3500 मीटर दिखा रहा था । हम दोनो अपने अपने स्लीपिंग बैग में घुस गये और ज्यादा बढिया तो नही पर ठीक ठाक नींद आयी ।
सुबह मेरी सवेरे ही आंख खुल गयी मैने करन को जगा दिया और उठते ही उसने पूछा कि क्या खाओगे । मैने कहा सूप बना लो चाय की बजाय और उसके बाद खिचडी खा लेंगें । रात में कैन वाला पानी खत्म हो गया था और पन्नी वाला बचा हुआ था । कितना पानी चाहिये आदमी को । जब मै टायलेट करने गया तो एक लीटर तो वहीं ले गया और एक लीटर करन उसके बाद हाथ धोने , मुंह धोने और बर्तन धोने यानि कुल मिलाकर पन्द्रह बीस लीटर पानी तो चाहिये दो बंदो को । पानी एक किलोमीटर दूर होने की वजह से दिक्कत आ रही थी फिर भी हमनेे इस टाइम को तो मैनेज कर ही लिया । गरमागरम सूप बनाया और उसे पीते पीते खिचडी बनाने को रख दी । मै घर से एक किलो काली दाल और दो किलो चावल लाया था । मैडम ने बता दिया था कि सूप , मैगी और खिचडी तीनो चीज में रिफाइंड या तेल की जरूरत नही पडेगी पर मिर्च चूंकि मै नही खाता इसलिये नही लाया पर करन को उसकी कमी महसूस हुई । खिचडी खाकर हमने इस बात पर विचार किया कि अब हमें क्या करना है । 6 से 7 किलोमीटर यहां से कुंआरी पास बताया करन ने तो मैने सोचा कि आज कुंआरी पास करके यहां आना संभव है तो फिर क्यों हम बोझा ढोंये इसलिये करन को बोल दिया कि टैंट और सब सामान यहीं पर रहने दो बस मेरा बैग ले लो जिसमें बरसात से बचने के कपडे और दवाई के साथ साथ सूखा खाने पीने का सामान है ।
सारा साामान यहीं पर छोड दिया और टैंट की चैन आदि बंद करके हम चल पडे । अब मैने अपने कपडे भी बैग से निकाल दिये थे तो मात्र 4 से 5 किलो का मेरा बैग रह गया था जिसे करन ने मना करते हुए भी ले लिया । कल की उतराई का दर्द पैरो में हो ही गया था पर अब सामान ना होने से बहुत आराम था और हमने अगले एक किलोमीटर से भी कम में अपने को एक टाप पर पाया । ये असल में चित्रकंठा टाप है और इस यात्रा का एक अहम पडाव है ।
Kuari pass-
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ताली कैम्प साइट से आगे |
उल्टे हाथ के जंगल को रास्ता है |
पीछे को देखो तो |
शानदार बुग्याल लेकिन हवा बहुत है |
आपको क्या दिखा |
गुफा और झूला घास वाले लडके |
मै आ गया टैंट में |
करन पानी लेने जाता हुआ |
बुग्याल से इसी रास्ते को आये हैं |
अगली सुबह कुआरी पास का नजारा |
कुआरी पास करन की आंखो के सामने |
चित्रकंठा टाप और उपर पंगारचुल्ल बडी दाहिने हाथ और पंगारचुल्ल छोटी बांये हाथ नीचे को |
खुल्लारा कैम्प से आता रास्ता और बुग्याल |
फूलो का सीजन है |
खुल्लारा टाप की ओर |
खुल्लारा कैम्प साइट नीचे पेडो के |
कुआरी पास का रास्ता दिख रहा है ये लाइन सी |
हिमालय दर्शन |
हिमालय दर्शन |
पंगारचुल्ल बडी दाहिने और छोटी बांये |
बहुत ही रोमांचक यात्रा और फोटो भी लाजबाब! साथ में विडियो का तड़का बहतरीन है!
Deleteअपने साथ हमें भी यात्रा के रोमांच का अनुभव करा दिया आपने । बढ़िया फ़ोटोज़ ।
Deleteभाई इधर जंगली जानवरों का खतरा तो नही है , जंगल देखकर ऐसा लग रहा है !!
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